सुदूरवर्ती जंगल क्षेत्र में बसे बहम्बा के अनपढ़ माता-पिता का बेटा बना जिला टॉपर
झारखंड अधिविध परिषद द्वारा आयोजित मैट्रीक की परीक्षा में जिला के घोर नक्सल प्रभावित अड़की प्रखंड के दूरस्थ जंगली क्षेत्र में बसे बहम्बा गांव के मडकी मुंडू ने जिला टॉपर बनकर कीर्तिमान स्थापित कर दिया।
जागरण संवाददाता, खूंटी : झारखंड अधिविध परिषद द्वारा आयोजित मैट्रीक की परीक्षा में जिला के घोर नक्सल प्रभावित अड़की प्रखंड के दूरस्थ जंगली क्षेत्र में बसे बहम्बा गांव के मडकी मुंडू ने जिला टॉपर बनकर कीर्तिमान स्थापित कर दिया। जिला मुख्यालय में किराए के मकान में रहकर लोयोला उच्च विद्यालय में कक्षा सातवीं से पढ़ाई कर रहे मड़की मुंडू ने मैट्रिक की परीक्षा में कुल 462 अंक प्राप्त करते हुए 92.40 प्रतिशत अंक के साथ जिला टॉपर बनने का गौरव हासिल किया। रिजल्ट निकलने के दिन मड़की अपने गांव में है, जो एक प्रकार से देश-दुनिया से कटा गांव है। खूंटी में मड़की के साथ रहकर उर्सुलाइन कान्वेंट उच्च विद्यालय में पढ़ने वाली उसकी छोटी बहन नवरी मुंडू ने बताया कि मड़की को उच्च शिक्षा हासिल कर अफसर बनने की इच्छा तो है लेकिन यह शंका भी है कि उच्च शिक्षा के लिए होने वाले हैं खर्च को उसके पिताजी वहन कर पाएंगे या नहीं। उसने बताया कि उसके पिता प्रधान मुंउू व मां बुधनी देवी दोनों अशिक्षित हैं और गांव में खेती बारी कर परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। बच्चों की इच्छा पर ही उनके पिताजी ने अपने तीनों बच्चों को खूंटी में किराए के मकान में रखकर पढ़ाई करा रहे हैं। मड़की का बड़ा भाई संदीप मुंडू भी लोयोला उच्च विद्यालय से अच्छे नंबरों से मैट्रिक पास की थी। संदीप को स्कूल में राष्ट्रीय मेधा छात्रवृति भी मिलती थी। 12वीं में अच्छे नंबरों से पास होने के बाद संदीप इंजीनियर बनने की लालसा में दो वर्ष पूर्व तमिलनाडु गया था, लेकिन इंजीनियरिग की पढ़ाई में होने वाले खर्च को उसके पिताजी वहन नहीं कर सकते थे। इस कारण वह वहां अपना नामांकन नहीं करा सका। वर्तमान में संदीप की पढ़ाई छूट गई है और वह गांव में रहकर खेती बारी में पिताजी का हाथ बंटा रहे हैं। कक्षा नौ में पढ़ रही मड़की की छोटी बहन नवरी मुंडू भी मेधावी छात्रा है। आठवीं की परीक्षा में उसने विद्यालय में तीसरा स्थान प्राप्त किया था।
कक्षा सातवीं से ही स्कूल में प्रथम आता था मड़की
स्कूल के प्राचार्य ने बताया कि मड़की शुरू से ही मेधावी छात्र रहा है। वह कक्षा सातवीं से ही हमेशा क्लास में प्रथम आता था। वाह कक्षा में चुपचाप बैठा रहता था, किसी छात्रों से बेवजह कोई बातें नहीं करता था। कक्षा में पढ़ाई के प्रति पूरी तरह से गंभीर रहता था। शिक्षकों के प्रति हमेशा आदर भाव रखता है। इसके अतिरिक्त विद्यालय में होने वाले खेल, परेड आदि इवेंटों में भी जब वह भाग लेता था तो वहां भी अपना शत-प्रतिशत योगदान देता था।