कंकाल शशिनाथ झा का नहीं, दावा करनेवाले को सौंप सकती है सीबीआइ

हबीबुल्लाह अंसारी ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर कंकाल सौंपने की मांग की है। याचिका में क

By JagranEdited By: Publish:Wed, 11 Sep 2019 02:51 AM (IST) Updated:Wed, 11 Sep 2019 02:51 AM (IST)
कंकाल शशिनाथ झा का नहीं, दावा करनेवाले को सौंप सकती है सीबीआइ
कंकाल शशिनाथ झा का नहीं, दावा करनेवाले को सौंप सकती है सीबीआइ

हबीबुल्लाह अंसारी ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर कंकाल सौंपने की मांग की है। याचिका में कहा, वर्ष 1998 में बरामद कंकाल उसके भाई मोहम्मद अलीम का झामुमो प्रमुख। शिबू सोरेन के पीए थे शशिनाथ झा।

मनोज कुमार सिंह, रांची :

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के प्रमुख शिबू सोरेन के पीए रहे शशिनाथ झा के कंकाल पर दावा करने वाले हबीबुल्लाह अंसारी को सीबीआइ कंकाल सौंप सकती है। सीबीआइ इसके लिए तैयार है, उसे इंतजार है झारखंड हाई कोर्ट के आदेश का।

केंद्रीय जांच एजेंसी का मानना है कि इस मामले में अब विवाद करने का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि शशिनाथ झा के तथाकथित कंकाल का डीएनए उनके परिजनों से नहीं मेल खाने पर ही दिल्ली हाई कोर्ट ने शिबू सोरेन सहित अन्य आरोपितों को बरी किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने भी इसपर अपनी मुहर लगाई है। ऐसे में दावा करने वाले हबीबुल्लाह का डीएनए मैच हो जाने पर बरामद कंकाल उसे सौंप दिया जाएगा। इस बाबत सीबीआइ के अधिवक्ता राजीव नंदन प्रसाद ने कहा कि इस मामले में हाई कोर्ट का जो भी फैसला आएगा, सीबीआइ उसका अनुपालन करेगी।

बरामद कंकाल को बताया मोहम्मद अलीम का :

दरअसल, रांची के पिस्का बगान के रहने वाले हबीबुल्ला अंसारी ने झारखंड हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर शशिनाथ झा के तथाकथित कंकाल पर दावा जताया है। याचिका में दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को आधार बनाते हुए उसने कंकाल को अपने भाई अलीम अंसारी का बताया है।

हबीबुल्ला ने यह दावा तब किया है, जब शशिनाथ झा का मामला पूरी तरह से समाप्त हो गया है। सीबीआइ सूत्रों की मानें तो बरामद कंकाल अभी भी सुरक्षित रखा गया है। प्रार्थी के अधिवक्ता जेजे सांगा ने बताया कि वर्ष 1998 में सीबीआइ ने आरोपितों के निशानदेही पर पिस्का बगान से एक कंकाल को बरामद किया था। कंकाल में सिल्वर कलर का नकली दांत, टोपी, बेल्ट और हाथ में कड़ा मिला था। इसके आधार पर हबीबुल्लाह ने कंकाल की पहचान अपने भाई मोहम्मद अलीम के रूप में की थी। हालांकि, सीबीआइ ने इस बात से इन्कार किया है कि मामले में जांच और ट्रायल के दौरान हबीबुल्लाह ने कोई दावा किया था।

यह है मामला :

शशिनाथ झा शिबू सोरेन के पीए थे। दिल्ली स्थित कार्यालय से 22 मई 1994 को घर के लिए निकले थे, लेकिन घर नहीं पहुंचे। उनके भाई अमरनाथ झा ने 25 मई 1994 को थाने में आवेदन दिया था। वर्ष 1996 में मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी गई थी। बाद में इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने शिबू सोरेन सहित अन्य आरोपितों को बरी कर दिया था।

chat bot
आपका साथी