नीतीश बोले, जब बिहार में शराबबंदी तो झारखंड में क्यों नहीं

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि 18 साल कम नहीं होते। 12 साल में युग बदल जाता है लेकिन झारखंड का हाल देखिए।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Sun, 25 Feb 2018 10:15 AM (IST) Updated:Mon, 26 Feb 2018 02:05 PM (IST)
नीतीश बोले, जब बिहार में शराबबंदी तो झारखंड में क्यों नहीं
नीतीश बोले, जब बिहार में शराबबंदी तो झारखंड में क्यों नहीं

राज्य ब्यूरो, रांची। पूर्ण शराबबंदी लागू कर समाज सुधार की पहल करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने झारखंड में भी शराबबंदी की वकालत की है। नीतीश ने सवाल उठाया कि जब बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू हो सकती है तो झारखंड व अन्य राज्यों में क्यों नहीं? रांची में आयोजित जदयू के राज्यस्तरीय सम्मेलन में उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को समाज सुधार के एजेंडे पर काम करने की नसीहत देते हुए शराबबंदी के साथ-साथ दहेज प्रथा और बाल विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ सामाजिक चेतना जगाने का टास्क सौंपा।

नीतीश कुमार ने शराबबंदी से होने वाले नफे-नुकसान की भी चर्चा की। कहा, बिहार में शराब से राज्य सरकार को पांच हजार करोड़ का राजस्व हासिल होता था लेकिन लोगों के दस हजार करोड़ रुपये बर्बाद होते थे। अब ये रुपये अच्छे कामों में लग रहा है। यह भी बताया कि वर्ष 2015-16 में शराबबंदी से राज्य को हुए 5000 करोड़ के नुकसान की भरपाई कर ली गई है, अब महज एक हजार करोड़ रुपये की कमी रह गई है। आने वाले समय में वह भी दूर हो जाएगी। स्पष्ट कहा कि कोई भी निर्णय लेने के लिए हिम्मत से काम लेना होगा। जब बिहार में शराबबंदी हो सकती है तो झारखंड व अन्य राज्यों में क्यों नहीं। सिर्फ जरुरत सामाजिक लाभ का अध्ययन करने की है।

नीतीश कुमार ने स्वीकारा कि उत्तर प्रदेश, झारखंड और हरियाणा के कुछ धंधेबाज जरूर चोरी छिपे धंधेबाजी कर रहे हैं, लेकिन ऐसे लोग पकड़े भी जा रहे हैं। कहा, इसे रोकने के लिए बिहार सरकार शीघ्र ही एक फोन नंबर जारी करेगी, जिस पर बिना अपनी पहचान जारी किए शिकायत दर्ज कराई जा सकेगी। शिकायत के घंटे भर के अंदर कार्रवाई होगी। कहा, बिहार में शराब बंदी होने के बाद शांति है। घरों का पारिवारिक माहौल सुधरा है। अपराध का आंकड़ा घट गया है। कहा, आज बिहार के किसी भी गांव में देख लीजिए कि शराबबंदी से वहां कितना फायदा पहुंचा है। मौके पर नीतीश कुमार ने दहेज प्रथा और बाल विवाह पर रोक के लिए बिहार सरकार द्वारा लाए गए कानून की भी चर्चा की। कहा, झारखंड में भी पार्टी कार्यकर्ता समाज सुधार के लिए इस अभियान को चलाएं।

शराबबंदी, दहेज प्रथा और बाल विवाह के प्रति जागरूकता अभियान चलाना होगा। उन्होंने कार्यकर्ताओं को आदिवासी-मूलवासी के हितों की रक्षा, कुरमी को आदिवासी का दर्जा देने, एससी-एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण का दायरा बढ़ाने की मांग उठाने का टास्क सौंपा। भ्रष्टाचार से समझौता न करने की भी नसीहत दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष जलेश्वर महतो ने की। इस मौके पर बिहार के मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह, श्रवण कुमार, राज्यसभा सांसद हरिवंश, झारखंड के प्रभारी विधायक राम सेवक सिंह, सह प्रभारी अरुण कुमार सिंह, विधायक सुनील चौधरी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो, पूर्व मंत्री सुधा चौधरी व कृष्णानंद मिश्र ने भी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।

