रिम्स के डॉक्टरों ने केवल लीवर में कीमो चढ़ाकर मरीज का किया उपचार

मरीज को पूरे शरीर में नहीं, बल्कि लीवर में चढ़ाया गया कीमो, कम हुआ दर्द

By JagranEdited By: Publish:Wed, 19 Sep 2018 09:00 AM (IST) Updated:Wed, 19 Sep 2018 09:00 AM (IST)
रिम्स के डॉक्टरों ने केवल लीवर में कीमो चढ़ाकर मरीज का किया उपचार
रिम्स के डॉक्टरों ने केवल लीवर में कीमो चढ़ाकर मरीज का किया उपचार

जागरण संवाददाता, रांची : रिम्स के चिकित्सकों ने बेहतर और एडवांस चिकित्सकीय पद्धति से मरीज को नई जिंदगी देने की कोशिश की है। लीवर कैंसर यानि हेपटोसेलुलर कार्सिनोमा से पीड़ित मोहम्मद सर्फुद्दीन का इलाज ओंकोलॉजिस्ट डॉ. अनूप और कार्डियोलॉजिस्ट प्रवीण श्रीवास्तव ने किया। अब तक कैंसर के मरीजों को कीमो पूरे शरीर में चढ़ाया जाता था, जिससे कई बार इसे बर्दाश्त नहीं कर पाते थे और बीच में इसे रोकना पड़ता था। पर अब ऐसा नहीं हैं। इस नई पद्धति में चिकित्सकों ने सीधे मरीज के लीवर में कीमो चढ़ाया, जिससे मरीज को भी ज्यादा परेशानी नहीं हुई और सीधे संबंधित अंग को इसका फायदा मिला।

पहली बार रिम्स में इस नई चिकित्सकीय पद्धति का सहारा लिया गया। डॉ. प्रवीण श्रीवास्तव ने बताया कि मरीज को इसका फायदा देखने को मिल रहा है। साथ ही कीमो को चढ़ाने के वक्त मरीज को ज्यादा बेचैनी और परेशानी नहीं हुई। बड़े आराम से मरीज को कीमो चढ़ाया गया। इस नई पद्धति को ट्रांस आर्टियल कीमोएंबोलाइजेशन कहते हैं।

चिकित्सकों ने कटने से बचाया बच्चे का पैर

सदर अस्पताल के चिकित्सकों के सराहनीय प्रयास की बदौलत एक बच्चे को नई जिंदगी मिली है। निजी अस्पताल ने जिस बच्चे का पैर काटने की सलाह दी थी, उसे बचा लिया गया। दो माह चले इलाज के बाद उसके पैरों में जान आ सकी। दरअसल 14 जुलाई को रोहित कुमार के परिजन ने सदर अस्पताल के डॉ. जेई तिग्गा पर गलत इलाज का आरोप लगाया गया था। रोहित के पैर में चोट लगी थी, जांच के बाद डॉक्टरों ने एड़ी टूटने की बात कह प्लास्टर चढ़ा दिया। पैर में दर्द की समस्या दूर नहीं हुई, बल्कि उसके पैर में संक्रमण फैलने लगा। जब मरीज को सदर अस्पताल दोबारा लाया गया, तो चिकित्सकों पर इलाज न करने का आरोप लगाया गया। अंतत: परिजनों ने निजी अस्पताल का सहारा लिया, जहां चिकित्सकों ने पैर काटने की सलाह दी। इस पर एक बार फिर परिजन ने सदर अस्पताल आकर हंगामा करने लगे। तब प्रबंधन ने मरीज को भर्ती कर इलाज शुरू दिया। डॉक्टरों की टीम ने लगातार रोहित का इलाज करती रही, जिसमें डॉ एसएस मंडल, डॉ शबनम तिर्की, डॉ हेमा, डॉ अभय पाडेय शामिल थे।

डॉ. एके झा ने बताया कि मरीज का पैर काटने लायक नहीं था, उसके पैर में संक्रमण फैल गया था, लेकिन स्थिति इतनी भी खराब नहीं थी कि उसका पैर काटना पड़े। सिविल सर्जन डॉ. वीबी प्रसाद ने कहा कि चिकित्सकों के कारण ही बच्चे का पैर बचाया जा सका। बच्चे का पैर में संक्रमण था, जिसके उपचार के बाद ठीक कर लिया गया, वहीं, निजी अस्पताल ने पैर काटने तक की सलाह दी थी।

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