वैन में बैठे अलीमुद्दीन के साथी को ढूंढ नहीं सकी पुलिस

प्रतिबंधित मांस लदे मारुति वैन में चालक अलीमुद्दीन अंसारी की बगल की सीट पर बैठे व्यक्ति को पुलिस आज तक ढूंढ नहीं सकी।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Thu, 22 Mar 2018 01:56 PM (IST) Updated:Thu, 22 Mar 2018 06:36 PM (IST)
वैन में बैठे अलीमुद्दीन के साथी को ढूंढ नहीं सकी पुलिस
वैन में बैठे अलीमुद्दीन के साथी को ढूंढ नहीं सकी पुलिस

तरुण बागी, रामगढ़। गत 29 जून, 2017 को गोला रोड, बाजारटांड़ में प्रतिबंधित मांस लदे मारुति वैन में चालक अलीमुद्दीन अंसारी की बगल की सीट पर बैठे व्यक्ति को पुलिस आज तक ढूंढ नहीं सकी। बाजारटांड़ में वैन को कुछ लोगों द्वारा रोकते ही बगल में बैठा व्यक्ति गढ़बांध जाने वाले रास्ते से भाग गया था, जबकि अलीमुद्दीन भीड़ के हत्थे चढ़ गया था।

पुलिस ने शुरू में अपनी रिपोर्ट बनाई कि अलीमुद्दीन के साथ बैठा व्यक्ति कलीमुद्दीन था। हालांकि, बाद में स्पष्ट हुआ कि कलीमुद्दीन वह व्यक्ति नहीं था जो गाड़ी में बैठा हुआ था और भीड़ को देखकर फरार हो गया। घटना के दो सप्ताह पहले ही कलीमुद्दीन का पैर टूट गया था। पतरातू थाना क्षेत्र में गाय-बैल चुरा कर भागने के क्रम में कलीमुद्दीन रास्ते में गिर गया था। इससे उसका एक पैर टूट गया था। पतरातू थाना में इस मामले में केस भी दर्ज है।

पुलिस ने प्राथमिकी में उल्लेख किया था कि भीड़ की पिटाई से बचाकर अलीमुद्दीन को हिरासत में लिया गया, और उसने अपने बयान में बताया था कि उसके साथ वैन में कलीमुद्दीन बैठा था। मांस चितरपुर की ओर से लाया जा रहा था। कलीमुद्दीन के वाहन में नहीं रहने की बात आने के बाद इस कांड के अनुसंधान में पुलिस के समक्ष एक नई तकनीकी समस्या उत्पन्न हो गई थी। कांड में साक्ष्य के तौर पर प्रतिबंधित मांस लदे वाहन को कहां से लाया जा रहा था ? बाजारटांड़ में वैन को किसने रोका था? अलीमुद्दीन को लाठी-डंडे व लात-घूंसे से कौन मार रहा था? इसका चश्मदीद गवाह पुलिस के पास नहीं था।

केवल लोगों द्वारा मोबाइल से लिए गए वीडियो फुटेज व फोटो ही जांच का आधार बना। उस वक्त पुलिस का कहना था कि यदि मारुति वैन पर बैठा सही आदमी मिल जाता तो प्रतिबंधित मांस व अलीमुद्दीन हत्याकांड पर काफी हद तक पर्दा उठ सकता था। कुल मिलाकर पुलिस को अंतिम समय तक यह साक्ष्य नहीं मिल पाया कि घटना के दिन मारुति वैन से भागने वाला व्यक्ति कलीमुद्दीन नहीं था तो वह कौन था।

जानें, क्या है मामला

पिछले वर्ष 29 जून को रामगढ़ थाना क्षेत्र के बाजारटांड़ के समीप मारुति वैन में प्रतिबंधित मांस ले जा रहे मनुवा गांव निवासी अलीमुद्दीन की भीड़ ने बुरी तरह पिटाई कर दी थी और इलाज के लिए रांची ले जाते समय रास्ते में उसने दम तोड़ दिया था। 

इन्हें सुनाई गई उम्रकैद की सजा

प्रतिबंधित मांस तस्करी के आरोपित अलीमुद्दीन अंसारी की भीड़ द्वारा हत्या किए जाने के मामले में सभी 11 अभियुक्तों को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने बुधवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इनमें तीन अभियुक्तों को दोहरे आजीवन कारावास की सजा दी गई है। प्रतिबंधित मांस तस्करी के आरोप में मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा हत्या) के किसी केस में गोरक्षक के खिलाफ फैसला सुनाने का देश में यह पहला मामला है। झारखंड में रामगढ़ के फास्ट ट्रैक कोर्ट के एडीजे (द्वितीय) ओम प्रकाश ने केवल पांच महीने 29 दिनों में इस मामले में सजा सुनाई। न्यायालय ने 16 मार्च को सभी आरोपितों को दोषी करार दिया था।

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