कुलपति के श्रम व पैसे से महकी विश्वविद्यालय की बगिया

कई लोग अपने घर के बाग को संवारने के लिए काफी वक्त और पैसा खर्च करते हैं। रांची विश््वविद्यालय के कुलपति ने अपने पैसे से आर्यभंट्ट सभागार में बगिया लगाए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 20 Mar 2020 01:36 AM (IST) Updated:Fri, 20 Mar 2020 06:21 AM (IST)
कुलपति के श्रम व पैसे से महकी विश्वविद्यालय की बगिया
कुलपति के श्रम व पैसे से महकी विश्वविद्यालय की बगिया

जागरण संवाददाता, रांची :: कई लोग अपने घर के बाग को संवारने के लिए काफी वक्त और पैसा खर्च करते हैं। वहीं दूसरी तरफ रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रमेश पांडेय ने विश्वविद्यालय के आर्यभंट्ट सभागार की बगीचे को अपने पैसे और मेहनत से संवार दिया है। वो हर रोज सुबह छह बजे अपने दो छात्रों और दो माली के साथ मिलकर पूरे परिसर की सफाई और पेड़-पौधों की देखभाल करते हैं। उन्होंने पूरे परिसर में दो हजार से ज्यादा पौधे लगाए हैं। परिसर में कम से 19 प्रकार के अलग-अलग रंग और प्रभेद के गुड़हल के पौधे। यही नहीं सभागार के ठीक सामने एक गोलचक्कर है। इसमें भी उन्होंने अपने घर से साइकस के पौधे और हरी घास लाकर सजाया है।

इस मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि यहां एक प्रतिशत भी रसायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। सभागार के पीछे एक वर्मी कंपोस्ट पीट भी बनाया गया है। इसमें कुछ महीनों में खाद निर्माण का काम शुरू हो जाएगा। पौधों के वैज्ञानिक नाम और आम नाम भी लिखे हैं

डॉ रमेश पांडेय बताते हैं कि वो खुद वनस्पति विज्ञान संकाय से जुड़े हुए हैं। ऐसे में लाजमी है कि उनका झुकाव पेड़-पौधों से है। सभागार जब विश्वविद्यालय को मिला है उसके बाद से ही उन्होंने यहां पौधे लगाना शुरू कर दिया। आज जितने पौधे परिसर में हैं उतने अगर किसी एजेंसी को लगाने के लिए दिया जाए तो लाखों का बिल होगा। मगर इसमें विश्वविद्यालय का एक पैसा नहीं लगा है। इसके साथ ही साइंस ब्लाक के पीछे और योगा विभाग के पास का पाथ वे और पार्क भी स्वयंसेवा से बनाया गया है। मैंने अपने घर पर नर्सरी बनाई है। वहीं से पौधे लाकर मैं यहां लगाता हूं। साइंस ब्लॉक के पीछे जितने भी पौधे लगे हैं। उन सभी में पौधों का वैज्ञानिक नाम और आम नाम लिखा गया है। इससे लोगों में पौधों के बारे में जानकारी बढ़ रही है। अन्य लोग भी हो रहे हैं प्रेरित

उन्होंने बताया कि उनसे प्रेरित होकर आज कई विभाग के लोग अपने-अपने विभाग के सामने खुबसूरत पार्क बना रहे हैं। इसके सबसे बेहतरीन नमूना मानविकी विभाग और मल्टीपर्पस बिल्डिंग के सामने देख सकते हैं। यहां कई शिक्षकों के द्वारा बड़े इलाके में बाग बनाया गया है।

विद्यार्थी फूलों के साथ सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर करते हैं शेयर

डॉ रमेश पांडेय ने इतिहास विभाग के सामने एक रोज गार्डन भी बनाया है जिसमें कम से कम 100 गुलाब के पौधे। इसमें से कुछ दुर्लभ रंग जैसे सिंदूरी और क्वीन रेड भी हैं। उनके प्रयास को देखते हुए यहां पढ़ने वाले विद्यार्थी भी फूलों को नहीं तोड़ते हैं। डॉ रमेश पांडेय कहते हैं कि जब छात्र पौधों के बीच सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर शेयर करके कैंपस का नाम लिखते हैं तो उन्हें काफी गर्व होता है।

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