झारखंड में आदिवासी नेताओं को मजबूती से जोड़ गए अमित शाह

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने आदिवासी बुद्धिजीवियों से संवाद के लिए खुद मोर्चा संभाला।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Thu, 12 Jul 2018 03:07 PM (IST) Updated:Thu, 12 Jul 2018 03:07 PM (IST)
झारखंड में आदिवासी नेताओं को मजबूती से जोड़ गए अमित शाह
झारखंड में आदिवासी नेताओं को मजबूती से जोड़ गए अमित शाह

आशीष झा, रांची। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का रांची प्रवास उन्हें दो मोर्चो पर सफलता दे गया। पहला, उन्होंने आदिवासी नेताओं की अनदेखी की शिकायत दूर कर दी। दूसरी बात यह कि एक बार फिर आदिवासी वर्ग भाजपा के साथ जुड़ता दिखा। आदिवासी बुद्धिजीवियों से संवाद के लिए खुद मोर्चा संभाला तो सभी संभलकर बोलते दिखे। शाह की यह यात्रा उन नकारात्मक भावनाओं को भी कुचलने में सफल हुई, जिससे पार्टी को कहीं न कहीं नुकसान हो रहा था और यह है आदिवासी व गैर आदिवासी के बीच मतभेद की भावना।

पत्थलगड़ी और भू-अधिग्रहण बिल का नाम लिए बगैर मंच से उन्होंने आदिवासी समाज को बरगलाने वाली ताकतों से बचकर रहने की सीख दी और इस सीख को आगे बढ़ाते दिखे कडि़या मुंडा। उन्होंने पत्थलगड़ी परंपरा को दिए गए नए स्वरूप को सिरे से खारिज कर दिया। बुधवार को मंच सजा तो कल्पनाओं के विपरीत दृश्य तैयार हुआ। मंच के केंद्र में रघुवर दास के साथ अमित शाह मौजूद थे तो उनसे बराबर दूरी पर दोनों ओर बैठे कड़िया मुंडा और अर्जुन मुंडा। दोनों का उत्साह देखकर लग रहा था कि कहीं-कहीं से मिल रहीं नकारात्मक सूचनाएं अब खत्म हो चुकी थीं। मंच आदिवासियों का ही था लेकिन बदले हुए दस्तूर से सभी अचंभित।

दो केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा और सुदर्शन भगत मंच पर मौजूद जरूर थे, लेकिन कोने में। हाशिए पर चल रहे कडि़या को अमित शाह के बगल की सीट मिली तो इनके बाद प्रदेश अध्यक्ष को रखा गया। इन्हें संबोधन का अवसर भी नहीं मिला। अवसर मिला कड़िया और अर्जुन मुंडा का। उत्साहित दिख रहे दोनों नेताओं ने मोर्चा भी संभाला। कड़िया ने आंकड़ों के हवाले से बताया कि कैसे भाजपा देशभर में अनुसूचित जनजाति समाज की सबसे बड़ी हितैषी है तो अर्जुन मुंडा ने भी वीर शहीदों की बात के माध्यम से खुद को सकारात्मक दिखाने की सफल कोशिश की। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ ने पूरी मजबूती से पार्टी के आदिवासी नेताओं का मनोबल बढ़ाया। भाजपा में कुछ आदिवासी नेताओं की अनदेखी की बात बीच-बीच में उठ रही थी और ऐसे नेताओं में अर्जुन मुंडा एवं कडि़या मुंडा प्रमुख थे।

अर्जुन मुंडा की पीठ थपथपा गए शाह

अमित शाह एक तरह से अर्जुन मुंडा की पीठ भी थपथपा गए। अलग राज्य बनने के बाद से दर्ज उपलब्धियों में कभी भी पार्टी अर्जुन मुंडा के कार्यकाल को याद नहीं करती थी। बुधवार को मंच से अमित शाह ने कहा कि अर्जुन मुंडा की सरकार ने विकास का रोडमैप बनाया उसे रघुवर सरकार ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आगे बढ़ाया है। इस बात से आदिवासी समाज की शिकायतें दूर हो गई। पिछली बार खूंटी में आयोजित कार्यक्रम में भी अमित शाह ने अर्जुन मुंडा की सराहना की थी लेकिन उनके कार्यकाल का जिक्र पहली बार बेहतर तौर पर किया। इससे भाजपा के उन नेताओं को भी संकेत मिल गया जो धड़ल्ले से कह जाते थे कि अलग राज्य बनने के बाद से 14 वर्षों तक कोई विकास नहीं हुआ।

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