आठ माह में सैकड़ों बेटियों से दरिदगी, एक को भी स्पीडी ट्रायल से सजा नहीं

बेटियों की सुरक्षा सिर्फ पुलिस नहीं कर सकती। राज्य पुलिस प्रमुख का यह बयान सही है लेकिन तब जब पुलिस अपना काम जिम्मेदारी और ईमानदारी से करे। बेटियों से दरिदगी करने वालों को पुलिस तेजी से गिरफ्तार करे उन्हें सजा दिलाए तब समझा जा सकता है कि वह अपना काम सही तरीके से कर रही है। लेकिन हकीकत है कि पुलिस इस मामले में संवेदनशील नहीं। पिछले आठ महीने में राज्य में बच्चियों युवतियों व महिलाओं से अपराध का आंकड़ा देखा जाए तो यह सैकड़ों में है। पुलिस ने ऐसे मामलों में आरोपितों को गिरफ्तार करने में तो थोड़ी सक्रियता दिखाई लेकिन उन्हें सजा दिलाने के मामले में में निष्क्रिय बनी हुई है। इनमें से कोई भी मामला स्पीडी ट्रायल में नहीं ले जाया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Oct 2020 12:24 AM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 05:08 AM (IST)
आठ माह में सैकड़ों बेटियों से दरिदगी,  एक को भी स्पीडी ट्रायल से सजा नहीं
आठ माह में सैकड़ों बेटियों से दरिदगी, एक को भी स्पीडी ट्रायल से सजा नहीं

रांची : बेटियों की सुरक्षा सिर्फ पुलिस नहीं कर सकती। राज्य पुलिस प्रमुख का यह बयान सही है, लेकिन तब जब पुलिस अपना काम जिम्मेदारी और ईमानदारी से करे। बेटियों से दरिदगी करने वालों को पुलिस तेजी से गिरफ्तार करे, उन्हें सजा दिलाए तब समझा जा सकता है कि वह अपना काम सही तरीके से कर रही है। लेकिन हकीकत है कि पुलिस इस मामले में संवेदनशील नहीं। पिछले आठ महीने में राज्य में बच्चियों, युवतियों व महिलाओं से अपराध का आंकड़ा देखा जाए तो यह सैकड़ों में है। पुलिस ने ऐसे मामलों में आरोपितों को गिरफ्तार करने में तो थोड़ी सक्रियता दिखाई, लेकिन उन्हें सजा दिलाने के मामले में में निष्क्रिय बनी हुई है। इनमें से कोई भी मामला स्पीडी ट्रायल में नहीं ले जाया गया। ऐसी किसी भी घटना में 30 दिनों में अनुसंधान व पर्यवेक्षण व 45 दिनों में चार्जशीट को लेकर पूर्व में बनी गाइडलाइन फाइलों में ही रह गई। जाहिर तौर पर इन कार्यो में पुलिस का सहयोग समाज और अभिभावक तो कर नहीं सकते। किसी मामले में फौरन आरोपितों की गिरफ्तारी और स्पीडी ट्रायल से सजा मिलने पर ही अपराधियों में पुलिस कानून का भय पैदा कर सकती है, जिससे ऐसे मामलों में कमी आए।

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गिरफ्तारी तक ही सिमटा दायरा : गोड्डा में आश्रम में घुसकर एक साध्वी से सामूहिक दुष्कर्म हो, साहिबगंज, दुमका, गुमला में नाबालिगों से सामूहिक दुष्कर्म या दुष्कर्म के बाद हत्या का मामला हो। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपित को गिरफ्तार कर तो कर लिया, लेकिन इन मामलों को अंजाम तक नहीं पहुंचा पाई। साध्वी से सामूहिक दुष्कर्म समेत कई मामलों में पुलिस पदाधिकारियों ने कहा भी था कि आरोपितों को स्पीडी ट्रायल के माध्यम से सजा दिलाई जाएगी।

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राज्य गढ़ चुका है स्पीडी ट्रायल का कीर्तिमान :

हाल के महीनों में स्पीडी ट्रायल के मामलों में जरूर सुस्ती आ गई है लेकिन इसी राज्य में स्पीडी ट्रायल का कीर्तिमान गढ़ा जा चुका है। झारखंड की उपराजधानी दुमका में छह साल की बच्ची की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में महज चार दिनों के भीतर सुनवाई पूरी कर निचली अदालत ने तीनों ही अभियुक्तों को फांसी की सजा सुनाई थी। घटना इसी वर्ष पांच फरवरी को घटी थी। पुलिस ने वैज्ञानिक अनुसंधान सहित सभी प्रमुख साक्ष्यों के साथ आरोप पत्र दाखिल किया था। एक महीने से भी कम अवधि में अभियुक्तों को फांसी की सजा सुना दी गई थी। इसी तरह कांके में लॉ की छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में भी स्पीडी ट्रायल से आरोपितों को उम्र कैद की सजा हो चुकी है। दुमका के केस को नेशनल पुलिस एकेडमी में उदाहरण के रूप में प्रशिक्षुओं को पढ़ाया जा रहा है।

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