झारखंड की चार बेटियां लगाएंगी मेडल पर निशाना

एशियन खेलों में झारखंड की चार बेटियां पदक पर निशाना साधेंगी। चार में से तीन जहां तीरंदाजी में निशाना साधेगी व एक हॉकी में जलवा बिखेरेंगी।

By Edited By: Publish:Mon, 20 Aug 2018 10:48 PM (IST) Updated:Tue, 21 Aug 2018 12:51 PM (IST)
झारखंड की चार बेटियां लगाएंगी मेडल पर निशाना
झारखंड की चार बेटियां लगाएंगी मेडल पर निशाना

रांची, संजीव रंजन। इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता व पालेमबांग में चल रहे एशियन खेलों में झारखंड की चार बेटियां पदक पर निशाना साधेंगी। चार में से तीन जहां तीरंदाजी में निशाना साधेगी व एक हॉकी में जलवा बिखेरेंगी। एशियन गेम्स में भारतीय महिला हॉकी टीम में खूंटी की निक्की प्रधान, तीरंदाजी में रांची की दीपिका कुमारी, सिल्ली की मधुमिता कुमारी और जमशेदपुर की लक्ष्मी रानी माझी शामिल हैं। झारखंड की चारों बेटियां 6 पदक के लिए दावेदारी पेश करेंगी।

दीपिका कुमारी अपने अभियान की शुरुआत सिंगल्स महिला रिकर्व से करेंगी। दीपिका कुमारी और मधुमिता कुमारी तीरंदाजी के रिकर्व और कंपाउंड में व्यक्तिगत, मिक्स्ड और टीम के लिए पदक पर निशाना साधेंगी। जबकि मधुमिता कुमारी कंपाउंड इवेंट में मिक्स्ड और टीम के लिए निशाना साधेंगी। माना जा रहा है कि तीरंदाजी में झारखंड की बेटियां कम से कम तीन पदक जीत सकती हैं। वहीं, निक्की प्रधान झारखंड की अब तक की पहली महिला हॉकी ओलंपियन हैं। उन्हें रियो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम में जगह मिली थी। एशियन गेम्स में भारतीय महिला हॉकी टीम से भी मेडल की उम्मीद जताई जा रही है। आग में तपकर निखरीं है चारों खिलाड़ी एशियन गेम्स में भारत की ओर से खेलने गई झारखंड की चारों बेटिया संघर्ष की आग में तपकर इस मुकाम तक पहुंची हैं।

निक्की प्रधान खूंटी के मुरहू थाना क्षेत्र के पेरोल गांव की हैं। सामान्य परिवार में जन्मी निक्की को उनकी बहनों से विरासत में हॉकी मिली है। निक्की की बड़ी बहन शशि प्रधान नेशनल खेल चुकी है, जबकि सरीना प्रधान और काति प्रधान भी झारखंड का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। तीरंदाजी में मेडल पर निशाना साधने गई झारखंड की दीपिका कुमारी, मधुमिता कुमारी और लक्ष्मी रानी माझी भी गरीब परिवार से हैं। रांची के रातू की रहने वाली दीपिका कुमारी के पिता ऑटो रिक्शा चलाया करते थे और उनकी मां नर्स हैं।

रांची के सिल्ली की रहने वाली मधुमिता कुमारी के पिता घाटो स्थित सीसीएल के काटा घर में काम करते हैं। लक्ष्मी रानी माझी जमशेदपुर के घाटशिला की है। इन्हें भी अपने शुरुआती दिनों में काफी संघर्ष करना पड़ा था। अथक परिश्रम के बाद इन लोगों ने अपनी जगह बनाई। कोट निक्की झारखंड की पहली महिला ओलंपियन है।

रियो ओलंपिक के बाद वह एशियाई खेलों में भाग लेने के लिए जकार्ता गई है। आज वह अपने परिश्रम व लगन से देश व राज्य का नाम रौशन कर रही है।
-सिलवानुस डुंगडुंग, पूर्व ओलंपियन

ओलंपिक हो या एशियन गेम्स इसमें पदक जीतना बड़ी बात है। हमारी चार बेटियां देश का प्रतिनिधित्व कर रही है उम्मीद है कि सभी वहां बेहतर प्रदर्शन करेंगी।
-मनोहर टोप्पनो, पूर्व ओलंपियन।

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