भाजपा आलाकमान को अपना जनाधार दिखाएंगे बाबूलाल

रांची 14 साल बाद घर वापसी कर रहे झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भाजपा में शामिल हो तया कर लिया है। 17 फरवरी को उनकी पार्टी जेवीएम का भाजपा में विलय हो जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 Feb 2020 11:45 PM (IST) Updated:Wed, 12 Feb 2020 11:45 PM (IST)
भाजपा आलाकमान को अपना जनाधार दिखाएंगे बाबूलाल
भाजपा आलाकमान को अपना जनाधार दिखाएंगे बाबूलाल

रांची : 14 साल बाद घर वापसी कर रहे झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भाजपा में शामिल होने के लिए व्यापक रणनीति बनाई है। मंगलवार को अपने संगठन झारखंड विकास मोर्चा का भाजपा में विलय का निर्णय करने के बाद बाबूलाल का दूसरा लक्ष्य 17 फरवरी की रैली में भारी भीड़ जुटाना है। रैली राजधानी के जगन्नाथ मैदान (प्रभात तारा मैदान) में होगी। इसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई बड़े चेहरे मंच पर होंगे, लिहाजा उनके समक्ष यह चुनौती है कि वे समर्थकों का जुटान कर भाजपा आलाकमान के समक्ष यह प्रदर्शित करें कि उनका जनाधार व्यापक है और वे भाजपा को फिर से राज्य की सत्ता में वापस लाने में मददगार साबित हो सकते हैं।

झाविमो के भाजपा में विलय की औपचारिक घोषणा के बाद बाबूलाल मरांडी ने यह भी दावा किया था कि संगठनात्मक दृष्टिकोण से उन्होंने अपनी पार्टी का व्यापक विस्तार किया था। झाविमो की कमेटियां पंचायत स्तर तक थी।

यही वजह है कि कार्यकारिणी की बैठक के बाद बाबूलाल मरांडी के करीबी नेताओं ने इस टास्क पर अमल करना आरंभ कर दिया कि 17 फरवरी की रैली में प्रभावी तरीके से कार्यकर्ताओं और समर्थकों का जुटान किया जाए ताकि भाजपा आलाकमान तक यह संदेश जाए कि झाविमो का संगठनात्मक आधार मजबूत था और इसका फायदा बाबूलाल मरांडी भाजपा को दिला पाएंगे।

रैली में भीड़ जुटाने का ज्यादा दारोमदार रांची और उसके आसपास के जिलों पर होगा।

----------

एक लाख से ज्यादा भीड़ जुटाना लक्ष्य

बाबूलाल मरांडी को भाजपा में शामिल कराने के लिए 17 फरवरी की रैली शक्ति प्रदर्शन के लिहाज से भी अहम होगी। इसमें एक लाख से ज्यादा भीड़ जुटाने का लक्ष्य है। प्रदेश भाजपा के लिए भी रैली बड़ी चुनौती है। बदली राजनीतिक परिस्थितियों में भाजपा के हाथ से झारखंड की सत्ता निकल चुकी है। ऐसे में उसके समक्ष भी यह टास्क है कि कार्यकर्ताओं का जुटान कराया जाए। आयोजन स्थल का चयन भी इसी आधार पर किया गया है। रैली के लिए हरमू मैदान भी एक विकल्प था, लेकिन आयोजन के लिहाज से इसे अपेक्षाकृत छोटा करार दिया गया।

chat bot
आपका साथी