जानिए, अपनों के चक्रव्यूह में क्यों घिरी है झारखंड की हेमंत सरकार

Ranchi News मंत्री जगरनाथ महतो बोकारो और धनबाद में स्थानीय भाषा में मगही और भोजपुरी को शामिल किए जाने का विरोध कर चुके हैं। पूर्व विधायक औज झारखंड मुक्ति मोर्चा की छात्र शाखा के अध्यक्ष रहे अमित महतो ने हेमंत सरकार को ही अल्टीमेटम दे दिया है।

By Madhukar KumarEdited By: Publish:Fri, 21 Jan 2022 06:53 PM (IST) Updated:Fri, 21 Jan 2022 06:53 PM (IST)
जानिए, अपनों के चक्रव्यूह में क्यों घिरी है झारखंड की हेमंत सरकार
भाषा के मुद्दों पर अपनों से घिरी हेमंत सरकार, सरकार के फैसले का चौतरफा विरोध

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन के घटक दलों में आपसी खींचतान की आहट सुनाई पड़ रही है। खुद झारखंड मुक्ति मोर्चा ही उन मुद्दों पर दल के भीतर घिर रहा है जो उसके आधार में शुमार है। दो साल से सत्ता का कुशलता से संचालन कर रहे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर अब इस बात का दबाव है कि वे अपने मुद्दे पर आगे बढ़ें। ये वह मुद्दे हैं जो झारखंड मुक्ति मोर्चा को जमीनी ताकत देते रहे हैं।

झामुमो के अंदर ही उठने लगे विरोध के स्वर

राज्य में स्थानीयता के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा खतियान की बाध्यता का पक्षधर रहा है। अब मोर्चा के भीतर ही इस बात के लिए प्रेशर बन रहा है कि स्थानीयता के लिए खतियान को आधार बनाना चाहिए। इसके अलावा जिला स्तर पर होने वाली तृतीय और चतुर्थ वर्ग की सरकारी नौकरियों में भोजपुरी, मगही और अंगिका को कुछ जिलों में शामिल करने को लेकर भी आपत्ति है। ज्यादातर इस पक्ष में है कि इन मुद्दे पर स्टैंड के मुताबिक निर्णय हो, लेकिन गठबंधन की सरकार की बाध्यताओं को देखते हुए फिलहाल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इसपर कोई निर्णय नहीं किया है।

अमित महतो ने दी चेतावनी

मंत्री जगरनाथ महतो बोकारो और धनबाद में स्थानीय भाषा में मगही और भोजपुरी को शामिल किए जाने का विरोध कर चुके हैं। पूर्व विधायक औज झारखंड मुक्ति मोर्चा की छात्र शाखा के अध्यक्ष रहे अमित महतो ने तो एक कदम आगे बढ़कर हेमंत सरकार को ही अल्टीमेटम दे दिया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि खतियान को स्थानीयता का आधार नहीं बनाया गया और बाहरी भाषाओं को नहीं हटाया गया तो वे पार्टी छोड़ देंगे। झामुमो का यह पुराना एजेंडा भी है। मोर्चा के नेता यह कहते भी है कि वे पीछे नहीं हटेंगे। देखना होगा कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा दबता है या मुखर होता है। हालांकि गठबंधन की बाध्यताओं को देखते हुए इसपर अमल होने में संशय है।

इधर राजद ने भी दे दी चेतावनी

झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगी दल राजद ने भी सरकार पर निशाना साधा है। राजद नेताओं का कहना है कि सरकार गठन के दो साल पूरे हो गए लेकिन पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिला। जेपीएससी परीक्षा में पिछड़ों के साथ बेईमानी हुई। बीस सूत्री के गठन में राजद की अनदेखी की गई। गोड्डा के पूर्व विधायक संजय यादव ने कहा है कि सरकार को यह नहीं भूलना चाहिए कि राज्य से सामंतवादी विचारधारा वालों को उखाड़ फेकने में किन-किन साथियों ने साथ दिया और किन लोगों के त्याग की बदौलत आज राज्य सरकार दूसरा वर्षगांठ मना रही है।

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