Coronavirus Jharkhand: खतरनाक हो रहा कोरोना, संक्रमण तेज, इंतजाम अधूरे, बेड होने लगे फुल; जानें झारखंड का हाल

Jharkhand Coronavirus Cases News Update झारखंड में कमतर इंतजामों से हालात बिगड़ रहे हैं। रांची रामगढ़ में बेड से अधिक सक्रिय मरीज हैं सात अन्य जिलों में भी लगभग ऐसे ही हालात हैं।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Thu, 16 Jul 2020 10:19 PM (IST) Updated:Fri, 17 Jul 2020 05:04 AM (IST)
Coronavirus Jharkhand: खतरनाक हो रहा कोरोना, संक्रमण तेज, इंतजाम अधूरे, बेड होने लगे फुल; जानें झारखंड का हाल
Coronavirus Jharkhand: खतरनाक हो रहा कोरोना, संक्रमण तेज, इंतजाम अधूरे, बेड होने लगे फुल; जानें झारखंड का हाल

रांची, राज्य ब्यूरो। राज्य की हेमंत सरकार भले ही कोरोना से निपटने के लिए झारखंड में पर्याप्त संसाधन होने का दावा करे, लेकिन हकीकत यह है कि भविष्य को देखते हुए तैयारियां पूरी नहीं है। कोरोना मरीजों के इलाज के लिए उपलब्ध बेड की ही बात करें तो राज्य के चार जिलों में मानक के अनुरूप बेड उपलब्ध नहीं हैं। रांची और रामगढ़ में तो उपलब्ध बेड से अधिक सक्रिय मरीज हो गए हैं।

केंद्र द्वारा तय मानक के अनुसार सभी जिलों में सक्रिय मरीज की संख्या से तीन गुना बेड उपलब्ध होना चाहिए। इस मानक के अनुसार राज्य के सात जिले रांची, रामगढ़, कोडरमा, चतरा, लोहरदगा, पाकुड़ तथा लातेहार में बेड की उपलब्धता नहीं हैं। मरीजों की संख्या अचानक बढऩे के बाद बेड के इंतजाम किए जा रहे हैंं, जबकि जरूरत भविष्य को देखते हुए आगे के लिए बेड के इंतजाम करने की थी। दूसरी तरफ, कोरोना का संक्रमण इसी तरह बढ़ता रहा तो इस माह के अंत तक राज्य सरकार को 5000 और बेड की जरूरत पड़ेगी।

आइसीएमआर के मानकों के अनुसार, सक्रिय मरीजों की संख्या के तीन गुना बेड अनिवार्य रूप से उपलब्ध रहना चाहिए। इधर, राज्य में 14 दिनों में मरीज दोगुने हो रहे हैैं। ऐसे में इस माह के अंत तक सक्रिय मरीजों की संख्या बढ़कर 4000 से अधिक होने की उम्मीद है। स्वास्थ्य विभाग राज्य में अभी 7610 सामान्य तथा 499 आइसीयू बेड होने का दावा कर रहा है, लेकिन माह के अंत तक निर्धारित मानक पूरा करने के लिए लगभग 13 हजार बेड की आवश्यकता पड़ेगी।

बड़ा सवाल, सिमडेगा में बेड की कमी नहीं, राजधानी रांची में हो गई

जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण ही जिलों में बेड की समस्या हो गई है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण सिमडेगा और राजधानी रांची की व्यवस्था के बीच का अंतर है। कुछ दिन पहले सिमडेगा में 300 से अधिक मरीज हो गए थे। इसके बावजूद वहां बेड की कमी नहीं हुई। दूसरी तरफ, राजधानी रांची में अचानक मरीज बढऩे से बेड की समस्या उत्पन्न हो गई। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि रांची में तय मानकों के अनुसार न तो बेड की व्यवस्था की गई न ही बेड का सही प्रबंधन किया गया। राज्य सरकार ने मरीजों की स्थिति के अनुसार, तीन तरह के कोविड अस्पतालों की व्यवस्था की है, लेकिन कई जिलों में ही एक ही जगह सभी मरीजों की भर्ती करने की व्यवस्था करने से भी बेड का प्रबंधन गड़बड़ा गया।

निजी अस्पताल नहीं कर रहे इलाज

राज्य सरकार के सख्त निर्देश के बावजूद निजी अस्पताल कोरोना मरीजों का इलाज नहीं कर रहे हैं। राजधानी रांची की ही बात करें तो राज्य के दो-तीन अस्पतालों ही वहां के मरीज कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद उनका इलाज किया जा रहा है। बाकी सभी अस्पताल कोरोना पॉजिटिव मरीजों को रिम्स रेफर कर दे रहे हैं। जो अस्पताल अपने मरीजों का इलाज करते भी हैं, वे मामला सीरियस होने के बाद मरीजों को रिम्स रेफर कर देते हैं, जबकि रिम्स से अच्छी व्यवस्था उनके पास ही उपलब्ध है। दूसरी तरफ ज्यादातर निजी अस्पतालों ने न्यूनतम 10 बेड का आइसोलेशन वार्ड भी नहीं बनाया है।

जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण सिर्फ रांची में बेड की समस्या हुई है। अब इसे भी सुलझा लिया गया है। आज शाम तक 200 और बेड यहां उपलब्ध हो जाएंगे। अन्य जिलों में बेड पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हैं। इसकी संख्या बढ़ाने का भी निर्देश दिया गया है। नितिन मदन कुलकर्णी, प्रधान सचिव, स्वास्थ्य विभाग।

सात जिलों की यह है स्थिति

जिला  - उपलब्ध बेड - सक्रिय मरीज रांची 328  344 रामगढ़ 94 98 कोडरमा 130 108 चतरा  110  79 लातेहार  168 86 लोहरदगा  148 66 पाकुड़  200  73

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