35 साल बाद घर लौटे चतरा के जागेश्वर, मृत मानकर घरवालों ने पुतला बनाकर कर दिया था अंतिम संस्कार

Jharkhand News Chatra Samachar चतरा का जागेश्‍वर चचेरे भाई के साथ काम की तलाश में दिल्ली गया था। इसी दौरान वह दलाल के चंगुल में फंस गया। इधर बेटे की याद में मां-पिता की आंखें पथरा गई थी। अब माता-पिता भी नहीं रहे।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Wed, 11 Aug 2021 02:35 PM (IST) Updated:Thu, 12 Aug 2021 07:18 AM (IST)
35 साल बाद घर लौटे चतरा के जागेश्वर, मृत मानकर घरवालों ने पुतला बनाकर कर दिया था अंतिम संस्कार
Jharkhand News, Chatra Samachar चतरा का जागेश्‍वर चचेरे भाई के साथ काम की तलाश में दिल्ली गया था।

चतरा, [जुलकर नैन]। बेटे को निहारने के लिए बूढ़ी मां और पिता की आंखें पथरा गई थीं। पूरे दस साल तक उसकी खोजबीन करते रहे। वर्षों इंतजार के बाद भी कहीं कोई अता-पता नहीं चला तो बेटे को मृत समझकर घर वालों ने पुतला बनाकर उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया। धीरे-धीरे गांव-घर के लोग उसे भूल भी गए। हम बात कर रहे हैं चतरा जिले के कान्हाचट्टी प्रखंड के तुलबुल गांव निवासी जागेश्वर पासवान की। जागेश्वर 35 वर्षों बाद अपने घर लौटे हैं।

वह भी पत्नी और तीन बच्चों के साथ। जब घर लौटे तो काफी कुछ बदल चुका था। माता-पिता भी अब जीवित नहीं रहे। जागेश्वर 35 साल पहले घर से चचेरे भाई के साथ 15 साल की उम्र में नौकरी की तलाश में घरवालों को बिना बताए निकले थे। अब पत्नी रानी देवी, पुत्र रवि पासवान और पुत्री राधा कुमारी के साथ लौटे हैं। वे चचेरे भाई महरु पासवान के साथ काम की तलाश में मुंबई गए थे। धनबाद का एक बिचौलया दोनों को ले गया था।

बिचौलिया ने मुंबई के एक दलाल के पास दोनों को बेच दिया। दलाल ने उन्हें अलग-अलग लोगों के हाथों बेच दिया। पांच वर्षों के बाद महरु किसी तरह से वहां से भाग गया, जबकि जागेश्वर वहीं बंधुआ मजदूरी करता रहा। घर के लोग उसकी खोजबीन करते रहे, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। दस वर्षों बाद जागेश्वर वहां से किसी तरह भाग गया। परंतु समस्या रोटी की थी। बाद में मुंबई में ही एक पंजाबी ढाबा में काम करने लगा। ढाबा के मालिक ने भी उसे बंधुआ मजदूर बनाकर रखा।

उसी ने रानी नामक युवती से उसकी शादी करा दी। 25 वर्षों तक पति-पत्नी ने वहां काम किया। ढाबा मालिक उसे कभी बाहर निकलने नहीं दिया। कोरोना काल में काम-धंधा प्रभावित हुआ तो जागेश्वर को अपनी माटी की याद आई। वह अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर अपने पैतृक गांव के लिए निकल पड़े। जब गांव पहुंचा तो लोग खुशियों से झूम उठे। दैनिक जागरण से बातचीत में जागेश्वर ने बताया कि 35 वर्षों का सफर कैसे कटा, यह तो पता नहीं चला, लेकिन माटी की याद उसे हमेशा सताती थी।

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