संविधान ने दिया समानता का अधिकार, मगर राजनीति की वजह हो रही फूट

संविधान दिवस के अवसर पर आशीर्वाद भवन में राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा के द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। संविधान के बारे में लोगों ने अपनी राय रखी।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 07:20 AM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 07:20 AM (IST)
संविधान ने दिया समानता का अधिकार, मगर राजनीति की वजह हो रही फूट
संविधान ने दिया समानता का अधिकार, मगर राजनीति की वजह हो रही फूट

जासं, रांची: संविधान दिवस के अवसर पर आशीर्वाद भवन में राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा के द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी का उद्घाटन राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार गुप्ता ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा 26 नवंबर 1949 में देश में संविधान लागू हो जाने के बाद तमाम तरह के भेदभाव, छुआछूत कानूनन समाप्त हो गए और ऊंच-नीच, महिला पुरुष सभी धर्म के लोगों का इस देश में समान अधिकार हो गया।

परंतु इस देश के हुक्मरान के द्वारा संविधान का सम्मान नहीं देने से आज भी भेदभाव बरकरार है। विभिन्न कानून के माध्यम से हक अधिकार में कटौती की जा रही है। संविधान के अनुसार हक प्राप्त करने के लिए देश के बहुसंख्यक समुदाय को वर्षों समय लग जा रहे हैं फिर भी हक अधिकार पूरा नहीं मिल रहे हैं। केंद्र सरकार देश में जाति आधारित जनगणना कराएं, अनुबंध, लेटरल एंट्री, आउटसोर्सिंग व्यवस्था को समाप्त कर पूर्व के नियमित नियुक्ति करें। निजीकरण पर रोक लगाएं। देश में जनसंख्या अनुपात में ओबीसी को 52 प्रतिशत आरक्षण लागू हो।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि केडी मोदी ने कहा, संविधान के मान सम्मान सुरक्षित रखने के लिए ओबीसी मोर्चा को सशक्त रूप से और मजबूत करना होगा। इसे गांव में जाना पड़ेगा व उन्हें जागरूक करना होगा।

कार्यक्रम में प्रो गिरधारी राम गौंझू ने कहा कि भारतीय संवैधानिक व्यवस्था में अवसर की समता है परंतु धनी मनी के लिए सुविधा संपन्न शिक्षा व्यवस्था है तो जनसाधारण के लिए उपेक्षित साधन सुविधा एक शिक्षक विहीन (विशेषकर अंग्रेजी,गणित विज्ञान शिक्षक) शिक्षा व्यवस्था है। जबकि नौकरी के लिए प्रतियोगिता परीक्षा दोनों वर्ग के लिए एक समान है क्या यह अवसर की समता है।

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