एशियाई खेलों में मधुमिता ने बढ़ाया देश का मान मगर झारखंड में फीका सम्मान

जकार्ता में एशियाई खेलों की तीरंदाजी स्पर्धा में झारखंड की बेटी मधुमिता ने सिल्वर मेडल हासिल किया है।

By Edited By: Publish:Wed, 29 Aug 2018 10:57 AM (IST) Updated:Wed, 29 Aug 2018 06:46 PM (IST)
एशियाई खेलों में मधुमिता ने बढ़ाया देश का मान मगर झारखंड में फीका सम्मान
एशियाई खेलों में मधुमिता ने बढ़ाया देश का मान मगर झारखंड में फीका सम्मान

रांची, संजीव रंजन। जकार्ता में एशियाई खेलों की तीरंदाजी स्पर्धा में झारखंड की बेटी मधुमिता ने रजत जीतकर राज्य और देश का सम्मान बढ़ाया। मधुमिता झारखंड की पहली बेटी बनी जिसने एशियाई खेलों में रजत पदक जीता। ओडिशा की धावक दुति चांद ने भी इस प्रतियोगिता में रजत जीता। दोनों का पदक एक लेकिन इन्हें अपने गृह राज्य की ओर से मिलने वाले सम्मान में फर्क दिखा। दुति को ओडिशा सरकार ने डेढ़ करोड़ रुपये दिए जाने की घोषणा की वहीं झारखंड सरकार ने मधुमिता को दस लाख रुपये दिए जाने की बात कही है।

राज्य सरकार द्वारा कैश अवार्ड की घोषणा होने के साथ ही यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि आखिर खिलाड़ियों को सम्मानित करने में झारखंड सरकार इतनी कंजूस क्यों है! प्रतिभाएं प्रदेश में भरी पड़ी हैं लेकिन इन प्रतिभाओं को न तो अच्छी तरह से तराशा जा रहा है और न ही उन्हें उचित सम्मान दिया जा रहा है। इसके विपरीत हरियाणा, ओडिशा जैसे राज्यों में देश व राज्य का नाम गौरवान्वित करने वाले खिलाड़ियों के लिए अपना खजाना खोल देती है। यही वजह है कि यहां थोक में खिलाड़ी सामने आ रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीत कर देश का नाम रोशन कर रहे हैं। हरियाणा में एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने पर तीन करोड़ के मुकाबले झारखंड में महज 12 लाख रुपये दिए जाते हैं।

झारखंड में अभी तक लागू नहीं खेल नीति : अलग राज्य बनने के बाद खिलाड़ियों में एक आस जगी कि नए राज्य में नई खेल नीति के तहत उनके खेल का विकास होगा। लेकिन अफसोस आज तक प्रदेश में खेल नीति लागू नहीं हो पाई। 2007 में खेल नीति बनाई गई थी जिसके तहत विभिन्न प्रतियोगिताओं के लिए अलग-अलग कैश अवार्ड की घोषणा की गई। इसके तहत एशियन गेम्स में स्वर्ण जीतने वाले को साढ़े सात लाख, रजत विजेता को पाच व कास्य विजेता को ढाई लाख का नकद पुरस्कार देने की बात कही गई। लेकिन सरकार के कैश अवार्ड संकल्प पर कई प्रश्न खड़े होने के कारण इसे निरस्त कर दिया गया। फिर भी 2012 तक इसी संकल्प के आधार पर पदक विजेताओं को पुरस्कृत किया जाता रहा। इसके बाद नई खेल नीति बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई। इसके तहत एशियाई खेलों के स्वर्ण विजेता को 12, रजत विजेता को दस व कास्य विजेता को सात लाख देने का निर्णय लिया गया। नई खेल नीति के लिए प्रदेश के विभिन्न जिलों में खेल विशेषज्ञों के साथ बैठक की गई। प्रारूप तैयार किया गया लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया जा सका।

कैश अवार्ड बढ़ाने की मांग : पूर्व खेलमंत्री सुदेश महतो ने बताया कि मधुमिता की उपलब्धि को देखते हुए यह कैश अवार्ड काफी कम है। दूसरे राज्यों में खिलाड़ियों को हाथों हाथ लिया जाता है इस राज्य में भी खिलाड़ियों को सम्मान मिलना चाहिए। पूर्व ओलंपियन सिलवानुस डुंगडुंग ने भी माना कि खिलाड़ियों के लिए कैश अवार्ड की राशि बढ़ाई जानी चाहिए। इससे खिलाड़ी व युवा प्रोत्साहित होंगे वह अच्छे खिलाड़ी निकलेंगे तथा अच्छे परिणाम मिलेंगे। विभागीय अधिकारियों का मानना है कि अभी तक जिस संकल्प पर हमलोग चल रहे हैं उसी के तहत उसे कैश अवार्ड दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री अपने विशेषाधिकार से अवार्ड की राशि बढ़ा सकते हैं।

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