कोल सेक्टर में FDI का विरोध, 24 को देशव्यापी हड़ताल
FDI in Coal India. रांची के सीएमपीडीआइ में गुरुवार को कोयला मजदूरों की बैठक में यह निर्णय लिया गया। इससे पहले उन्होंने प्रदर्शन भी किया।
रांची, जासं। कोल सेक्टर में सौ फीसद एफडीआइ निवेश करने के केंद्र सरकार के फैसले का मामला गरमा गया है। इंटक से संबद्ध इंडियन नेशनल माइंस वर्कर्स फेडरेशन, एचएमएस से संबद्ध हिंद खदान मजदूर फेडरेशन, एटक से संबद्ध इंडियन माइंस वर्कर्स फेडरेशन, सीटू से संबद्ध ऑल इंडिया कोल वर्कर्स फेडरेशन, एक्टू के संगठनों ने रांची में संयुक्त रूप से सम्मेलन कर 24 सिंतबर को कोल इंडिया व सिंग्रेनीज कोलियरीज कंपनी लिमिटेड में एक दिवसीय हड़ताल की घोषणा कर दी।
सभी ने एक स्वर में आंदोलन पर जाने की घोषणा की है। वक्ताओं ने कहा कि कोल इंडिया प्रतिवर्ष लाभांश के रूप में हजारों करोड़ रुपये सरकार को देती है। इसके बाद भी सरकार ने अभी कोल इंडिया का 29.65 प्रतिशत शेयर बेच दिया है। निर्णय के बाद यूनियन ने संयुक्त रूप से हड़ताल करने का नोटिस कोयला सचिव भारत सरकार को भेज दिया है। इसकी सूचना चीफ लेबर कमिश्नर, कोल इंडिया सहित सभी कंपनियों के सीएमडी को पत्र की प्रतिलिपि भेजी गई है। रांची के सीएमपीडीआइएल के रवींद्र हाल में बीएमएस से संबद्ध यूनियन छोड़ इंटक, एचएमएस, सीटू, एटक व एक्टू के कार्यकर्ताओं का सम्मेलन हुआ।
सम्मेलन की अध्यक्षता पांच सदस्यीय अध्यक्ष मंडल में रमेंद्र कुमार, बासुदेव आचार्य, एके झा, एसके पांडेय एवं शुभेंदु सेन ने की। हड़ताल पर जाने का प्रस्ताव एटक के लखन लाल महतो ने रखा। 22 प्रतिनिधियों ने प्रस्ताव के समर्थन में अपना-अपना विचार रखा। पूरे कन्वेंशन को समापन करते हुए एटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेंद्र कुमार ने कोल इंडिया में 24 सितंबर को एक दिन का हड़ताल कोयला उद्योग में विदेशी पूंजी निवेश के खिलाफ सहमति बनी।
निजीकरण के नाम पर कोयला बेचने की छूट
एटक के महामंत्री लखनलाल ने कहा कि सरकार ने कोयला खान (विशेष प्रवधान) अधिनियम, 2015 को पारित कर निजीकरण के नाम पर कोयला बेचने की छूट दे दी है। सरकार द्वारा कोल इंडिया के पास के 63 हजार करोड़ के रिजर्व फंड को लेकर इसे पंगु बना दिया गया है। सरकार के इस कदम से न सिर्फ कोयला मजदूर प्रभावित हो रहे हैं बल्कि देश हित भी प्रभावित होगा।
यह है मुख्य मांगें केंद्र सरकार कोयला खनन क्षेत्र से एफडीआइ वापस ले। बीसीसीएल, ईसीएल, सीसीएल, सीएमपीडीआइएल सहित कोल इंडिया की तमाम कंपनियों को मिलाकर एक कंपनी बनाई जाए। कोयला खनन क्षेत्र में कांट्रेक्ट, आउटसोर्सिंग से खनन काम बंद कर स्थाई कर्मियों को काम में लगाया जाए। कोल इंडिया में पूर्व की भांति सभी तरह का नियोजन चालू किया जाए।
सभी ने एक स्वर में आंदोलन पर जाने की घोषणा की है। वक्ताओं ने कहा कि कोल इंडिया प्रतिवर्ष लाभांश के रूप में हजारों करोड़ रुपये सरकार को देती है। इसके बाद भी सरकार ने अभी कोल इंडिया का 29.65 प्रतिशत शेयर बेच दिया है। निर्णय के बाद यूनियन ने संयुक्त रूप से हड़ताल करने का नोटिस कोयला सचिव भारत सरकार को भेज दिया है। इसकी सूचना चीफ लेबर कमिश्नर, कोल इंडिया सहित सभी कंपनियों के सीएमडी को पत्र की प्रतिलिपि भेजी गई है। रांची के सीएमपीडीआइएल के रवींद्र हाल में बीएमएस से संबद्ध यूनियन छोड़ इंटक, एचएमएस, सीटू, एटक व एक्टू के कार्यकर्ताओं का सम्मेलन हुआ।
सम्मेलन की अध्यक्षता पांच सदस्यीय अध्यक्ष मंडल में रमेंद्र कुमार, बासुदेव आचार्य, एके झा, एसके पांडेय एवं शुभेंदु सेन ने की। हड़ताल पर जाने का प्रस्ताव एटक के लखन लाल महतो ने रखा। 22 प्रतिनिधियों ने प्रस्ताव के समर्थन में अपना-अपना विचार रखा। पूरे कन्वेंशन को समापन करते हुए एटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेंद्र कुमार ने कोल इंडिया में 24 सितंबर को एक दिन का हड़ताल कोयला उद्योग में विदेशी पूंजी निवेश के खिलाफ सहमति बनी।
निजीकरण के नाम पर कोयला बेचने की छूट
एटक के महामंत्री लखनलाल ने कहा कि सरकार ने कोयला खान (विशेष प्रवधान) अधिनियम, 2015 को पारित कर निजीकरण के नाम पर कोयला बेचने की छूट दे दी है। सरकार द्वारा कोल इंडिया के पास के 63 हजार करोड़ के रिजर्व फंड को लेकर इसे पंगु बना दिया गया है। सरकार के इस कदम से न सिर्फ कोयला मजदूर प्रभावित हो रहे हैं बल्कि देश हित भी प्रभावित होगा।
यह है मुख्य मांगें केंद्र सरकार कोयला खनन क्षेत्र से एफडीआइ वापस ले। बीसीसीएल, ईसीएल, सीसीएल, सीएमपीडीआइएल सहित कोल इंडिया की तमाम कंपनियों को मिलाकर एक कंपनी बनाई जाए। कोयला खनन क्षेत्र में कांट्रेक्ट, आउटसोर्सिंग से खनन काम बंद कर स्थाई कर्मियों को काम में लगाया जाए। कोल इंडिया में पूर्व की भांति सभी तरह का नियोजन चालू किया जाए।