रांची-टाटा फोरलेन निर्माण का पैसा कंपनी ने दूसरे मद में किया खर्च

रांची-जमशेदपुर सड़क निर्माण मामले में संवेदक कंपनी द्वारा राशि में गड़बड़ी पर हाई कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है। इस मामले में आगे सीबीआइ जांच की अनुशंसा भी की जा सकती है।

By Edited By: Publish:Tue, 10 Jul 2018 10:37 AM (IST) Updated:Tue, 10 Jul 2018 10:37 AM (IST)
रांची-टाटा फोरलेन निर्माण का पैसा कंपनी ने दूसरे मद में किया खर्च
रांची-टाटा फोरलेन निर्माण का पैसा कंपनी ने दूसरे मद में किया खर्च

राज्य ब्यूरो, रांची : राची-जमशेदपुर सड़क निर्माण मामले में संवेदक कंपनी द्वारा राशि में गड़बड़ी करने की जांच सीबीआइ कर सकती है। एसएफआइओ की रिपोर्ट के मुताबिक बैंकों से सड़क निर्माण मद में मिले पैसे को दूसरे मद में किया गया खर्च। हाई कोर्ट ने एसएफआइओ (सीरियस फ्राड इन्वेस्टिगेशन ऑर्गेनाइजेशन) की रिपोर्ट देखने के बाद उक्त मामले में सीबीआइ जांच की आवश्यकता बताते हुए सीबीआइ को नोटिस करते हुए निर्देश दिया कि वो इस मामले में उच्च अधिकारियों से सुझाव लेकर कोर्ट को अवगत कराएं। मामले की अगली सुनवाई 25 जुलाई को निर्धारित की गई है। दरअसल, हाई कोर्ट के आदेश पर केंद्र सरकार की एजेंसी एसएफआइओ ने इस मामले की प्रारंभिक जांच की थी।

एजेंसी ने अपनी जांच रिपोर्ट में निर्माण राशि में गड़बड़ी की बात कही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सड़क निर्माण के नाम पर कंपनी ने बैंक से राशि ली और अपने दूसरे खातों में भेज दिया जिसमें वित्तीय गड़बड़ी हुई है जिसकी जांच होनी चाहिए। कोर्ट ने बैंक को फटकार लगाते हुए कहा कि बैंक का काम सिर्फ पैसे दे देना है क्या। अगर आपने सड़क निर्माण कार्य के लिए कंपनी को पैसे दिए तो काम को भी देखना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा कि एनएचएआइ की शिथिलता की वजह से इस काम में देरी हो रही है। सड़क का निर्माण करने वाली मधुकॉन की अनुषंगी कंपनी राची एक्सप्रेस वे की ओर से कहा गया कि उसने एसएफआइओ की रिपोर्ट देखी है। रिपोर्ट देखने के बाद उनकी ओर से जवाब दाखिल करने का आग्रह किया गया। फॉरेस्ट क्लीयरेंस नहीं मिलने, जमीन अधिग्रहण में विलंब होने और अतिक्रमण नहीं हटाए जाने के कारण इस प्रोजेक्ट में विलंब हुआ है। लेकिन कोर्ट ने इस दलील को नहीं माना।

500 लोगों की मौत को अनदेखा नहीं किया जा सकता : हाई कोर्ट सुनवाई के दौरान जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस एके चौधरी की कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि उक्त सड़क पर एक हजार लोग गंभीर दुर्घटना के शिकार हुए हैं। पांच सौ से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इस सड़क से प्रतिदिन सात हजार वाहनों का आवागमन होता है। जून-2015 में इस सड़क को बनकर तैयार हो जाना चाहिए था, लेकिन अभी तकमात्र पचास फीसद ही काम पूरा हुआ है। कोर्ट इसकी अनदेखी नहीं कर सकती है। इस सड़क के निर्माण में 1564 करोड़ रुपये खर्च होने थे। पिछले दिनों केंद्र सरकार की ओर से एसएफआइओ (सीरियस फ्राड इन्वेस्टिगेटिंग ऑर्गेनाइजेशन) की सीलबंद रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की गई। बता दें कि झारखंड हाई कोर्ट उक्त सड़क निर्माण मामले में स्वत: संज्ञान से दर्ज याचिका पर सुनवाई कर रहा है।

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