Swami Vivekananda Jayanti : युवाओं में देश का शक्तिपुंज देखने वाले संत थे स्‍वामी विवेकानंद

Swami Vivekananda Jayanti आज के युवा समाज को जिसमें देश का भविष्य निहित है और जिसमें जागरण के चिन्ह दिखाई दे रहे हैं उन्हें अपने जीवन का एक उद्देश्य ढूंढ़ लेना चाहिए।

By Edited By: Publish:Sun, 12 Jan 2020 01:53 AM (IST) Updated:Sun, 12 Jan 2020 11:02 AM (IST)
Swami Vivekananda Jayanti : युवाओं में देश का शक्तिपुंज देखने वाले संत थे स्‍वामी विवेकानंद
Swami Vivekananda Jayanti : युवाओं में देश का शक्तिपुंज देखने वाले संत थे स्‍वामी विवेकानंद

रांची, जासं। Swami Vivekananda Jayanti युवा शक्ति को राष्ट्र की सबसे बड़ी धरोहर मानने वाले शायद भारत के पहले संत थे स्वामी विवेकानंद। उनका कहना था कि आज के युवा समाज को, जिसमें देश का भविष्य निहित है और जिसमें जागरण के चिन्ह दिखाई दे रहे हैं, उन्हें अपने जीवन का एक उद्देश्य ढूंढ़ लेना चाहिए। हमें ऐसे प्रयास करना चाहिए जिससे हमारे अंदर की जगी हुई प्रेरणा और उत्साह सही मार्ग पर चले। नहीं तो युवा शक्ति का अपव्यय और दुरुपयोग हो सकता है। युवा शक्ति को उठकर जागना होगा और राष्ट्र कल्याण के लिए संघर्ष करना होगा। तभी भारत का कल्याण संभव है।

स्वामी विवेकानंद युवाओं के लिए आज भी एक प्रेरणा के स्रोत हैं। उन्होंने आज से 150 वर्ष पहले ऐसी बातें कही थीं जो आज भी प्रासंगिक हैं। युवा जागृति के लिए उन्होंने एक मूल मंत्र दिया था, उठो जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाए। उनके इस संदेश में गौर करने की बात है कि स्वामी विवेकानंद ने पहले उठने का संदेश दिया है। इसके बाद फिर जागने का, इसका अर्थ है कि हमें जीत के लिए पहले खुद प्रयत्न करना होगा। इसके बाद ही जाग कर समस्या के उपाय खोजने होंगे।

उन्होंने युवाओं को ललकारते हुए कहा था कि हर युवा के हाथों में उसका भविष्य है। उन्हें अपने हाथों से अपना भविष्य गढ़ने होगा। स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि गतस्य शोचना नास्ति- सारा भविष्य तुम्हारे सामने पड़ा हुआ है। तुम सदैव ये बात स्मरण रखो की तुम्हारा प्रत्येक विचार, प्रत्येक कार्य संचित रहेगा। जिस प्रकार तुम्हारे असत विचार और असत कार्य तुम्हारे सामने कूद पड़ने को तैयार हैं। उसी प्रकार तुम्हारे सद्कार्य और सद्विचार हजारों देवी-देवता की शक्ति लेकर सर्वदा तुम्हारी रक्षा के लिए तैयार हैं।

एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान

स्वामी जी ने बताया था कि पढ़ने के लिए युवाओं में एकाग्रता जरूरी है। एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान। ध्यान से ही हम इंद्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते हैं। विवेकानंद खुद भी प्रतिदिन ध्यान करते थे। वो कहते थे कि ध्यान के बल से ही वो जो कुछ भी एक बार पढ़ते हैं उसे याद रख पाते हैं। इसके साथ ही वो शिक्षा को एक अलग आयाम से देखते थे। उन्होंने कहा कि जो शिक्षा साधारण व्यक्ति को जीवन-संग्राम में समर्थ नहीं बना सकती, जो मनुष्य में चरित्र बल, परहित भावना तथा सिंह के समान साहस नहीं ला सकती, वह भी कोई शिक्षा है। जिस शिक्षा के द्वारा मनुष्य जीवन में आदर्श के साथ अपने पैरों पर खड़ा रह सके वो शिक्षा है।

विवेकानंद का खेल से विशेष प्रेम था। उनका मानना था कि खेल से शरीर को बल मिलता है। शरीर में शक्ति का प्रवाह को हमेशा सही दिशा देने की जरूरत हैं। उन्होंने कहा था कि यह बड़ा सत्य है कि बल ही जीवन है और दुर्बलता मरण। बल ही अन्नत सुख है। वो हर युवक को एक बात जरूर कहते थे कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का निवास होता है। दूसरों की सेवा ही ईश्वर की सेवा समाज में उन्होंने लोगों को हमेशा दूसरों की सेवा के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने कहा कि परहित सेवा ही ईश्वर की सेवा है। दूसरों के प्रति हमारा कर्तव्य है कि सहायता और संसार का भला करना। कई लोग ये पूछते हैं कि वो संसार का भला क्यों करें। ऐसे में मैं उनसे कहना चाहता हूं कि ये देखने में लगता है कि हम संसार का उपकार कर रहे हैं। मगर असल में हम हमारा ही उपकार करते हैं। ये हमें पवित्र और पूर्ण होने का अवसर देता है। स्वामी विवेकानंद के द्वारा रामकृष्ण मिशन में आज भी इस बात का अनुशरण किया जाता है।

स्वामी विवेकानंद की कुछ प्रमुख उक्तियां ज्ञान स्वयं में वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है। उठो और जागो और तब तक रुको नहीं जब तक कि तुम अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते। जब तक जीना, तब तक सीखना, अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है। पवित्रता, धैर्य और उद्यम- ये तीनों गुण मैं एक साथ चाहता हूं। लोग तुम्हारी स्तुति करें या निन्दा, लक्ष्य तुम्हारे ऊपर कृपालु हो या न हो, तुम्हारा देहात आज हो या युग में, तुम न्यायपथ से कभी भ्रष्ट न हो। जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिए, नहीं तो लोगों का विश्वास उठ जाता है। जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते। एक समय में एक काम करो , और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ। जितना बड़ा संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी।

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