काव्य गोष्ठी में महिला साहित्यकारों ने सुनाई अपनी-अपनी रचनाएं

शनिवार को अशोक नगर में महिला काव्य मंच झारखंड इकाई की ओर से आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 14 Jul 2019 04:47 AM (IST) Updated:Sun, 14 Jul 2019 06:44 AM (IST)
काव्य गोष्ठी में महिला साहित्यकारों ने सुनाई अपनी-अपनी रचनाएं
काव्य गोष्ठी में महिला साहित्यकारों ने सुनाई अपनी-अपनी रचनाएं

जागरण संवाददाता, रांची : शनिवार को अशोक नगर में महिला काव्य मंच झारखंड इकाई की ओर से आयोजित काव्य गोष्ठी में महिला साहित्यकारों ने अपनी-अपनी रचनाएं सुनाई। इस अवसर पर रायपुर की साहित्यकार डॉ. उर्मिला शुक्ल भी उपस्थित थीं। राज्य के तीन जिलों में मंच की शाखाएं खुलने पर सदस्याओं को बधाई भी दी गई। काव्य गोष्ठी की शुरुआत संगीता सहाय ने सरस्वती वंदना से की। इस अवसर पर डॉ. उर्मिला शुक्ल ने अपने प्रकाशाधीन उपन्यास बिन ड्योढ़ी का घर व चर्चित कहानी बड़की अम्मा की समीक्षा सुनाई। छत्तीसगढ़ की औरत बोती है धान, निदाई कटाई और मिसाई करके भर देती है कोठी में धान और गढ़ रही है औरत कविता की पंक्तियां सुनाई। रेणुबाला धर ने चल दिए हैं दूर वो मुझसे गीत सुनाई। रेणु झा ने लोकगीत सावन महीना चांदनी रात, भीगे ही अहां के याद संग सुना कर सावन की याद दिला दी। गीता चौबे ने अपनी रचना बस परखने की पैनी नजर चाहिए सुनाई। संगीता सहाय अनुभूति ने अपनी कविता उलझी हुई है जिन्दगी सुनाई। संगीता सहाय ने अपनी कहानी का पाठ किया। रुणा रश्मि ने कुछ पता भी न चला, रंजन वर्मा ने बोल बम के स्वर से मन झूम उठा शंभू और मंजुला सिन्हा ने देखो कैसे खड़े हुए हैं, अपनी जिद पर अड़े हुए हैं, कविता सुनाई। प्रीता अरविंद ने अपनी कविता ये उन दिनों की बात है, वीणा श्रीवास्तव ने अपनी गजल और कविता सुनाकर सभी को भावुक कर दिया । मंच की संरक्षिका डॉ. सुरिंदर कौर नीलम ने कभी फुर्सत में आना मेरे पास जिंदगी गीत सुनाई। मंच की अध्यक्ष सारिका भूषण ने अपनी कविता उसका गूंगापन, तपिश और मुझे पता है, उसकी जड़ें अभी भी उसी गमले में है, और मुझे विश्वास है मरेगा नहीं सुनाई।

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