नहीं खुला रांची नगर निगम का अर्बन पीएचसी

पांच वर्ष देखते-देखते यूं ही गुजर गए। फिर भी शहरी क्षेत्र में रांची नगर निगम में अस्पताल का हाल ठीक नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 15 Nov 2019 11:03 PM (IST) Updated:Fri, 15 Nov 2019 11:03 PM (IST)
नहीं खुला रांची नगर निगम का अर्बन पीएचसी
नहीं खुला रांची नगर निगम का अर्बन पीएचसी

जागरण संवाददाता, रांची : पांच वर्ष देखते-देखते यूं ही गुजर गए। फिर भी शहरी क्षेत्र में रांची नगर निगम का एक भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (अर्बन पीएचसी) नहीं खोल सका। नतीजतन शहरवासी चिकित्सकीय सुविधा के लिए सदर अस्पताल व रिम्स समेत अन्य निजी अस्पतालों पर निर्भर हैं। रातू रोड स्थित न्यू मार्केट चौक के समीप रांची नगर निगम के भवन में पीपीपी मोड पर संचालित नगर निगम देवकमल अस्पताल में चिकित्सकीय सुविधा सिर्फ ओपीडी तक ही सीमित है। अस्पताल में प्रतिदिन आने वाले मरीजों की संख्या भी तीन-चार की तक ही सीमित है। यहां चिकित्सकीय जांच के लिए डॉक्टर की फीस सौ रुपये निर्धारित है। वर्तमान में मात्र दो डॉक्टर ही इस अस्पताल में ओपीडी के लिए पदस्थापित हैं। अस्पताल की दीवार पर टंगी चिकित्सकों की सूची सिर्फ दिखावे के लिए ही लगायी गई है। कुछ माह पूर्व नगर निगम परिषद की बैठक में देवकमल हॉस्पिटल प्रबंधन से इस अस्पताल को वापस लेने का निर्णय लिया है। परिषद की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार अब इस भवन को अर्बन पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) खोला जाएगा। इस स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों के लिए आउटडोर व इनडोर दोनों सुविधाएं होंगी। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खुलने से गरीब मरीजों को काफी राहत मिलेगी। सिर्फ यही नहीं परिषद की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार बहुबाजार, कोकर व पहाड़ी मंदिर के समीप लगभग 10 साल से बंद पड़ी रांची नगर निगम की डिस्पेंसरी भी खोली जाएगी। चिकित्सकीय कार्य के लिए कांट्रेक्ट पर चिकित्सकों को बहाल करने की योजना भी बनायी गई है। डिस्पेंसरी में लोगों को चिकित्सकीय सलाह के साथ छोटी-मोटी बीमारियों की दवा भी नि:शुल्क दी जाएगी। इसके अलावा निगम कर्मियों के लिए भी अस्पताल में विशेष व्यवस्था की जाएगी।

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अस्पताल के संचालन के लिए 2014 में हुआ था एकरारनामा

2010-11 में राज्यसभा सदस्य परिमल नाथवाणी ने अपने कोष से रांची नगर निगम के इस अस्पताल का जीर्णोद्धार कराया था। फिर 24 फरवरी 2014 को पीपीपी मोड पर इस अस्पताल के संचालन के लिए रांची नगर निगम ने देवकमल हॉस्पिटल प्रबंधन के लिए एकरारनामा किया था। एकरारनामा की शर्तो में बीपीएल मरीजों के निश्शुल्क चिकित्सा के लिए सीजीएचएस रेट का प्रावधान नहीं किया गया था। अस्पताल में ऑप्थाल्मिक, आइसीयू, डीओटी सेंटर, एक्स-रे, स्कैनिंग आदि की भी व्यवस्था नहीं की गई। एकरारनामा की शर्तो के तहत देवकमल अस्पताल प्रबंधन को मुनाफे का 20 फीसद हिस्सा रांची नगर निगम को देना था। परंतु देवकमल प्रबंधन की ओर से हमेशा यही बताया गया कि अस्पताल नुकसान में है।

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सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल का सपना अधूरा

11 सितंबर 2012 में नगर निगम बोर्ड की बैठक में पीपीपी मोड पर कुसई-घाघरा में 200 बेड के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल निर्माण कराने का निर्णय लिया गया था। टेंडर प्रक्रिया में अपोलो अकेला ग्रुप था। घाघरा में तीन एकड़ जमीन पर प्रस्तावित सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के लिए टेंडर कमेटी नें अपोलो चेन्नई के फाइनेंशियल बिड को भी पास कर दिया था। हालांकि नगर विकास विभाग के तत्कालीन सचिव श्ररुण कुमार सिंह ने बीपीएल कोटा बढ़ाने व रॉयल्टी को 0.25 फीसद से बढ़ाकर एक फीसद करने का निर्देश दिया और पुन: टेंडर निकालने की स्थिति को देखते हुए यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

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एकरारनामा के बाद एप्रोच रोड की जमीन में फंसा पेंच

सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के निर्माण के लिए रांची नगर निगम व चेन्नई अपोलो प्रबंधन के बीच 27 जुलाई 2016 को एकरारनामा हुआ था। एकरारनामा के तहत घाघरा में 2.81 एकड़ जमीन पर दो वर्षो के अंदर सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का निर्माण करना था। हालांकि पहुंच पथ के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में ही एक वर्ष गुजर गए। एप्रोच रोड के लिए चिह्नित जमीन के अधिग्रहण के लिए नगर निगम ने जिला प्रशासन को 2016 में 2.50 करोड़ रुपये भी दिए थे। सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के निर्माण पर 125 रुपये खर्च होना था। एकरारनामा की शर्तो के तहत अस्पताल में बीपीएल के लिए 7.5 फीसद बेड रिजर्व किया गया था। अस्पताल में मेयर, डिप्टी मेयर, पार्षद व नगर निगम के कर्मियों को विशेष चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने की भी योजना थी।

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