टाटा मोटर्स समेत दूसरे उद्योग-धंधे अब भी सुस्‍त, इस रफ्तार से तो पिछड़ जाएगा झारखंड

झारखंड सरकार कारोबारी समूह को राहत देने पर सुस्त है। उद्योग को अनलॉक करने के बाद भी सहूलियतें नहीं मिल रहीं। ऐसे में महज 40 प्रतिशत प्रोडक्शन ही हो रहा है।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Fri, 05 Jun 2020 06:04 AM (IST) Updated:Fri, 05 Jun 2020 05:45 PM (IST)
टाटा मोटर्स समेत दूसरे उद्योग-धंधे अब भी सुस्‍त, इस रफ्तार से तो पिछड़ जाएगा झारखंड
टाटा मोटर्स समेत दूसरे उद्योग-धंधे अब भी सुस्‍त, इस रफ्तार से तो पिछड़ जाएगा झारखंड

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड में उद्योग तो खुल तो गए हैं लेकिन बाजार में  रौनक नहीं लौट रही है। इसकी एक बड़ी वजह औद्योगिक क्षेत्रों में ढिलाई के साथ-साथ मदद को लेकर सरकार की उदासीनता है। सबसे अधिक लोगों को रोजगार और स्वरोजगार से जोडऩेवाले एमएसएमई सेक्टर की मांगें अधूरी है। अभी तक खुले उद्योग 25 से 40 फीसद तक ही उत्पादन कर पा रहे हैं। कर्मियों की पूरी तरह वापसी नहीं हुई है और इससे भी बड़ा कारण है कि बाजार में सप्लाई चेन पूरा नहीं हो पा रहा है। इससे डिमांड में कमी के साथ-साथ कच्चे माल का टोटा है।

मार्केटिंग की भी समस्याएं हैैं। एक मायने में कहा जाए तो उद्योग सेक्टर अभी ऑफलाइन मोड में ही काम कर रहा है। किसी प्रकार का निर्णय नहीं होने के कारण व्यवसायी कारोबार छोडऩे तक का मन बनाने लगे हैं। ऑल इंडिया मेनुफैक्चरर ऑरगेनाइजेशन ने खुलासा किया है कि 35 फीसद एमएमएमई उद्यमी और 37 प्रतिशत स्वरोजगार से जुड़े लोग काम छोड़ सकते हैैं। अगर ऐसा हुआ तो झारखंड को जोर का झटका लगेगा। झारखंड में छोटे और मंझोले उद्योग पर इसका खासा असर पड़ेगा। ऐसे में सरकार से सहूलियतों की दरकार इस क्षेत्र को है, वरना राज्य विकास की रफ्तार में पिछड़ जाएगा। 

क्या चाहते हैैं उद्यमी

- बिजली का फिक्स चार्ज नहीं लगे, बिजली बिल में भुगतान में देरी पर जुर्माने में छूट। सरकार से स्तर से लाइसेंस के नियमों में ढील मिले, बैैंकर्स का सहयोग मिले ताकि घाटा को पूरा किया जा सके। 

पड़ोसी राज्यों में मिल रही सहूलियत  -पश्चिम बंगाल में राज्य सरकार जमीन के साथ-साथ शेड बनाकर व्यवसायियों को आमंत्रित कर रही है। झारखंड में भी रेडी टू मूव आधार पर भूखंडों का आवंटन करना आवश्यक है। इसके अलावा औद्योगिक क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित करना चाहिए। 

राजस्व संग्रह को भी झटका

उद्योगों को झटके का असर सरकारी राजस्व की वसूली पर भी पड़ रहा है। वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए वाणिज्यकर विभाग ने 17 हजार करोड़ वसूली का लक्ष्य निर्धारित किया था। इसमें प्रतिमाह 1400 करोड़ से अधिक की आमद का अनुमान लगाया गया था। लेकिन लगातार दूसरे महीने कलेक्शन का आंकड़ा लक्ष्य के करीब नहीं आ सका है। जीएसटी के मद में केंद्र से मिलने वाली कंपनशेसन की राशि भी नहीं मिल पा रही है।

अंतिम राशि अप्रैल माह में मिली थी। जीएसटी के लागू प्रावधान के तहत यह तय किया गया था कि प्रतिमाह इस मद के टैक्स से होने वाली आय में जो कमी आएगी उसका भुगतान केंद्र सरकार के स्तर से कंपनेशसन के एवज में किया जाएगा। यह शुरुआती पांच सालों के लिए किया गया था। इसकी अवधि जून 2022 में समाप्त होगी।

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