वार्ड समिति के गठन में पार्षद लगा रहे पेंच

वार्ड पार्षद समिति गठन से ज्यादा संसोधित प्रावधानों की मांग कर रहे है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 23 Jul 2018 02:04 PM (IST) Updated:Mon, 23 Jul 2018 02:04 PM (IST)
वार्ड समिति के गठन में पार्षद लगा रहे पेंच
वार्ड समिति के गठन में पार्षद लगा रहे पेंच

जागरण संवाददाता, रांची : रांची नगर निगम के 53 वार्डो में वार्ड समिति के गठन को लेकर पार्षदों ने पेंच लगा दिया है। वे वार्ड समिति के गठन से ज्यादा 74वें संशोधन में किए गए प्रावधानों के तहत अपने अधिकारों की मांग रहे हैं। इधर, नगर आयुक्त डॉ. शांतनु कुमार अग्रहरि की मानें तो राज्य सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। 18 जुलाई को निगम बोर्ड की बैठक में पार्षद उर्मिला यादव ने नगर आयुक्त डॉ. शांतनु कुमार अग्रहरि से कहा कि वार्ड समिति के गठन से पूर्व उन्हें संविधान के 74वें संशोधन के तहत अधिकार दिए जाएं। उसके बाद ही वार्ड समिति गठित करने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

पार्षद अरूण कुमार झा भी नगर निगम की उप समितियों के गठन की मांग पर अड़ गए। इस दौरान नगर आयुक्त ने कई बार संबंधित पार्षदों से यह भी पूछा कि 74वें संशोधन के तहत उन्हें कौन सा अधिकार दिया गया है। नगर आयुक्त के सवाल का जवाब देने में पार्षद निरुत्तर रहे। उन्हें यह भी जानकारी नहीं थी कि 74वें संशोधन में क्या-क्या प्रावधान हैं। नगर आयुक्त ने उन्हें यह भी कहा कि वार्ड समिति का गठन भी 74वें संशोधन के तहत ही किया जा रहा है। फिर भी पार्षदों ने उनकी एक नहीं सुनी।

क्या है 74वां संशोधन :

1992 में सरकार के 74वें संशोधन के माध्यम से नगरीय क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को निर्णय लेने के स्तर पर सक्रिय व प्रभावशाली सहभागिता बनाने का प्रयास किया गया है। शहरों, नगरों व मोहल्लों की भलाई, उनके हित व विकास संबंधी मुद्दों पर निर्णय लेने का अधिकार केवल सरकार के हाथ में नहीं है। अब शहर के ऐसे लोग जो शहरी मुद्दों पर स्पष्ट सोच रखते हैं। नगरों, कस्बों व उनमें निवास करने वाले लोगों की नागरिक सुविधाओं के प्रति संवेदनशील हैं, निर्णय लेंगे। 74वें संशोधन ने सरकार के माध्यम से आम लोगों की सहभागिता स्थानीय स्वशासन में सुनिश्चित की है।

वार्ड समिति का गठन क्यों :

झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 की धारा-34(1) में वार्ड समितियों के गठन का प्रावधान है। धारा-34(2) के अनुसार वार्ड समिति के अध्यक्ष वार्ड के पार्षद होंगे और सदस्य के रूप में वार्ड क्षेत्र सभा के प्रतिनिधि। क्षेत्र सभा प्रतिनिधि के चयन के लिए यह आवश्यक है कि वार्ड में क्षेत्र का निर्धारण हो। क्षेत्र का निर्धारण राज्य सरकार के स्तर से किया जाना है। प्रत्येक क्षेत्र के लिए एक क्षेत्र सभा प्रतिनिधि होगा, जो नगर निगम द्वारा नामित होगा। वार्ड समिति के गठन व प्रत्येक वार्ड में कार्यान्वयाधीन योजनाओं के पर्यवेक्षण, पूर्ण योजनाओं के संचालन-प्रबंधन, वार्ड समिति द्वारा सौंपे गए कार्यो के संबंध में परामर्श या जांच के लिए उप समितियां (जलापूर्ति व जलकर उप समिति, स्वच्छता उप समिति, नागरिक सुविधा व होल्डिंग कर उप समिति, स्व नियोजन उप समिति, वार्ड कल्याण समिति का गठन होगा।

वार्ड समिति का गठन होगा। जिन पार्षदों को इस मामले को समझने में परेशानी हो रही है, उन्हें समझाया जाएगा। वार्ड समिति गठित नहीं होने से योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता नहीं आ सकता। पूरे वार्ड के लोगों के जुड़ने के लिए यह आवश्यक है। 74वें संशोधन के तहत यह पावर दिया जाए कि विकास कार्यो के प्रति हम सभी निर्णय ले सकें।

- संजीव विजयवर्गीय, डिप्टी मेयर, रांची।

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