स्थानीय नीति पर मुंडा समाज ने राज्यपाल से व्यक्त की पीड़ा, कहा- आदिवासियों के अनुकूल नहीं Ranchi News
Jharkhand. राज्यपाल के साथ बैठक में समाज के बुद्धिजीवियों ने कहा कि खतियान मांगा जाता है जबकि अधिसंख्य जनजातियों के पास नहीं है।
रांची, राज्य ब्यूरो। वर्तमान स्थानीय नीति जनजाति समाज के अनुकूल नहीं है, क्योंकि इस नीति के तहत स्थानीय आवास प्रमाणपत्र निर्गत करने के लिए उनसे खतियान मांगा जाता है। जबकि अधिसंख्य जनजातियों के पास यह उपलब्ध नहीं है। सोमवार को राजभवन में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के साथ बैठक के दौरान मुंडा समाज के बुद्धिजीवियों ने अपनी ये समस्या रखीं।
मुंडा समाज के बुद्धिजीवियों ने कहा कि सीएनटी एक्ट में संशोधन पर आत्ममंथन की आवश्यकता है कि क्या यह अधिनियम आदिवासियों की भूमि का सुरक्षा कवच बन पा रहा है या नहीं। बुद्धिजीवियों ने विकास के नाम पर आदिवासियों के विस्थापन की समस्या का भी मामला उठाया। साथ ही आदिवासी भूमि पर बैंक से लोन की सुविधा की मांग की। भूमि लेन-देन में थाना की बाध्यता का उल्लेख करते हुए कहा कि पूर्व में बहुत कम जिले थे। लोग इसकी बाध्यता के कारण गलत तरीके से भी जमीन लेते हैं।
बैठक में राज्यपाल ने इस पर चिंता जताई कि खूंटी क्षेत्र के लोग उनके नाम से आधार एवं राशनकार्ड राजभवन भेज रहे हैं, यह बिल्कुल गलत है। उन्होंने लोगों से ऐसा नहीं करने तथा विवेक से कार्य करने की अपील की। कहा कि लोग सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाएं। राज्यपाल ने उन्हें भ्रमित न करने एवं बुद्धिजीवी लोगों को उन्हें समझाने की भी अपील की। बता दें कि खूंटी के पत्थगड़ी क्षेत्रों में कुछ लोगों द्वारा सरकारी योजनाओं का बहिष्कार किया जा रहा है।
इधर, बैठक में राज्यपाल ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार द्वारा बहुत सी विकास एवं जन-कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिनका लाभ सभी को मिलना चाहिए। बुद्धिजीवियों का कर्तव्य है कि वे अपने समाज के लोगों को इन योजनाओं की सही जानकारी दें और उनका लाभ दिलवाएं। राज्यपाल ने जनजाति समुदाय को नशापान से दूर रहने के लिए प्रेरित करने का भी आह्वान बुद्धिजीवियों से किया।
बैंक लोन पर राज्यपाल ने बताया कि आदिवासी भूमि पर बैंक द्वारा लोन दिए जाने के प्रावधान की दिशा में ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई थी। इसमें यह निर्णय हुआ था कि आदिवासी भूमि को मॉर्गेज रखकर उस पर बैंक द्वारा लोन उपलब्ध कराया जाएगा और सरकार उसकी गारंटर बनेगी। इसकी जानकारी लोगों तक पहुंचाई जानी चाहिए।
सिर्फ जमीन के लिए कोई नहीं कर पाए आदिवासी लड़की से शादी
राज्यपाल ने कहा कि यदि कोई गैर आदिवासी व्यक्ति आदिवासी लड़की से सिर्फ संपत्ति अथवा जमीन के लालच में शादी करता है तो यह अनुचित है। इसे रोकने के लिए सख्त नियम बनाया जा रहा है। विवाहित लड़कियों को अब अपने पति का नाम लिखना आवश्यक है और उसे जांच के बाद लाभ प्राप्त नहीं होगा।
मुंडा बुद्धिजीवियों ने दिए ये भी सुझाव मुंडारी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। जनजातीय भाषा विभागों में शिक्षकों की कमी दूर हो तथा विश्वविद्यालयों में एसटी-एससी सेल का गठन हो। ग्राम सभा की शक्तियों में वृद्धि की जाए तथा पेसा एक्ट का रूल शीघ्र गठित हो। चतुर्थ श्रेणी की नौकरी में आउटसोर्सिंग नियुक्ति पर रोक लगे। जनजातीय खेल को प्रोत्साहित किया जाए।