बेहतर प्रबंधन से किसानों की बदल सकती है किस्मत

जिले में मौसम अनुकूल होने से फूलगोभी की फसल सालों भर होती है। बेहतर प्रबंधन से इनकी किस्मत बदल सकती है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 May 2020 07:29 PM (IST) Updated:Thu, 28 May 2020 07:29 PM (IST)
बेहतर प्रबंधन से किसानों की बदल सकती है किस्मत
बेहतर प्रबंधन से किसानों की बदल सकती है किस्मत

जागरण संवाददाता, राची : जिले में मौसम अनुकूल होने से फूलगोभी की फसल सालों भर होती है। मगर किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें समृद्ध करने के लिए इतना ही काफी नहीं है। फूलगोभी किसानों को उत्पाद का अच्छा मूल्य मिले इसके लिए बेहतर क्वालिटी की फसल और बाजार तक सुगम पहुंच की जरूरत है। किसानों को बेहतर क्वालिटी की बीज उपलब्ध कराने के लिए कृषि विभाग और बिरसा कृषि विश्वविद्यालय मिलकर काम कर रहे हैं। इसके साथ ही सरकारी स्तर पर किसानों की मदद करने के लिए भी कई योजनाएं चलायी जा रही है। मगर वर्तमान परिवेश में ये योजनाएं काफी नहीं है। सरकार को विभिन्न संस्थाओं के द्वारा फूलगोभी के उत्पादन के लिए किए जा रहे शोध को ध्यान में रखते हुए नयी योजनाएं बनाने की जरूरत है। बेहतर प्रबंधन से किसानों की किस्मत बदल सकती है। किसानों की मदद के लिए केंद्र सरकार चला रही है कई योजनाएं

राज्य में किसानों की मदद करने के केंद्र सरकार के स्तर पर कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसमें प्रधानमंत्री ड्रीप इरिगेशन से किसानों को बड़ा लाभ हुआ है। हमारे यहा मटर और फूलगोभी की उपज काफी अच्छी है। हम बेहतर प्रबंधन तैयार कर रहे हैं जिससे फसल का उचित मूल्य किसानों को मिले। राज्य में फूलगोभी उत्पादन में बड़ी संभानाएं हैं। प्रदेश में फूड प्रोसेसिंग यूनिट के साथ किसानों को बिचौलिया मुक्त बाजार उपलब्ध कराने का प्रयास जारी है। 2016 में किसानों को अपना उत्पाद ऑनलाइन बेचने के लिए ई-नाम पोर्टल की शुरुआत की गयी। राची के कुछ किसानों ने इसपर बेहतर दाम में हजारों रुपये की तरबूज बेची है। सभी ब्लॉक में कोल्ड स्टोरेज होने से किसानों को बड़ा लाभ होगा। गुणवत्तापूर्ण फूलगोभी के लिए मिट्टी में बोरोन की मात्रा जरूरी::

कई बार किसान काफी मेहनत के बाद भी बेहतर क्वालिटी की फूलगोभी नहीं उपजा पाते। फूलगोभी के आकार छोटे या देखने में आकर्षक नहीं होने से बाजार में किसान को दाम नहीं मिलता। इसके बारे में बताते हुए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के डॉ अरविंद कुमार बताते हैं कि उन्होंने अपने शोध सर्वे में पाया है कि राज्य में 45 प्रतिशत भूमि में माइक्रो एलिमेंट बोरोन की कमी है। सरायकेला, पलामू, लोहरदग्गा, पूर्वी सिंहभूम एवं लातेहार जिले के भौगोलिक क्षेत्र के 50 प्रतिशत से अधिक भूमि में उपलब्ध बोरोन की कमी है। जबकि अन्य जिले में भी इसकी कमी का स्तर 20-45 प्रतिशत तक है। फूलगोभी की खड़ी फसल में पत्तियों का मूड़ना, तना में खोखलापन, फल का छोटा होना और भूरापन या ब्राउनिंग होना बोरोन जेसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के लक्षण है। फूलगोभी में बोरॉन की कमी दूर करने के लिये बुवाई के समय खेत में अच्छे ढंग से सड़ी कंपोस्ट खाद तथा 10 से 15 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से बोरेक्स उर्वरक का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसा नहीं कर पाने की स्थिति में बुवाई के 10 दिन बाद 14 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से बोरेक्स उर्वरक या नौ किलो प्रति हेक्टेयर की दर से बोरिक एसिड उर्वरक पौधों के चारों ओर डालकर मिट्टी में अच्छी तरह मिला देना चाहिए। पोटाश उर्वरक से बढ़ती है फूलगोभी की उपज::

बीएयू के द्वारा तीन सालों तक ओरमाझी और पिठोरिया के किसानों के खेत पर शोध करके पाया गया कि केवल पोटाश के इस्तेमाल से फूलगोभी की उपज बढ़ाई जा सकती है। डॉ राकेश कुमार बताते हैं कि शोध अध्ययन में फूलगोभी का उत्पादन 31.80 टन प्रति हेक्टेयर तक पाया गया। इनमें किसानों में पोटाश सहित उर्वरकों के प्रयोग से न्यूनतम उपज करीब 18.33 टन प्रति हेक्टेयर प्राप्त हुई। इस शोध के आर्थिक विश्लेषण में 100 एवं 150 प्रतिशत पोटाश उर्वरक का फूलगोभी की खेती में दो बार प्रयोग करने से प्रति हेक्टेयर 3.28 लाख से 4.77 लाख किसानों को शुद्ध लाभ मिला है। इससे किसान को समृद्ध करने में बड़ी मदद मिल सकती है।

-------------- क्या कहते हैं मजदूर----------------------

घर में पैसे की कमी थी इसलिए काम करने के लिए दूसरे राज्य में जाना पड़ा। अपने यहा काम भी नहीं है और लोग सही पैसे भी देना नहीं चाहते हैं। अगर घर में काम मिले तो बाहर क्यों जाएंगे।

इंद्रा बेदिया, प्रवासी मजदूर

गाव के कुछ लोग पहले से बाहर जाकर कमा रहे थे इसलिए काम की तलाश में हम भी बाहर निकल गये। बड़ी मुश्किल से वापस आये हैं। अब जो करेंगे अपने गाव में ही करेंगे।

चमरा बेदिया, प्रवासी मजदूर

बाहर जाकर जो पैसे कमाये थे वापस घर आने पर सब खत्म हो गये। अब लुटा हुआ जैसा लग रहा है। अब जो भी होगा अपने जिला से बाहर काम करने नहीं जायेंगे। सरकार काम खोजने में मदद करे तो अच्छा होगा।

जितू बेदिया, प्रवासी मजदूर

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