पूर्व मंत्री योगेंद्र साव की सुरक्षा में गए पुलिसकर्मियों की लापरवाही पर विभागीय कार्रवाई शुरू, आरोप सिद्ध होने पर होंगे बर्खास्त

रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद पूर्व मंत्री योगेंद्र साव की सुरक्षा में दिल्ली गए दारोगा सहित छह पुलिसकर्मी पंजाब हिमाचल जम्मू और यूपी के टूर में घूमने के मामले में विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है। अब आरोप सिद्ध होने पर बर्खास्तगी की कार्रवाई...

By Vikram GiriEdited By: Publish:Sun, 18 Oct 2020 10:10 AM (IST) Updated:Sun, 18 Oct 2020 10:10 AM (IST)
पूर्व मंत्री योगेंद्र साव की सुरक्षा में गए पुलिसकर्मियों की लापरवाही पर विभागीय कार्रवाई शुरू, आरोप सिद्ध होने पर होंगे बर्खास्त
पंजाब, हिमाचल, जम्मू और यूपी के टूर में घूमने के मामले में विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है। जागरण

रांची (जागरण संवाददाता) । रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद पूर्व मंत्री योगेंद्र साव की सुरक्षा में दिल्ली गए दारोगा सहित छह पुलिसकर्मी पंजाब, हिमाचल, जम्मू और यूपी के टूर में घूमने के मामले में विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है। अब आरोप सिद्ध होने पर बर्खास्तगी की कार्रवाई भी हो सकती है। पुलिसकर्मियों के घूमने निकल जाने के बाद पूर्व मंत्री कांग्रेस के आलाकमानों से खुले तौर पर मिलते रहे थे। उन्हें देखने या राेक-टोक करने वाला कोई नहीं था। जब पुलिसकर्मियों ने दिए गए गाइडलाइंस का उल्लंघन किया तब उनकी जांच हुई। जांच में सभी का लोकेशन अलग-अलग राज्यों में एक साथ घूमते पाया गया।

इसके बाद सभी को रांची के एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा ने सस्पेंड कर दिया। इस पूरे मामले की जांच डीएसपी मुख्यालय वन नीरज कुमार ने की। जांच में दोषी पाए जाने पर छह पुलिसकर्मी सस्पेंड कर दिए गए। इन पुलिसकर्मियाें के बारे में जांच रिपोर्ट में उल्लेख है कि जेल से इलाज के लिए पूर्व मंत्री योगेंद्र साव के लिए जारी एसओपी का खुले तौर पर उल्लंघन किया गया। ड्यूटी में लगे पुलिसकर्मियों ने किसी भी  तरह की रिपोर्ट एसएसपी और जेल अधीक्षक को नहीं दी गई। एक महीने के दौरान करीब 15 दिन पुलिसकर्मियों का लोकेशन दिल्ली से बाहर का मिला है। इधर, डीएसपी मुख्यालय वन द्वारा जांच के दाैरान पुलिसकर्मियों ने झूठ बाेला अाैर कहा कि वे दिल्ली से बाहर नहीं गए।

जारी इन एसओपी का किया उल्लंघन

-पूर्व मंत्री के लिए जारी किए गए एसओपी के अनुसार सुरक्षा में तैनात पुलिस पदाधिकारी को हर तीन दिनों के भीतर एसएसपी और जेल अधीक्षक को एक रिपोर्ट भेजना था। रिपोर्ट में उल्लेख करना था कि कैदी को कहां रखा गया है, कहां इलाज चल रहा है, डॉक्टर का क्या परामर्श मिले हैं। अपाइंमेंट कब-कब मिले हैं। इस एसओपी का खुला उल्लंघन करते हुए किसी भी तरह की रिपोर्ट संबंधित अधिकारियों काे नहीं दी गई।

- योगेंद्र साव को एम्स या तिहाड़ जेल में रखने की अनुमति दी गई थी। दूसरी जगह रखने की कोई अनुमति नहीं थी। बाहर रखने के लिए जेल अधीक्षक से आदेश लेना है। बावजूद पूर्व मंत्री दिल्ली के हौजखास स्थित एक लॉज में ठहरे हुए थे ।

