चारा घोटालाः लालू की याचिका सुनवाई के लिए स्‍वीकार, हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट से मांगा रिकॉर्ड

चारा घोटाले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की याचिका को झारखंड हाई कोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली है।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Fri, 27 Apr 2018 01:27 PM (IST) Updated:Fri, 27 Apr 2018 05:48 PM (IST)
चारा घोटालाः लालू की याचिका सुनवाई के लिए स्‍वीकार, हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट से मांगा रिकॉर्ड
चारा घोटालाः लालू की याचिका सुनवाई के लिए स्‍वीकार, हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट से मांगा रिकॉर्ड

रांची, ब्यूरो। चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की याचिका शुक्रवार को झारखंड हाईकोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली है। इस मामले में हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट से रिकॉर्ड मांगा है। सीबीआइ कोर्ट ने लालू को 14 साल की सजा सुनाई है। लालू ने फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। प्रारंभिक तौर पर इसे लालू को राहत के तौर पर देखा जा रहा है।

जगन्नाथ मिश्र की प्रोविजिनल बेल 11 मई तक बढ़ी 

वहीं, डॉ जगन्नाथ मिश्र की प्रोविजिनल बेल 11 मई तक बढ़ा दी गई है। हाईकोर्ट ने उनके इलाज के बारे में जानकारी मांगी और पूछा कि उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ है या नहीं। इस संबंध में रिपोर्ट मांगी गई है। डॉ जगन्नाथ मिश्र भी चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता हैं। उनकी बीमारी को देखते हुए अदालत ने उन्‍हें प्रोविजिनल बेल दी है।

अंजनी, दुबे व डीपी ओझा के मामले में स्टे बरकरार 

इधर, बिहार के मुख्‍य सचिव अंजनी कुमार सिंह, पूर्व मुख्‍य सचिव वीएस दुबे, सीबीआई के अधिकारी एके झा, डीपी ओझा के मामले में अदालत ने स्टे बरकरार रखा है। अब इस मामले की सुनवाई चार मई को होगी। सीबीआई कोर्ट ने इन लोगों को चारा घोटाला मामले आरोपी बनाने के लिए समन जारी किया है। इसके विरुद्ध हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है।

जानकारी के मुताबिक, चारा घाेटाले के आरसी-38ए/96 मामले में सजायाफ्ता राजद सुप्रीमो व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने सीबीआइ अदालत के फैसले को चुनाैती दी थी। झारखंड हाईकोर्ट में क्रिमिनल अपील याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा है कि सीबीआइ अदालत का फैसला सही नहीं है। किसी भी व्यक्ति को एक साजिश के लिए कई बार सजा नहीं दी जा सकती है। यह संविधान के आर्टिकल 20(2) का उल्लंघन है। अदालत ने उन्हें तीन अन्य मामलों में अलग-अलग सजा सुनाई है। उन्होंने सीबीआइ अदालत के दुमका कोषागार से संबंधित मामले में दिए गए फैसले को निरस्त करने की मांग की थी। 


गौरतलब है कि सीबीआइ की विशेष अदालत ने चारा घोटाले के आरसी-38ए/96 मामले में लालू प्रसाद यादव को सात-सात साल की सजा सुनाई है। साथ ही, 30 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के इस मामले में सीबीआइ अदालत ने लालू प्रसाद यादव सहित 19 को सजा सुनाई थी।

दुमका कोषागार मामले में लालू को 14 साल की सजा:

सीबीआइ अदालत ने 23 मार्च को आरसी-38ए/96 के दुमका कोषागार मामले में सबसे अधिक 14 साल की सजा सुनाई थी और 30 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।

अदालत ने आइपीसी के तहत सात साल व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) के तहत सात साल की सजा सुनाई थी। दोनों सजाएं साथ-साथ नहीं चलेंगी। सात साल की सजा काटने के बाद लालू प्रसाद यादव को पुन: सात साल की सजा काटनी होगी। जुर्माने की राशि जमा नहीं करने पर अलग से सजा भुगतनी पड़ेगी।

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