Jharkhand: कुंडली से अधिक ब्लड ग्रुप का मिलान जरूरी, फेरों के फेर में न भूलें पैथोलॉजी की मुहर

चिकित्सकों के शोध निष्कर्षों ने पढ़े-लिखे युवाओं को बेचैन कर दिया है। सुखद वैवाहिक जीवन के लिए कुंडली के साथ ब्लड ग्रुप की भी जांच आवश्यक है। आरएच पाजिटिव ग्रुप का लड़का और आरएच निगेटिव ग्रुप की लड़की हो तो संतान नहीं बचती है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Fri, 30 Oct 2020 10:56 AM (IST) Updated:Fri, 30 Oct 2020 11:01 AM (IST)
Jharkhand: कुंडली से अधिक ब्लड ग्रुप का मिलान जरूरी, फेरों के फेर में न भूलें पैथोलॉजी की मुहर
कुंडली मिलान के साथ पैथोलॉजी की मुहर अब जरूरी हो गई है।

रांची, जासं। हिंदू परिवार में विवाह के दौरान कुंडली मिलान की परंपरा सदियों से चली आ रही है। अब इस धारणा को फेल कर रहा है दो ब्लड ग्रुप का संयोग। मानवीय रक्त में से दो ब्लड ग्रुप ऐसे और इतने खतरनाक हैं कि दोनों ग्रुप के लड़के-लड़की अगर परिणय सूत्र में बंधते हैं तो उनकी भावी पीढ़ी पर प्रश्न चिह्न खड़ा हो जाएगा। चिकित्सकों के शोध निष्कर्षों ने पढ़े-लिखे युवाओं को बेचैन कर दिया है।

आलम यह है कि अब परिणय सूत्र में बंधने को लिए जाने वाले सात फेरों के पहले कुंडली मिलान के साथ पैथोलॉजी की मुहर खुशहाल दांपत्य जीवन के लिए आवश्यक हो चुकी है। रांची सदर अस्पताल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. रानी सिंह कहती हैं कि रक्त से स्वभाव और गुणों का अध्ययन करने वाले जापानी विशेषज्ञ तोशिता के नोमी ने ब्लड ग्रुप का मिलान करने के उपरांत शादी करने की सलाह बहुत पहले दी थी।

डॉ. प्रभात कुमार कहते हैं कि बुद्ध जयंती सेलीब्रेशन 2006 इंटरनेशनल होमियोपैथी साइंसटिफिक सेमिनार जो गया (बिहार) में संपन्न हुआ था, में एमआइएमएस दिल्ली के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. डीपी सिंह ने ब्लड ग्रुप का मिलान करने के उपरांत ही शादी करने की सलाह दी थी। इसका विस्तृत उल्लेख सेमिनार 2006 की पुस्तक साउवीनीर के पृष्ठ संख्या 67 पर अंकित है।

उन्होंने कहा कि महानगरों में अब विवाह के लिए कुंडली मिलान के पूर्व लोग ब्लड ग्रुप की जांच को प्रमुख मान रहे हैं। ब्लड ग्रुप मिलने पर ही कुंडली मिलाने की नौबत आती है। लेकिन जहां साक्षरता दर कम है वहां इसका चलन नहीं है। डॉ. प्रभात के मुताबिक आरएच पॉजिटिव (आरएच +बीई) का लड़का आरएच निगेटिव (आरएच-बीई) की लड़की से विवाह करता है तो उनसे उत्पन्न होने वाली संतान के बचने की संभावना न के बराबर होती है।

यदि लड़के का रक्त समूह (ओ) है तो वह रक्त समूह (बी) की लड़की से शादी करे तो दांपत्य जीवन सुखमय व सुखद रहेगा। ऐसा कई विशेषज्ञों ने भी दावा किया है। इस ग्रुप की लड़कियां दूरदर्शी होती हैं और सोचने समझने की शक्ति तीव्र होती है। इसी प्रकार लड़के का रक्त समूह ग्रुप बी है तो उसके लिए अच्छी जीवन संगिनी ग्रुप बी की लड़की होगी। ऐसे विवाह से दोनों के विचार में समानता रहेगी और आपसी तनाव नहीं रहेगा। ब्लड ग्रुप ए के लड़के का दांपत्य जीवन ग्रुप ए की लड़की से बेहतर रहेगा।

दोनों में प्राय: घनिष्ठता व सामंजस्य बेहतर रहेगा। दोनों की धारणा एक सी रहेगी और एक दूसरे का सहयोग करेंगे। इसी प्रकार ब्लड ग्रुप ए बी की लड़की के लिए सबसे अच्छा जीवन साथी ग्रुप बी का युवक होगा। ऐसी युवतियों का बौद्धिक स्तर अच्छा होता है। इसलिए ग्रुप बी के लड़के उनसे प्रभावित रहेंगे। इस ग्रुप की लड़कियां सूझ-बूझ से कार्य करती हैं।

'वैज्ञानिक शोध शादी से पूर्व ब्लड ग्रुप मिलान करने की सलाह बहुत पहले दे चुके हैं। इस शहर में तमाम लोग मेरे पास इससे संबंधित सलाह लेने आए और मैंने उनसे कहा कि शादी से पहले ब्लड ग्रुप का मिलान जरूर कराएं। जमशेदपुर में बड़ी संख्या में लोग ऐसा कर रहे हैं। इससे मां और बच्चे दोनों का जीवन सुरक्षित रखने में सहूलियत होती है।' -डॉ. रानी सिंह, स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ, सदर अस्पताल।

'आरएच पॉजिटिव का लड़का आरएच निगेटिव ब्लड ग्रुप की लड़की से विवाह करता है तो उनसे उत्पन्न होने वाली संतान और मां दोनों को खतरा रहता है। गर्भावस्था के दौरान बच्चे और मां दोनों को गंभीर समस्याएं होती हैं। हालांकि इसका टीका आ गया है। फिर भी सही तरीका यही होगा कि शादी से पहले ब्लड ग्रुप का मिलान कर लिया जाए।' -डॉ. प्रभात कुमार, होमियोपैथिक चिकित्सक।

'कुंडली का मिलान आठ तरह से होता है। वर्ण, वत्स्य, तारा, योनि, ग्रह मैत्री, गण, राशि और नाड़ी। इसके साथ कुंडली के जरिए ग्रहों का दोष भी देखा जाता है, यथा मांगलिक आदि। इससे पात्र-पात्री का दांपत्य जीवन, स्वास्थ्य, मानसिकता और भाग्य के सहयोग आदि के साथ ही संतान योग का भी पता चलता है। आज कल तमाम यजमान ऐसे भी आ रहे हैं जो ब्लड ग्रुप का भी मिलान कराते हैं। इससे भी वैवाहिक जीवन और संतान प्राप्ति का पता चलता है।' -पंडित रमाशंकर तिवारी, ज्योतिषाचार्य।

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