वामदलों ने किया राजभवन मार्च, आर्थिक मंदी व महंगाई के खिलाफ बुलंद की आवाज Ranchi News

देश में आर्थिक मंदी महंगाई सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण बेरोजगारी किसानों की बदहाली आदि के खिलाफ वामदलों ने बुधवार को राजभवन मार्च किया।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Wed, 16 Oct 2019 09:33 PM (IST) Updated:Wed, 16 Oct 2019 09:33 PM (IST)
वामदलों ने किया राजभवन मार्च, आर्थिक मंदी व महंगाई के खिलाफ बुलंद की आवाज Ranchi News
वामदलों ने किया राजभवन मार्च, आर्थिक मंदी व महंगाई के खिलाफ बुलंद की आवाज Ranchi News

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। देश में आर्थिक मंदी, महंगाई, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण, बेरोजगारी, किसानों की बदहाली आदि के खिलाफ वामदलों ने बुधवार को राजभवन मार्च किया। देशव्यापी साझा अभियान के तहत भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भाकपा माले व मार्क्‍सवादी समन्वय समिति (मासस) के कार्यकर्ता पहले शहीद चौक पर जुटे।

यहां से मार्च शुरू हुआ, जो राजभवन के पास पहुंचकर सभा में तब्दील हो गया। राजभवन मार्च का नेतृत्व भाकपा के जिला सचिव अजय कुमार सिंह, माकपा के जिला सचिव सुखनाथ लोहरा, भाकपा माले के शुभेंदु सेन व मासस के सुशांतो मुखर्जी संयुक्त रूप से कर रहे थे।राजभवन के पास जनसभा को संबोधित करते हुए भाकपा के राज्य सचिव भुवनेश्वर प्रसाद मेहता ने कहा कि देश में बेरोजगारी सबसे अधिक बढ़ी हुई है।

कहा गया कि किसानों की हालत बदतर है। सरकार मुख्य मुद्दा को भटकाने की कोशिश में जुटी है। मार्च में सीटू के राज्य सचिव प्रकाश विप्लव, किसान नेता प्रफुल्ल लिंडा, महिला नेत्री वीणा लिंडा, भाकपा के सूबेदार राम, उमेश नजीर, मेहुल मृगेंद्र, अनीस, ललन सिंह, मनोज ठाकुर, केवला उरांव, लक्ष्मी लोहरा सहित कई लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

वामदलों की प्रमुख मांगें

रोजगार पैदा करने के लिए सार्वजनिक निवेश को बढ़ाया जाए। जब तक रोजगार नहीं मिलता है, तब तक केंद्र सरकार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता दे। सरकार 18 हजार रुपये मासिक न्यूनतम वेतन सुनिश्चित करे। नौकरी से निकाले गए कामगारों के लिए सरकार गुजारा लायक मजदूरी दे। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण बंद हो। रक्षा व कोयला क्षेत्र में सौ फीसद एफडीआइ वापस लिया जाए। नेशनल आयुध कारखाना, भारतीय रेल, एयर इंडिया में निजीकरण बंद हो। मनरेगा के लिए आवंटन को बढ़ाया जाए, ताकि पिछले बकाया का भुगतान हो सके। निर्धारित न्यूनतम मजदूरी और न्यूनतम 200 दिनों का काम उपलब्ध कराया जा सके। कर्ज के बोझ के तले दबे किसानों के कर्ज को माफ किया जाए। न्यूनतम वृद्धावस्था विधवा पेंशन को बढ़ाकर 3,000 रुपये प्रति माह किया जाए। वनाधिकार कानून की पूरी हिफाजत की जाए।
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