घर की छत पर सोलर पावर प्लांट लगाइए, लोन के साथ सब्सिडी का लाभ उठाइए Ranchi News
Clean Energy Ecosystem in Jharkhand. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और झारखंड नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (जरेडा) ने स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने का बीड़ा उठाया है।
रांची, जेएनएन। अगर आप गैर पारंपरिक स्त्रोत से उत्पादित ऊर्जा का उपयोग करना चाहते हैैं तो सौर ऊर्जा एक बेहतर विकल्प है। इसके जरिए न सिर्फ पर्यावरण का संरक्षण होगा बल्कि जेब भी हल्की होने से बचेगी। अगर कोई अपने घर की छत पर सौर ऊर्जा पावर प्लांट लगाना चाहता है तो इसके लिए सरकारी मदद भी मिलेगी। एसबीआइ, सिडबी, पीएनबी आदि बैैंक इसके लिए लोन दे रहे हैैं। घरों में सौर ऊर्जा प्लांट के लिए लगने वाले खर्च का 40 प्रतिशत हिस्सा सरकार सब्सिडी देगी, वहीं उद्योगों पर 10 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी।
मंगलवार को यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) के तहत यहां आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में इसकी जानकारी इस सेक्टर से जुड़े लोगों को दी गई। यूएनडीपी के कंट्री प्रोजेक्ट मैनेजर सुनील शेखर के मुताबिक सौर ऊर्जा को प्रोत्साहित करना प्रोजेक्ट का लक्ष्य है। कार्यशाला में राज्य सरकार की ज्रेडा, सौर ऊर्जा के क्षेत्र में कार्यरत इंटेलकैप समेत अन्य सुविधा प्रदाता कंपनियों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। फिलहाल सौर ऊर्जा के क्षेत्र में झारखंड पूरे देश में 15वें स्थान पर है।
पहले आता था 45 हजार बिजली बिल, अब महज पांच सौ रुपये
पारंपरिक बिजली के स्त्रोत से इतर सौर ऊर्जा लोकप्रिय हो रहा है। शुरुआत में इसपर लागत अवश्य आती है, लेकिन इसकी भरपाई कम बिजली बिल के रूप में उपभोक्ता को होती है। उदाहरण के तौर पर रांची के सेंट जान स्कूल का बिजली बिल पहले 45 हजार रुपये प्रतिमाह आता था। जब यहां सोलर पावर प्लांट लगा तो अब मासिक लागत महज 500 रुपये रह गई। उत्पादन 40 किलोवाट प्रतिदिन है। पावर प्लांट लगाने में कुल लागत 20 लाख रुपये आई। प्लांट की आयु लगभग 20 वर्ष होती है। इसे लगाने की लागत महज चार साल में निकल जाएगी। इसके बाद उपभोक्ता को बिजली लगभग मुफ्त में मिलेगी। यूएनडीपी के कंट्री प्रोजेक्ट मैनेजर के मुताबिक 35 स्कूलों ने सोलर रूफ टॉप प्लांट स्थापित किए हैैं।
लंबे वक्त तक नहीं चलेगा कोयला आधारित प्लांट : ऊर्जा सचिव
राज्य सरकार की ऊर्जा सचिव वंदना डाडेल ने कार्यशाला में उम्मीद जताई कि लंबे वक्त तक कोयला आधारित प्लांट नहीं चल पाएंगे। फिलहाल राज्य में 90 प्रतिशत बिजली का उत्पादन कोयला के जरिए होता है। इसका स्थायी समाधान करना होगा। 2022 तक 75 गीगावाट ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य है। उस ओर राज्य तेजी से बढ़ रहा है। धीरे-धीरे कोयला आधारित पावर प्लांट खत्म हो जाएंगे। झारखंड में 150 मेगावाट क्षमता का सोलर फ्लोटिंग पावर प्लांट का निर्माण कार्य चल रहा है। 500 मेगावाट सोलर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। फिलहाल सोलर रूफ टाप प्लांट से 20 मेगावाट का उत्पादन हो रहा है।