बच्चों का सौदागर निकला पारा शिक्षक, बहला फुसलाकर काम करने भेजता था बाहर Garhwa News
Jharkhand Child Labour चाइल्ड लाइन के टाेल फ्री नंबर पर शिकायत मिलने के बाद इसका खुलासा हुआ है। बच्चों को रेस्क्यू कराने की कवायद शुरू हो गई है। दोषी शिक्षक पर कार्रवाई के लिए सीडब्ल्यूसी ने निर्देश दिया है।
गढ़वा, [अंजनी कुमार उपाध्याय]। शिक्षकों को राष्ट्र निर्माता कहा जाता है। उनका दायित्व विद्यालय के बच्चों का भविष्य संवारने का है। लेकिन गढ़वा जिले के केतार प्रखंड में एक शिक्षक बच्चों का सौदागर निकला। वह नाबालिग बच्चों को बहला फुसलाकर उन्हें मजदूरी करने के लिए राज्य के बाहर भेजता है। चाइल्ड लाइन के टाेल फ्री नंबर 1098 पर किसी ने फोन कर मामले में शिकायत दर्ज कराई है। बताया कि केतार मध्य विद्यालय के पारा शिक्षक दिलीप जायसवाल द्वारा स्कूलों में पढ़ने वाले नाबालिग बच्चों को बाहर काम करने के लिए भेजा जाता है।
इस शिकायत के पश्चात चाइल्ड लाइन द्वारा बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) को जानकारी दी गई। तब सीडब्ल्यूसी ने इस पर संज्ञान लेकर कार्रवाई शुरू की। बाल कल्याण समिति के चेयरपर्सन उपेंद्रनाथ दुबे ने मामले के सत्यापन एवं जांच के लिए पीएलवी को भेजा। जांच में केतरी गांव के एक नाबालिग लड़का को बालश्रम के लिए भेजने की चल रही तैयारी की पुष्टि हुई। इसके पहले आठ नाबालिग लड़कों को आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा में लार्सन एंड टूब्रो कंपनी में काम करने के लिए भेजे जाने की भी बात सामने आई है।
सीडब्ल्यूसी के निर्देश पर विजयवाड़ा भेजे गए सभी बच्चों को वापस लाने की कार्रवाई शुरू की गई है़। जबकि आरोपी पारा शिक्षक दिलीप जायसवाल के विरुद्ध बाल श्रम के मामले में कार्रवाई शुरू की गई है़। सीडब्ल्यूसी चेयरपर्सन उपेंद्रनाथ दुबे ने जिला शिक्षा अधीक्षक को पत्र भेजकर पारा शिक्षक पर विभागीय कार्रवाई करने का निर्देश दिया है़।
'बाल श्रम कराना जेजे एक्ट का सीधा उल्लंघन है़। नाबालिग लड़कों को काम करने के लिए बाहर भेजने वाले पारा शिक्षक पर कार्रवाई के लिए निर्देश दिया गया है। वहीं नाबालिग लड़कों को रेस्क्यू कराने की कार्रवाई का भी निर्देश दिया गया है।' -उपेंद्रनाथ दुबे, चेयरपर्सन, सीडब्ल्यूसी, गढ़वा।