चिकित्सकों ने सराहनीय प्रयास से मरीजों के पैरों की मिली नई जान

चिकित्सकों के सराहनीय प्रयास से दो मरीजों को नहीं जिंदगी मिली। कई अस्पतालों में असफल इलाज कराने के बाद रांची के चिकित्सक डॉ. अनूप ने सफल इलाज किया। इलाज में भी कम पैसा खर्च हुआ।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Jul 2018 08:19 AM (IST) Updated:Mon, 02 Jul 2018 08:19 AM (IST)
चिकित्सकों ने सराहनीय प्रयास से मरीजों के पैरों की मिली नई जान
चिकित्सकों ने सराहनीय प्रयास से मरीजों के पैरों की मिली नई जान

रांची : चिकित्सकों के सराहनीय प्रयास से दो मरीजों को नहीं जिंदगी मिली। चलने से असमर्थ मरीजों को उनके पैरों को नई जान मिली है। बरियातू रोड स्थित हेल्थ प्वाइंट अस्पताल के डॉ. अनूप मोहन नायर व डॉ. ओपी श्रीवास्तव की टीम ने सीआरपीएफ के जवान को अपने पैरों पर चलने लायक बना दिया। दरअसल वहीं दोनों डॉक्टरों की टीम ने एक 60 वर्षीय महिला के घुटने का प्रत्यारोपण कर उन्हें उनके पैरों पर फिर से खड़ा होने लायक ही नहीं बल्कि पूर्व की तरह कर दिया। इसकी जानकारी रविवार को अस्पताल परिसर में आयोजित प्रेसवार्ता में डॉ. अनूप मोहन नायर ने दी।

दरअसल जवान 30 वर्षीय सुनीलाल उराव पिता रामू उराव निवासी ओवरा टोली, गुमला की मार्च माह में दुर्घटना हो गई थी। जिसमें पैर में गंभीर चोट की वजह से उसका घुटना आगे की ओर उल्टा मुड़ गया। उसके पैर में घुटने का चारो लिगामेंट टूट चुके थे। पहले उसे लोहरदगा सदर अस्पताल में ले जाया गया। उसके बाद उसकी गंभीर हालत देख उसे पास के ही एक निजी नर्सिंग होम ले जाया गया। जहा डॉक्टरों ने सुनीलाल के घुटने की चोट की गंभीरता को देखते हुए उसे किसी बड़े अस्पताल में ले जाने की सलाह दी। उसके बाद मरीज हेल्थ प्वाइंट अस्पताल पहुंचा। जहा डॉ. अनूप मोहन नायर की देखरेख में मरीज का इलाज शुरु किया गया। डॉ. नायर व डॉ. ओपी श्रीवास्तव के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने दो बार मरीज के घुटने का ऑपरेशन कर चारो लिगामेंट एसीएनएल, एमसीएनएल, पीसीएल व एलसीएल को जोड़ने का कार्य किया। यह ऑपरेशन पूरी तरह से सफल रहा। डॉ. नायर के अनुसार सुनीलाल अब पूर्व की तरह अपने सारे काम करने में सक्षम होगा। करीब छह माह बाद वह अपनी नौकरी पर वापस लौट सकते हैं। इस ऑपरेशन में करीब एक लाख रुपये का खर्च आया है।

वहीं 60 वर्ष की डालटनगंज के साहपुर की रहने वाली असीफा खातून पिछले 20 वषरें से घुटने के दर्द से परेशान थी। पिछले 10 वर्ष से घुटने के दर्द के कारण मरीज के घुटने के नीचे के पैर का हिस्सा टेढ़ा होने लगा था। जिससे वह अपने दैनिक कार्य करने में भी परेशान हो जाती थी। वह 2009 में राची आकर कई डॉक्टरों को दिखाया। लेकिन उन्हें घुटने के दर्द से निजात नहीं मिल सकी। तब परिजन असीफा खातून को उनके परिजन वेल्लोर ले जाने की तैयारी करने लगे। इसी बीच परिजनों ने हेल्थ प्वाइंट के चिकित्सक से सलाह लेने का विचार किया व मरीज को लेकर सभी राची आए। मरीज को अब तक देखने वाले सभी चिकित्सकों ने कहा था कि घुटने का ऑपरेशन करना होगा। लेकिन किसी ने उनके टेढ़े पैर को सीधा कर देने की बात नहीं कही थी। लेकिन डॉ. अनूप ने मरीज व उनके परिजन को आश्वस्त किया कि घुटने का प्रत्यारोपण करने के बाद उनके पैर भी सीध हो जाएंगे। 23 अप्रैल को मरीज के दाहिने पैर के घुटने का ऑपरेशन हुआ। दो माह में ही मरीज को बहुत आराम है। वह अब अपने सारे काम खुद कर सकने में सक्षम हैं।

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