मिड डे मील को ले जनता के सामने जाने से अफसरों को परहेज

नीरज अम्बष्ठ, रांची : सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर सरकारी स्कूलों में संचालित मध्याह्न भोजन योजना कितना कारगर है, इसका लाभ बच्चों को कितना मिल पा रहा है, इसे लेकर जनता के सामने जाने से पदाधिकारी परहेज कर रहे हैं। शायद इसी कारण इस योजना का सोशल ऑडिट नहीं कराया जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा बार-बार इस बाबत निर्देश दिए जाने के बाद भी यह स्थिति है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 29 May 2018 07:52 AM (IST) Updated:Tue, 29 May 2018 07:52 AM (IST)
मिड डे मील को ले जनता के सामने जाने से अफसरों को परहेज
मिड डे मील को ले जनता के सामने जाने से अफसरों को परहेज

नीरज अम्बष्ठ, रांची : सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर सरकारी स्कूलों में संचालित मध्याह्न भोजन योजना कितना कारगर है, इसका लाभ बच्चों को कितना मिल पा रहा है, इसे लेकर जनता के सामने जाने से पदाधिकारी परहेज कर रहे हैं। शायद इसी कारण इस योजना का सोशल ऑडिट नहीं कराया जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा बार-बार इस बाबत निर्देश दिए जाने के बाद भी यह स्थिति है।

केंद्र के निर्देश पर तेरह राज्यों ने इस योजना का सोशल ऑडिट करा लिया है। लेकिन झारखंड में इसे लेकर चर्चा तक नहीं है। योजना के तहत चालू वित्तीय वर्ष के बजट स्वीकृति को लेकर 24 मई को केंद्र के प्रोग्राम एप्रूवल बोर्ड की हुई बैठक में भी यह मामला उठा। इससे पहले, केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के अवर सचिव अर्नव ढाकी ने राज्य के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया है। उन्होंने दो माह के भीतर केंद्र की गाइडलाइन के अनुरूप इस कार्य को कराने को कहा है। राज्य सरकार को पहले पायलट बेसिस पर चुनिंदा जिलों में योजना का सोशल ऑडिट कराने को कहा है। इसके बाद इसे सभी जिलों में कराने को कहा है। साथ ही ऑडिट रिपोर्ट केंद्र को भी उपलब्ध कराने को कहा है।

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इन राज्यों ने कराया सोशल ऑडिट :

बिहार, महाराष्ट्र, ओडिशा, कर्नाटक, पंजाब, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, नागालैंड, आंध्र प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, राजस्थान, उत्तराखंड तथा तमिलनाडु।

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सोशल ऑडिट क्यों?

सोशल ऑडिट के माध्यम से जनता सामूहिक रूप से सीधे किसी योजना की निगरानी और मूल्यांकन करती है। इसे पब्लिक विजिलेंस के रूप में देखा जाता है। कोई भी योजना बिना समुदाय की भागीदारी के बिना सफल नहीं हो सकती। सोशल ऑडिट का उद्देश्य मिड डे मील के प्रति लोगों में जागरुकता भी लाना है। इसके माध्यम से योजना के क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार पदाधिकारियों की जवाबदेही पूरा करने का आकलन होता है तथा योजना की कमियों और समस्याओं की पहचान निचले स्तर पर होती है।

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फूड सिक्योरिटी एक्ट में है प्रावधान :

नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट, 2013 में मिड डे मील का सोशल आडिट अनिवार्य रूप से कराए जाने का प्रावधान है। एक्ट की धारा 28 (1) में इस बाबत स्पष्ट प्रावधान किया गया है। केंद्र सरकार ने सोशल ऑडिट कराने को लेकर गाइडलाइन भी जारी की थी। इसके लिए प्रतिष्ठित संस्थानों से तकनीकी सहयोग लेने तथा योजना के तहत मैनेजमेंट, मानीट¨रग तथा इवेल्यूशन (एमएमई) फंड से इसके लिए राशि खर्च करने की अनुमति भी दी थी।

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