- सुरक्षा प्रभारी को प्रति दिन का लॉग बुक तैया करना था, लेकिन लॉग तैयार नहीं की गई।

- अस्पताल में रखना क्यों और कितने समय के लिए जरूरी है यह रिपोर्ट देना था, लेकिन कोई रिपोर्ट नहीं भेजा गया।

जेल प्रशासन के अनुसार मैनुअल के बजाए एसओपी का उल्लंघन

जेल प्रशासन के अनुसार योगेंद्र साव जेल मैनुअल का नहीं बल्कि जारी एसओपी का उल्लंघन किया है। जेल अधीक्षक ने कहा है कि पूर्व मंत्री अस्पताल के बजाए कहां रहे, इसकी जांच कराई जाएगी। इससे संबंधित एसएसपी स्तर से कोई रिपोर्ट मिलती है तो उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। जेल प्रशासन की ओर से एम्स को पत्राचार किया गया है और पूर्व मंत्री योगेंद्र शाव ने कब-कब अस्पताल में इलाज कराया है इसकी पूरी जानकारी मांगी गई है। बता दें कि बीते 30 अगस्त को आंख का ऑपरेशन कराने के नाम पर पूर्व मंत्री दिल्ली स्थित एम्स गए थे। वहां पूर्व मंत्री योगेंद्र साव एक माह तक एम्स अस्पताल में भर्ती होने के बजाय दिल्ली में जेल मैनुअल की धज्जियां उड़ाते हुए सैर करते रहे।

गड़बड़ी सामने आने के बाद जबरन वापस बुलाया गया

पुलिस की जांच में सामने आइ है कि पूर्व मंत्री एक महीने के लिए 30 अगस्त से 30 सितंबर के लिए एम्स गए थे। बाद में 30 अक्टूबर तक का एक्सटेंशन लिया था। लेकिन एसओपी का उल्लंघन और गड़बड़ी सामने आने के बाद उन्हें जबरन वापस बुला लिया गया। उनकी सुरक्षा में गए दाराेगा अानेश्वर सिहं सहित सभी पुलिसकर्मियों  की लापरवाही भी सामने आई इसके बाद सभी को वापस रांची लौटने का निर्देश दिया गया।

इन्हें किया गया सस्पेंड

दारोगा आनेश्वर सिंह, हवलदार अनिल उरांव, सिपाही गोपाल सिंह, अजय कुमार, दीपनारायण सिंह और रामदेव प्रसाद को सस्पेंड करते हुए उनपर विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है।

यह भी मिल रही जानकारी

सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि पूर्व मंत्री योगेंद्र साव दिल्ली जाने के बाद उनकी सुरक्षा में प्रतिनियुक्त दारोगा आनेश्वर सिंह सहित सभी पुलिसकर्मियों को घूमने के लिए भेजा गया। जबकि पूर्व मंत्री दिल्ली में ही जमे रहे और नेताओं और करीबियों से मिलते रहे। योगेंद्र साव ने ही पुलिसकर्मियों के घूमने और खाने-पीने की व्यवस्था कराई। इसके बाद सभी पंजाब, हिमाचल और यूपी घूमते रहे। इधर, हाल में रांची के एक प्रतिष्ठित होटल में भी ठहरे हुए थे। जब वे जेल भेज दिए गए और उन्हें सस्पेंड किए जाने की जाने की जानकारी मिली है।

उठते सवाल

पूर्व मंत्री आंख का ऑपरेशन रांची के रिम्स में भी का सकते थे,  उनकी एक आंख का ऑपरेशन रिम्स में हो चुका है। मेडिकल बोर्ड ने दिल्ली भेजने के लिए रेफर कैसे किया। पुलिसकर्मी जब रिपोर्ट पहले तीन दिनों में नहीं दिए, तभी क्यों मॉनिटर नहीं किया गया। एक महीने के भीतर दस रिपोर्ट आने थे, किसी ने सुधि क्याें नहीं ली।

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