पांच दिनों की हड़ताल से थमेगी कोल इंडिया की रफ्तार

रांची : एक बार फिर कोल इंडिया की रफ्तार थम जाएगी। इसकी शुरुआत आगामी छह जनवरी से होनेवाली है। कोयला उ

By Edited By: Publish:Sun, 04 Jan 2015 08:29 PM (IST) Updated:Mon, 05 Jan 2015 05:35 AM (IST)
पांच दिनों की हड़ताल से थमेगी कोल इंडिया की रफ्तार

रांची : एक बार फिर कोल इंडिया की रफ्तार थम जाएगी। इसकी शुरुआत आगामी छह जनवरी से होनेवाली है। कोयला उद्योग में विनिवेश व निजीकरण आदि के विरोध में श्रमिक संगठनों ने छह से दस जनवरी तक यानी पांच दिवसीय हड़ताल की घोषणा की है। इससे सीआइएल के उत्पादन व प्रेषण की रफ्तार थम जाएगी। पांचों श्रमिक संगठनों के हड़ताल में शामिल होने की संभावना है।

पांच दिनों की हड़ताल से कोल इंडिया को प्रतिदिन 150 करोड़ के हिसाब से 750 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। फिलहाल सहायक कंपनियों को मिलाकर कोल इंडिया में प्रतिदिन लगभग 1.25 एमटी कोयले का उत्पादन हो रहा है। हड़ताल से उत्पादन ठप हो जाएगा।

उल्लेखनीय है कि वित्तीय वर्ष 2013-14 में 462.422 एमटी का उत्पादन हुआ था। हड़ताल में कोल इंडिया के सवा दो लाख से अधिक नियमित मजदूर व डेढ लाख से अधिक ठेका मजदूर शामिल होंगे।

हड़ताल की अवधि में कोल इंडिया के करीब तीन लाख मजदूर काम नहीं करेंगे। केंद्रीय पांचों श्रमिक संगठनों इंटक, एटक, एचएमएस, बीएमएस व सीटू व लोकल यूनियनों ने एकजुट होकर हड़ताल की घोषणा की है। हड़ताल को सफल बनाने के लिए सीआइएल सहित सहायक कंपनियों में प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है। संगठनों की मांगों से मजदूरों को अवगत कराया जा रहा है।

सीटू के आरपी सिंह ने बताया कि हड़ताल को टालने को ले दिल्ली में कोयला मंत्री ने 3 जनवरी को श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक बुलाई थी, जिसका संगठनों ने बहिष्कार कर दिया। अब छह जनवरी से हड़ताल तय है। इसका असर कोल इंडिया के आइपीओ(इनिशियल पब्लिक ऑफर) पर पड़ेगा। इसका शेयर बाजार पर दूरगामी असर देखने को मिलेगा।

------

बिजली व्यवस्था पर पड़ेगा असर

कोयले का अधिकांश उपयोग बिजली उत्पादन के लिए होता है। राज्य के सभी पावर प्लांटों में सात दिनों का कोयला स्टॉक रहता है। हड़ताल से पॉवर प्लांट में कोयले का स्टॉक कम होगा। ऐसे में बिजली उत्पादन भी प्रभावित होगा।

---

श्रमिक संगठनों की मांगें

-- कोल इंडिया का विभाजन रोकना।

-- कोल इंडिया का निजीकरण रोकना।

-- ग्रामीण मजदूरों की दासता का अंत करना। उनके बच्चों को शिक्षा देना।

-- विस्थापितों को नौकरी व मुआवजा देना।

-- मजदूरों को भी पेंशन देना।

-- ठेका मजदूरों को स्थायी करना।

-- कोल इंडिया को माफिया से मुक्त कराना।

-----------

उत्पादन की स्थिति

वर्ष उत्पादन (एमटी में)

2011 - 431.32

2012 - 435.84

2013 - 452.211

2014 - 462.422

-------

सीआइएल की सहायक कंपनियां

सीसीएल, बीसीसीएल, एनसीएल, एसईसीएल, डब्ल्यूसीएल, ईसीएल,एमसीएल व एनईसी।

chat bot
आपका साथी