Jharkhand High Court ने निजी स्कूलों की फीस मामले में राज्य सरकार से मांगा जवाब

झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में राज्य के निजी स्कूलों में सिर्फ ट्यूशन फीस लेने के सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है। साथ ही अदालत ने...

By Vikram GiriEdited By: Publish:Wed, 07 Oct 2020 09:19 PM (IST) Updated:Wed, 07 Oct 2020 09:19 PM (IST)
Jharkhand High Court ने निजी स्कूलों की फीस मामले में राज्य सरकार से मांगा जवाब
निजी स्कूलों की फीस मामले में राज्य सरकार से मांगा जवाब। फाइल फोटो

रांची (राज्य ब्यूरो) । झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में राज्य के निजी स्कूलों में सिर्फ ट्यूशन फीस लेने के सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है। साथ ही अदालत ने कहा कि याचिका लंबित रहते हुए सरकार यदि अपने आदेश में किसी प्रकार का संशोधन या स्पष्टीकरण करना चाहती है तो अगली तिथि के दौरान इस बाबत शपथपत्र दाखिल कर सकती है। मामले में अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद निर्धारित की गई है। दरअसल, झारखंड अन एडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की ओर से इस संबंध में हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।

सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने अदालत को बताया कि झारखंड सरकार ने जून 2020 में एक आदेश जारी कर निजी स्कूलों में सिर्फ ट्यूशन फीस लेने का आदेश दिया है। बस फीस समेत कई अन्य फीस पर रोक लगाई गई है। सरकार के आदेश में फीस नहीं देने वाले किसी भी छात्र को स्कूल से नहीं निकालने और ऑनलाइन क्लास में शामिल करने से मना नहीं करने की भी बात कही गई है। सरकार का उक्त आदेश विरोधाभासी है। एक तरफ सरकार सिर्फ ट्यूशन फीस ही लेने की बात कह रही है और दूसरी ओर फीस नहीं देने पर भी किसी छात्र पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने की बात कह रही है।

इसके चलते कई अभिभावक ट्यूशन फीस भी जमा नहीं कर रहे हैं। ऐसे में निजी स्कूलों की आर्थिक स्थिति बदतर हो गई है। फीस नहीं मिलने से बसों के रखरखाव, लोन व कर्मचारियों के वेतन पर भी संकट आ गया है। अदालत को बताया गया कि दिल्ली, चंडीगढ़ और दूसरे राज्यों में भी सरकार ने यह नियम बनाया था, लेकिन कई हाई कोर्ट ने सरकार के इस आदेश में हस्तक्षेप किया है। निजी स्कूल सीबीएसई, आइसीएससी और जैक बोर्ड से संबद्ध है, तो उनकी ओर से परीक्षा और निबंधन शुल्क लिया रहा है।

अदालत से सरकार के इस आदेश को निरस्त करने का आग्रह किया गया। इस दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि आरटीई एक्ट के अनुसार सभी छात्रों को पढ़ने का अधिकार है। इसी को देखते हुए सरकार ने उक्त निर्णय लिया है। इस पर अदालत ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह में विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

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