नेत्रदान-महादान: लंबे इंतजार के बाद रोशन हुई नेत्रहीनों की जिदंगी, IAS निधि खरे ने की अगुआई

झारखंड के सरकारी अस्पतालों में इसकी शुरुआत कराने का श्रेय स्वास्थ्य विभाग की पूर्व प्रधान सचिव निधि खरे को जाता है। रिम्स में पहला कार्निया ट्रांसप्लांट भी साल 2018 में संभव हुआ।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Thu, 29 Aug 2019 12:40 PM (IST) Updated:Thu, 29 Aug 2019 12:40 PM (IST)
नेत्रदान-महादान: लंबे इंतजार के बाद रोशन हुई नेत्रहीनों की जिदंगी, IAS निधि खरे ने की अगुआई
नेत्रदान-महादान: लंबे इंतजार के बाद रोशन हुई नेत्रहीनों की जिदंगी, IAS निधि खरे ने की अगुआई

रांची, जेएनएन। दुनिया से जाने के बाद भी आपकी आंखों से दुनिया को देखा जा सकता है। यह स्लोगन पढ़ने और सुनने में बेहतरीन लगता है। लेकिन इसको अंजाम तक पहुंचाने की दिशा में पहले करने में राज्य सरकार को वर्षों लग गए। जिनकी इच्छा नेत्रदान करने की होती थी, उन्हें भी सफलता नहीं मिलती थी। झारखंड के प्रमुख अस्पतालों में आई बैंक की स्थापना दस साल पूर्व होने के बाद भी नेत्रदान और कार्निया ट्रांसप्लांट का काम शुरू नहीं हो सका था।

सरकारी अस्पतालों में इसकी शुरुआत कराने का श्रेय स्वास्थ्य विभाग की पूर्व प्रधान सचिव निधि खरे को जाता है। साल 2018 में विभाग की जिम्मेवारी संभालने के बाद उन्हें यह जानकार निराशा हुई कि राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में आई बैंक की स्थापना 2008 में हुई थी। इसके बाद भी यहां नेत्रदान की सुविधा नहीं है। निधि खरे ने हालात को फौरन बदलने का फैसला किया। जरुरी उपकरण मंगाये गए। डाक्टरों की टीम बनाई गई और काम शुरु हुआ। कार्निया ट्रांसप्लांट के बाद मरीज की देखरेख में कोई कमी नहीं रह जाए, इसकी मोनेटरिंग खुद अपने हाथों में लिया।

लखनऊ के मशहूर किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज अस्पताल का दौरा किया। झारखंड और यहां के विशेषज्ञों के बीच जानकारियों को साझा कराने की दिशा में पहल की गई। नेत्रदान के लिए रिम्स को सेंट्रल रजिस्ट्रेशन सिस्टम से जोड़ने को कहा गया। इन कोशिशों ने असर दिखाना शुरू कर दिया। रिम्स में पहला कार्निया ट्रांसप्लांट भी साल 2018 में संभव हो गया। जमशेदपुर के डाक्टर एके दास के पुत्र स्व. दीपांकर की आंखों से गिरीडीह की दो लड़कियों के जीवन में उजाला आ गया। इस सफलता के बाद निधि खरे ने राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों को हर साल 250 कार्निया ट्रांसप्लांट करने का लक्ष्य दिया था। पूरे साल जागरुकता अभियान चलाने का काम शुरु करने का निर्देश दिया।

नेत्रदान करने वालों को कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़े इसकी मुक्कमल व्यवस्था तैयार की गई । फिलहाल निधि खरे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली में तैनात हैं। हालांकि इनके द्वारा शुरु कराया गया काम अब अभियान का रुप पकड़ने लगा है। अब तक रिम्स में 24 लोगों का कार्निया ट्रांसप्लांट हो चुका है। वहीं 54 लोगों ने नेत्रदान किया है। आने वाले दिनों में यह संख्या और बढ़ सकती है। इसके लिए जरुरी है कि मजबूत इच्छाशक्ति के साथ सालो भर काम किया जाए।

किसी के जीवन में रौशनी लाने से बेहतर कोई दूसरा काम नहीं है। रिम्स में पहला कॉर्निया ट्रांसप्लांट के बाद उन दोनों बच्चियों से मिलकर जितनी खुशी हुई थी,उसका वर्णन करना संभव नहीं। झारखंड में नेत्रदान करने वालों की संख्या कम नहीं है। कार्निया ट्रांसप्लांट का काम सरकारी अस्पतालों में शुरु होने से यह संख्या बढ़ेगी। डाक्टरों की अच्छी टीम है। इनकी मदद से इस क्षेत्र में शानदार काम होने की उम्मीद रखती हूं। निधि खरे , संयुक्त सचिव वन एंव पर्यावरण मंत्रालाय

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