12 साल में युग बदल जाता है, लेकिन झारखंड का हाल देखिए

नीतीश कुमार ने झारखंड और बिहार में पिछले कुछ सालों में हुए विकास की भी चर्चा की। कहा, जब बिहार से झारखंड अलग हुआ था तब ऐसा लगता था कि झारखंड नई ऊंचाईयों को प्राप्त करेगा। झारखंड में देश का नंबर वन राज्य बनने की क्षमता थी। लेकिन आज झारखंड 18 वें वर्ष में पहुंच चुका है और यहां का स्थिति से आप सब वाकिफ हैं। कहा, 18 साल कम नहीं होते। 12 साल में युग बदल जाता है लेकिन झारखंड का हाल देखिए। इस मौके पर उन्होंने बिहार में पिछले 12 वर्षो में आई तब्दीली की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि झारखंड में सिर्फ यहां के ही नहीं दूसरे राज्यों के लोगों को रोजगार देने की क्षमता है। उन्होंने जदयू कार्यकर्ताओं से झारखंड के नव निर्माण में जुट जाने की नसीहत दी।

सीएनटी-एसपीटी में कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए

नीतीश कुमार ने स्पष्ट कहा कि आदिवासियों के हितों से जुड़े कानून सीएनटी-एसपीटी एक्ट में किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। आदिवासियों व मूलवासियों की क्षमता को समझना चाहिए, उनकी अहमियत मानकर चलनी चाहिए।

काम ऐसा करो कि जुबान नहीं, काम बोले

नीतीश कुमार ने जदयू कार्यकर्ताओं को सीख दी कि काम ऐसा करो कि आपकी जुबान नहीं काम खुद बोले। कहा, लोहिया जी ने भी यही कहा था। काम होगा तो असर दिखेगा। उन्होंने बताया कि बिहार में उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री सिर्फ काम किया, उनका प्रचार प्रसार कभी नहीं किया। बिहार में नारी सशक्तीकरण, शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना सहित अन्य क्षेत्रों में किए गए कार्यो की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि किस तरह से इन कार्यो से विकास तो हुआ ही है, सामाजिक चेतना भी जागी है। उन्होंने आधारभूत संरचना के क्षेत्र में सड़कों और बिजली के क्षेत्र में हुए सुधार की विशेष तौर पर चर्चा की। कहा, बिहार में अप्रैल तक सब जगह बिजली पहुंच जाएगी और दिसंबर तक हर इच्छुक परिवार को बिजली का कनेक्शन मुहैया कराया जाएगा।

कुरमी को आदिवासी का दर्जा देने की वकालत
जदयू ने सीएनटी-एसपीटी कानून में किसी प्रकार के संशोधन का विरोध किया है। कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष आफताब जमील ने राजनीतिक प्रस्ताव पेश किया जिसमें सीएनटी-एसपीटी एक्ट में किसी तरह के संशोधन का विरोध किया गया। इसके साथ ही कुरमी को आदिवासी का दर्जा देने की भी पार्टी ने वकालत की। स्वयं नीतीश कुमार ने मंच से दोनों मुद्दों का जिक्र किया और कहा कि शुरू से ही दोनों मुद्दों पर पार्टी का रुख सकारात्मक रहा है। कुरमी को आदिवासी का दर्जा देने के लिए अलग राज्य बनने के पूर्व भी स्वयं नीतीश कुमार ने लोकसभा में इस मुद्दे को उठाया था। भ्रष्टाचार और किसानों को उत्पादों का सही मूल्य बनने जैसे मुद्दों को भी राजनीतिक प्रस्ताव में शामिल किया गया है।

नीतीश का स्वागत करते जदयू नेता व कार्यकर्ता।

दहेज का विरोध और शराबबंदी का संकल्प

शराबबंदी और दहेज के खिलाफ भी पार्टी ने अपने संकल्प को दोहराया। पार्टी ने निकाय चुनाव लड़ने की घोषणा की और इसके लिए तैयारियों को अंजाम देने की भी बात कही। खेल को प्रोत्साहित करने और नारी सशक्तीकरण की बात को भी प्रमुखता से उठाया। 

झारखंड की अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

chat bot
आपका साथी