बंग घोष समाज की अपील, अपनी बांग्ला संस्कृति और संस्कार को न भूलें युवा Ranchi News

कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि विशेष कर युवा अपनी बांग्ला संस्कृति और परंपरा को न भूलें। यह उनकी थाती है। संस्कृति और परंपरा ही बंगाली समाज की पहचान रही है। इसी के बूते देश दुनिया में इस समाज ने नाम कमाया है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Wed, 28 Oct 2020 03:43 PM (IST) Updated:Wed, 28 Oct 2020 03:45 PM (IST)
बंग घोष समाज की अपील, अपनी बांग्ला संस्कृति और संस्कार को न भूलें युवा Ranchi News
कार्यक्रम में मौजूद बांग्‍ला समाज के लोग। जागरण

रांची, जासं। रांची जिले के नामकुम क्षेत्र स्थित चाय बागान के बुधवार को मां काली बाड़ी बैंक्‍वेट हॉल में विजया दशमी के अवसर पर बंग घोष समाज की बैठक हुई। इसमें समाज के लोगों ने बंगाली संस्कृति और परंपरा को निभाते हुए विजया दशमी मनाई गई। बंग घोष समाज के अध्यक्ष विमल घोष की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि विशेष कर युवा अपनी बांग्ला संस्कृति और परंपरा को न भूलें। यह उनकी थाती है। संस्कृति और परंपरा ही बंगाली समाज की पहचान रही है।

इसी के बूते देश दुनिया में इस समाज ने नाम कमाया है। बदलते दौर में संस्कृति और परंपराएं प्रभावित हुई हैं, लेकिन इसे सहेजे रखने की जिम्मेदारी भी युवाओं के कंधे पर ही है। यदि समाज अपनी संस्कृति व परंपरा को भूल गया तो आने वाले दिनों में उसकी पहचान भी मिट जाएगी। शंख वादन से इस कार्यक्रम का शुरुआत हुई। जब शंख वादन शुरू हुआ तो पूरा परिसर भक्तिमय हो गया।

इसके बाद लोगों ने एक दूसरे को सिंदूर लगाकर मुंह मीठा कराया। साथ ही चरण छूकर आशीर्वाद भी लिया। इस मौके पर विमल घोष ने कहा कि यह हमारी सांस्कृतिक पहचान है। इसे किसी सूरत में मिटने नहीं देना है। मौजूदा समय में युवा इसे सहेज कर रख सकते हैं। संस्कार और संस्कृति के बूते समाज की जो पहचान बनी है, उसे किसी कीमत पर मिटने नहीं देना है।

घोष बंग समाज इसे हर कीमत पर बचाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। यह आयोजन भी इसी मकसद से किया गया है कि युवा इसे हमेशा याद रखें। इसे जरूर निभाएं। कार्यक्रम के दौरान सम्मान समारोह का भी आयोजन किया गया। महिलाओं को शाल देकर सम्मानित किया गया। वहीं विमल घोष की ओर से सभी संरक्षकों को गमछा देकर सम्मानित किया गया।

सम्मान पाने वालों में सुरेश चंद्र घोष, दिलीप मुखर्जी, जीडी मुखर्जी, सहदेव घोष, अनंत डे, दिलीप घोष, कानन बोला घोष आदि शामिल हैं। कार्यक्रम को सफल बनाने में पीयूष घोष, बबन घोष, बिरेन गोराई, बप्पी घोष, राजन घोष, मिढ़ा घोष, मौसमी घोष, मंजू घोष, पूर्णिमा घोष, अनुश्री घोष और सोनाली घोष ने अहम भूमिका निभाई।

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