झारखंड के 12 सांसदों ने लिखी सीएम रघुवर दास को चिट्ठी, प्राथमिक और हाई स्कूलों का विलय रोकें

राज्य में प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों की विलय प्रक्रिया को रोकने के लिए 12 सांसदों ने चिट्ठी लिखी है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 09 Aug 2018 06:24 PM (IST) Updated:Thu, 09 Aug 2018 06:24 PM (IST)
झारखंड के 12 सांसदों ने लिखी सीएम रघुवर दास को चिट्ठी, प्राथमिक और हाई स्कूलों का विलय रोकें
झारखंड के 12 सांसदों ने लिखी सीएम रघुवर दास को चिट्ठी, प्राथमिक और हाई स्कूलों का विलय रोकें

जेएनएन, राची। राज्य में प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों की विलय प्रक्रिया को रोकने के लिए अब सांसद आगे आए हैं। झारखंड के 12 सांसदों ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को चिट्ठी लिखकर आग्रह किया है कि छात्रों के आधार पर प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों को निकटतम स्कूलों में मर्ज करने से निरक्षरता के कलंक को मिटाने में दिक्कत पेश आएगी। सांसदों ने सभी जिलों में विलय प्रक्रिया शुरू किए जाने को लेकर ग्रामीणों में असंतोष का हवाला देते हुए कहा है कि इससे सर्व शिक्षा अभियान की अवधारणा में रुकावट पैदा होगी। विलय प्रक्रिया पर रोक लगाने के लिए 12 बीजेपी सासद क्रमश: लक्ष्मण गिलुआ, डॉ रवीन्द्र कुमार राय, पशुपति नाथ सिंह, जयंत सिन्हा, सुदर्शन भगत, सुनील कुमार सिंह, विद्युतवरण महतो, विष्णु दयाल राम, श्री कड़िया मुंडा, रवीन्द्र पांडेय, निशिकात दुबे, रामटहल चौधरी ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को संयुक्त पत्र लिखकर अनुरोध किया है।

जनता में रोष का दिया हवाला

सासदों ने कहा है कि राज्य सरकार के इस फैसले से जनता में रोष पनप रहा है। विद्यालय बंद होने से अशिक्षा बढ़ेगी। खासकर इन विद्यालयों में पढ़ाई-लिखाई बंद होने से इनके भवन खंडहर बन जाएंगे। यहां अराजक तत्वों और अनैतिक गतिविधियों का केंद्र बनने का भी डर बना रहेगा।

सर्व शिक्षा अभियान की अवधारणा में होगी रुकावट

गांवों की आबादी का जिक्र करते हुए सांसदों ने एकसुर से कहा है कि एक तरफ शिक्षकों की कमी और सरकारी स्कूलों की अव्यवस्था के कारण जहां बच्चे निजी स्कूलों की तरफ जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ इन विद्यालयों में क्वालिटी एजुकेशन को बढ़ावा देने में सरकार को और गंभीर होना चाहिए।

प्रारंभिक शिक्षा से वंचित हो जाएंगे हजारों बच्चे

झारखंड की भौगोलिक स्थिति का हवाला देते हुए सांसदों ने कहा कि राज्य पहाड़ी क्षेत्र, वन क्षेत्र, नदी-नाले से आच्छादित है। ऐसे में छोटे बच्चों को एक गांव से दूसरे गांव में जाकर पढ़ाई करने में बेहद कठिनाई होगी। कई गांव-कस्बे विद्यालयविहिन हो जाएंगे। राज्य सरकार के इस फैसले को अलोकप्रिय बताते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि हजारों बच्चों को प्रभावित करने वाले इस निर्णय को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।

फैसले को बताया दुर्भाग्यपूर्ण

जनप्रतिनिधियों को प्रभावित करने वाले इस फैसले के बारे में सांसदों का एक मत है कि इसका खामियाजा उन्हें आने वाले चुनाव में उठाना पड़ेगा। आने वाले दिनों में किसी भी तरह की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति से बचने की ताकीद करते हुए सांसदों ने कम से कम एक साल तक इस निर्णय पर रोक लगाकर इन विद्यालयों की हालत सुधारने पर जोर दिया। इसके लिए शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों को सख्त आदेश देने का अनुरोध भी किया गया है।

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