नई शिक्षा नीति से भारत की प्राचीन शिक्षा की परंपरा को जीवंत करने का प्रयास

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ झारखंड की ओर से रविवार को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 14 Sep 2020 01:58 AM (IST) Updated:Mon, 14 Sep 2020 05:08 AM (IST)
नई शिक्षा नीति से भारत की प्राचीन शिक्षा की परंपरा को जीवंत करने का प्रयास
नई शिक्षा नीति से भारत की प्राचीन शिक्षा की परंपरा को जीवंत करने का प्रयास

जागरण संवाददाता रांची : राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, झारखंड की ओर से रविवार को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि महात्मा गांधी केंद्रीय विवि के कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि अब तक की शिक्षा नीति पश्चिम के अंधानुकरण में लगा था, लेकिन वर्तमान नीति भारतीय मानस और सोच के साथ देश को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प रखती है। नई शिक्षा नीति से भारत की प्राचीन शिक्षा की परंपरा को जीवंत करने का प्रयास किया गया है। एनईपी में न केवल वैश्विक, बल्कि राष्ट्रीय जीवन की आकांक्षाओं की प्राप्ति का साधन बनाने का प्रयत्न किया गया है। विकास के साथ सामाजिक समरसता के लक्ष्य को प्राप्त करना इसका मुख्य उद्देश्य है। इससे पहले वेबिनार के संयोजक डॉ. अजय सिंह ने विषय प्रवेश करवाते हुए कहा की आजादी के बाद दो शिक्षा नीति पहले भी लाई गई, लेकिन वह अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पाई। वर्तमान नीति शिक्षा के स्वरुप मे क्रांतिकारी बदलाव लाते हुए भारत को न सिर्फ आत्मनिर्भर, बल्कि विश्व गुरु बनाएगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता एबीआरएसएम के अध्यक्ष डॉ. प्रदीप सिंह ने किया। रचनात्मक शक्ति के विकास पर जोर

मुख्य वक्ता महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रो. पी. शाह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी की जरूरतों को ध्यान में रख कर बनाई गई है। छात्रों के रचनात्मक शक्ति के विकास पर पूरा जोर दिया गया है। इससे छात्र-छात्राओं को बड़ा फायदा होगा। यह बेहतर है। कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों के शिक्षक, प्राचार्य, राष्ट्रीय प्रभारी महेंद्र कुमार एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संपर्क प्रमुख राजीव कमल भी थे।

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