स्वास्थ्य मानकों के परफारमेंस में फिसले झारखंड के आकांक्षी जिले

नीति आयोग के निर्देश पर राज्य सरकार प्रदेश के आकांक्षी जिलों में सुधार के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इसके बावजूद विभिन्न मानकों में सुधार के बाद फिर फिसल गए हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Thu, 13 Jun 2019 01:50 PM (IST) Updated:Thu, 13 Jun 2019 01:51 PM (IST)
स्वास्थ्य मानकों के परफारमेंस में फिसले झारखंड के आकांक्षी जिले
स्वास्थ्य मानकों के परफारमेंस में फिसले झारखंड के आकांक्षी जिले

रांची, [नीरज अम्बष्ठ]।  NITI Aayog - नीति आयोग के निर्देश पर राज्य सरकार प्रदेश के आकांक्षी जिलों (पिछड़े जिलों) में शिक्षा, स्वास्थ्य सहित विभिन्न सेक्टरों में सुधार के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इसके बावजूद आकांक्षी जिले स्वास्थ्य सेक्टर के विभिन्न मानकों में सुधार के बाद फिर फिसल गए हैं। अधिसंख्य आकांक्षी जिलों में किसी न किसी स्वास्थ्य मानकों में गिरावट दर्ज की गई है। नीति आयोग द्वारा इस ओर ध्यान आकृष्ट कराए जाने के बाद राज्य सरकार ने संबंधित जिलों को अलर्ट करते हुए उनमें सुधार का निर्देश दिया है।

नीति आयोग ने आकांक्षी जिलों में परफारमेंस के आकलन के लिए दो राउंड में थर्ड पार्टी मूल्यांकन कराया था। इसमें यह बात सामने आई कि पहले राउंड की अपेक्षा दूसरे राउंड के मूल्यांकन में विभिन्न स्वास्थ्य मानकों के सुधार में कमी आई है। प्रदेश के 19 आकांक्षी जिलों में 13 में ऐसा हुआ। इनमें पश्चिमी सिंहभूम, बोकारो, गुमला, पलामू, पूर्वी सिंहभूम, हजारीबाग, लोहरदगा, रामगढ़, सिमडेगा, दुमका, चतरा, साहिबगंज तथा पाकुड़ शामिल हैं।

किसी जिले में एक तो किसी में तीन-चार मानकों के परफारमेंस में गिरावट दर्ज की गई है। नीति आयोग द्वारा इस ओर ध्यान आकृष्ट कराए जाने के बाद राज्य सरकार ने इन सभी जिलों को अलर्ट करते हुए इसमें सुधार का निर्देश दिया है। स्वास्थ्य सचिव डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी ने इस बाबत सभी उपायुक्तों को पत्र लिखा है। इस गैप को पाटने के लिए उन्होंने एक कंप्रीहेंसिव एक्शन प्लान बनाकर काम करने की नसीहत भी दी है।

इन जिलों में आई गिरावट

पश्चिमी सिंहभूम में पहले राउंड में एंटी नेटल केयर का प्रतिशत 38 था जो राउंड दो फीसद घटकर 34 हो गया। इसी तरह, पूर्व एंटी नेटल केयर रजिस्ट्रेशन 42 फीसद से घटकर 32 फीसद हो गया। गढ़वा में संस्थागत प्रसव की दर 94 फीसद से घटकर 90 फीसद हो गई। पूर्वी सिंहभूम, गुमला, गिरिडीह, हजारीबाग तथा गढ़वा में नवजात के स्तनपान में कमी आई। लोहरदगा, रामगढ़, गिरिडीह, पलामू, सिमडेगा, पूर्वी सिंहभूम, हजारीबाग, गुमला, दुमका, गोड्डा तथा चतरा में सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में बदलने में कमी आई। गोड्डा, गिरिडीह, पलामू, पूर्वी सिंहभूम, गढ़वा तथा बोकारो के सदर अस्पतालों में विशेषज्ञ सेवाओं में कमी आई। साहिबगंज तथा पाकुड़ में चार या इससे अधिक एंटीनेटल चेकअप की दर में कमी आई। साहिबगंज में ओआरएस से डायरिया नियंत्रण में कमी आई।

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