आई थी जब मैं अपनी जमीं छोड़कर..

दैनिक जागरण झारखंड ब्रांड की ओर से आयोजित प्रत्यक्ष काव्य पाठ का आयोजन किया ।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 25 Jul 2020 01:45 AM (IST) Updated:Sat, 25 Jul 2020 01:45 AM (IST)
आई थी जब मैं अपनी जमीं छोड़कर..
आई थी जब मैं अपनी जमीं छोड़कर..

जागरण संवाददाता, रांची : दैनिक जागरण झारखंड ब्रांड की ओर से आयोजित प्रत्यक्ष काव्य पाठ प्रसारण में शुक्रवार को काठमांडू नेपाल से डॉ. श्वेता दीप्ति ने भाग लिया। वे नेपाल के सबसे पहले विश्वविद्यालय त्रिभुवन विश्वविद्यालय में हिदी केंद्रीय विभाग से जुड़ी हैं और काठमांडू से प्रकाशित होने वाली हिदी मासिक पत्रिका हिमालिनी की संपादक हैं। कई पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। साहित्य की हर विधा में इनकी कलम चलती है। एक घंटे के समय में इन्होंने अपनी कई मुक्तक, कविताओं और गीत गजल का वाचन किया। कहा कि आज उन्हें भारत की भूमि से जुड़कर खुशी हुई, क्योंकि भारत जन्मभूमि है। इसी संदर्भ में पढ़ा कि आई थी जब मैं अपनी जमीं छोड़कर, आसां नहीं था कदमों को टिकाए रखना। आज जिस महामारी से पूरा विश्व जूझ रहा है उसे संदर्भ में रखते हुए पढ़ा कि आजकल सन्नाटा बोलता है। हमारे सपने उनसे जुड़ी उम्मीदों को दर्शाती उनकी पंक्ति थी कि यूं ही किसी रोज ख्वाबों को पूछा मैंने, क्यों सजते हो बार-बार पलकों पे मेरे। आज के समय को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मानव को अपना जीवन सार्थक बनाना चाहिए। उसे यह देखना चाहिए कि उससे भी दुखी इंसान हैं। इसलिए अपनी संवेदनशीलता को जिदा रख कर दूसरों की खुशी में खुश होना चाहिए। पढ़ा कि रंगों ने चुपके से कहा आओ भर दूं, तेरे आंचल में कुछ रंगीन सपने। डॉ. श्वेता दीप्ति ने दैनिक जागरण की इस पहल की सराहना की। कहा कि दैनिक जागरण अपने सरोकारों के तहत अपनी महती भूमिका निभा रहा है। अपने फेसबुक पेज पर कलाकारों को अच्छा मौका दे रहा है।

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