अफीम की खेती की तैयारी में जुटे पत्थलगड़ी वाले नेता और नक्सली

किसानों को चिंता है कि साल भर का खर्च कैसे चलेगा। नक्सली और पत्थलगड़ी वाले इसका फायदा उठाकर और व्यापक पैमाने पर खेती की तैयारी में हैं।

By Edited By: Publish:Mon, 03 Sep 2018 10:47 PM (IST) Updated:Tue, 04 Sep 2018 04:08 PM (IST)
अफीम की खेती की तैयारी में जुटे पत्थलगड़ी वाले नेता और नक्सली
अफीम की खेती की तैयारी में जुटे पत्थलगड़ी वाले नेता और नक्सली

खूंटी। झारखंड के खूंटी में फिर बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की तैयारी है। पोस्ता के पौधे लगाने का समय आ गया है। पत्थलगड़ी के जरिये समानांतर सरकार की बात करने वाले दूसरी पंक्ति के नेता और नक्सलियों का गठबंधन पोस्ते की खेती के लिए किसानों को प्रलोभन दे रहा है, उन पर दबाव बना रहा है। दरअसल, कम बारिश के कारण किसानों की धान की फसल चौपट हो गई है।

किसानों को चिंता है कि साल भर का खर्च कैसे चलेगा। नक्सली और पत्थलगड़ी वाले इसका फायदा उठाकर और व्यापक पैमाने पर खेती की तैयारी में हैं। पत्थलगड़ी की राजधानी कुरूंगा और कोचांग और अड़की क्षेत्र में इसकी कुछ ज्यादा ही तैयारी है। नक्सली भी खेती के लिए आर्थिक मदद के लिए तैयार बैठे हैं।

पौधे लगाने का आ गया मौसम
पोस्ता का पौधा लगाने का मौसम आ गया है। सितंबर-अक्टूबर में पौधे लगाए जाते हैं। फरवरी-मार्च तक फल अफीम निकालने के लिए तैयार हो जाता है। अफीम तस्करों का सीमापार तक नेटवर्क है। यहां से अफीम की आपूर्ति बंगला देश, नेपाल, दिल्ली, पंजाब और कोलकाता तक होती है। जानकार बताते हैं कि पिछले साल इस क्षेत्र में अफीम की जबरदस्त खेती हुई थी। दो हजार करोड़ से अधिक का कारोबार हुआ था। पिछले साल पुलिस ने खानापूर्ति के नाम पर अफीम उत्पादकों के खिलाफ अभियान चलाते हुए खूंटी में 1600 एकड़ में पोस्ते की खेती को नष्ट किया था।

करीब 70 किलो अफीम जब्त किया था, बीस तस्कर पकड़े थे। जबकि खूंटी के बड़े इलाके में पुलिस प्रवेश तक का हिम्मत नहीं जुटा पाती। जाहिर है खेती का इलाका बहुत बड़ा है। किसानों को अधिक आमदनी चाहिए और अफीम माफिया को खेत। कमजोर बारिश से माहौल को अनुकूल बना दिया है। जानकारों की माने तो सासंगबेड़ा, साके, रोकाब, कटोई, मुचिया, कसमर, लोंगा, पडासू, हडदलामा गांव के दक्षिणी अड़की क्षेत्र में अफीम खेती की तैयारी चल रही है।

पीएलएफआइ के दीत नाग का दस्ता है सक्रिय
अड़की में ही पिछले साल सबसे अधिक अफीम की खेती हुई थी। अफीम की खेती को दोबारा कराने के लिए उग्रवादी संगठन पीएलएफआइ, माओवादी, पत्थलगड़ी की दूसरी पंक्ति के नेता इसकी तैयारी में जुटे हैं। रात में गांव-गांव में ग्रामीणों के साथ बैठकें हो रही हैं।

चल रहा बैठकों का दौर
पत्थलगड़ी की पहली पंक्ति के नेता की गिरफ्तारी के बाद दूसरी पंक्ति के नेता इस कार्य में अंदर ही अंदर सक्रिय हो गए हैं। सूत्रों की माने तो पत्थलगड़ी नेता बलराम समद का भाई ताडकन समद दक्षिणी अड़की क्षेत्र में ग्रामीणों के साथ बैठक कर पत्थलगड़ी आंदोलन को जीवित रखने की बात कर रहा है। ग्रामीणों को कहा रहा है कि और छह महीने कष्ट सहना है। इसके बाद बाद अपना राज होगा। आदिवासियों को अधिकार मिल जाएगा।

जानिए, क्या कहते हैं एसपी
एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा ने बताया कि अफीम की खेती के खिलाफ पुलिस लगातार उस क्षेत्र में जागरूकता अभियान चला रही है। जगह-जगह पोस्टर चिपकाए गए हैं। पिछली बार कई अफीम खेत मालिकों को चिह्नित भी किया गया है। उसके लिए अनुसंधान चल रहा है। हमारी पूरी कोशिश होगी कि इस बार कोई भी जिले में अफीम की खेती न कर पाए।

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