बारिश और कोरोना संक्रमण से हरी सब्जियां हुई लाल, आलू 40 ताे टमाटर 80 रुपये किलो

Jharkhand Latest News. गृहणियों पर बोझ बढ़ा। किसानों और व्यापारियों ने मंडी से दूरी बनाई। बाजार से कई हरी सब्जियां गायब हो रही हैं। कोल्ड स्टोरेज में भी माल की कमी हो रही है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Tue, 28 Jul 2020 01:18 PM (IST) Updated:Tue, 28 Jul 2020 01:22 PM (IST)
बारिश और कोरोना संक्रमण से हरी सब्जियां हुई लाल, आलू 40 ताे टमाटर 80 रुपये किलो
बारिश और कोरोना संक्रमण से हरी सब्जियां हुई लाल, आलू 40 ताे टमाटर 80 रुपये किलो

रांची, जासं। रांची में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच सब्जियों के दाम नियंत्रण से बाहर हो गए हैं। पिछले एक महीने में सब्जियों के दाम दो गुना से ज्यादा बढ़े हैं। ये हाल सिर्फ हरी सब्जियों का नहीं है। आलू-प्याज की कीमतों में भी इजाफा हुआ है। आलू 40 रुपये बिक रहा है तो दूसरी सब्जियां जो आलू के साथ मिलाकर बनायी जाती है जैसे परवल, बैगन आदि भी 40 रुपये प्रति किलो से ऊपर ही मिल रही है। टमाटर के तो भाव सबसे ज्यादा चढ़े हैं। बाजार में बढिय़ा टमाटर 70 से 80 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। वहीं धनिया पत्ता सौ रुपये किलो।

क्या कहते हैं सब्जी विक्रेता

नागा बाबा खटाल के सब्जी विक्रेता बताते हैं कि बरसात के कारण अभी खेतों से सब्जियां कम निकल रही हैं। इससे बाजार से धीरे-धीरे हरी सब्जियां गायब हो रही हैं। एक दूसरा कारण है कि शहर के साथ गांव में भी कोरोना का संक्रमण फैल रहा है। ऐसे में किसान और व्यापारी शहर के बाजार से दूरी बना रहे हैं।

इस मौसम में झिंगी भी कभी कभार ही दिख रही

लहसुन भी 90 से 100 रुपये तक पहुंच गया है। इस मौसम में बाजार में झिंगी काफी ज्यादा होती थी बाजार में। मगर वो अब कभी-कभार ही दिख रहा है। नेनुआ 30 से 35 रुपये के भाव में बाजार में बिक रहा है। करैला, फूलगोभी भी 40 रुपये किलो है। वहीं शिमला मिर्च 30 से 35 रुपये। एक तरफ कोरोना संक्रमण से बचने के लिए लोग रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए हरी सब्जियां खरीद रहे हैं।

दूसरी तरफ सब्जियों के महंगा होने से उनके पॉकेट पर बोझ बढ़ गया है। पिछले एक महीने में गृहणियों के किचन का बजट भी दो गुना बढ़ गया है। आलू के थोक विक्रेता संतोष महतो बताते हैं कि राजधानी में प्रतिदिन 30 ट्रक प्याज की खपत होती है। थोक मंडी में ही प्याज 20-23 रुपये किलो बिक रहा है।

नासिक मंडी से प्याज की खेप भी नियमित रांची तक पहुंच रही है, फिर भी कीमतें स्थिर नहीं हो रही हैं। वहीं आलू इस साल जब आलू खेत में थी तो बारिश के कारण उत्पाद की बड़ी बर्बादी हुई थी। इससे कोल्ड स्टोरेज में भी माल की कमी है। यही कारण है कि आलू प्याज से ज्यादा महंगा है। उन्होंने बताया कि आने वाले वक्त में आलू की कीमतों में और इजाफा हो सकता है।

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