Jharkhand Ration Tragedy: नेटवर्क आएगा तब मुन्ना पेट भर खाना खाएगा, यहां हाथ में एंटीना लेकर सिग्‍नल ढूंढते हैं लोग

खूंटी के तिलमा पंचायत में राशन की आस लेकर आए लोगों की उम्मीदें रोज टूटती हैं। लिंक आने के इंतजार में ग्रामीण घंटों खड़े रहते हैं।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Mon, 12 Aug 2019 11:41 AM (IST) Updated:Mon, 12 Aug 2019 10:10 PM (IST)
Jharkhand Ration Tragedy: नेटवर्क आएगा तब मुन्ना पेट भर खाना खाएगा, यहां हाथ में एंटीना लेकर सिग्‍नल ढूंढते हैं लोग
Jharkhand Ration Tragedy: नेटवर्क आएगा तब मुन्ना पेट भर खाना खाएगा, यहां हाथ में एंटीना लेकर सिग्‍नल ढूंढते हैं लोग

खूंटी, [मनोज सिंह]। योजनाओं में भ्रष्टाचार रोकने के लिए अब राशनिंग व्यवस्था को ऑनलाइन कर दिया गया है। बढिय़ा है। लेकिन खूंटी के तिलमा पंचायत के लिए यह व्यवस्था गले की फांस बन गई है। ग्रामीण करिया मुंडा अनाज की आस में रोज राशन की दुकान पर पहुंचते हैं लेकिन घंटों इंतजार के बाद यूं ही बैरंग लौटना पड़ता है। रविवार को भी यह कहानी दुहराई गई। घर पर मुन्ना इंतजार करता रहा कि आज बाबा अनाज लेकर आएंगे तो कल से भर पेट खाना मिलेगा लेकिन फिर उसे बस थोड़ा-बहुत खाकर सोना पड़ा।

पिछले कई दिनों से मुन्ना का भरपेट खाने का सपना यूं ही टूट रहा। बाबा भर पेट खाना कब मिलेगा। उसके इस सवाल पर करिया हताश होकर कहते हैं, बेटा नेटवर्क आएगा तब न। करिया जैसे कई और ग्रामीणों की कुछ ऐसी ही दास्तां है। बारिश की वजह से कुछ दिनों से तिलमा गांव समेत सुदूरवर्ती क्षेत्रों में लगातार नेटवर्क गायब है और सर्वर डाउन हो गया है। इस कारण ग्रामीणों को राशन लेने में परेशानी हो रही है। तिलमा पंचायत की डीलर सुनीता पूर्ति ने कहा कि जब तक अंगूठा नहीं लगेगा तब तक राशन कैसे दिया जा सकता है। क्योंकि ऑनलाइन में यह प्रावधान किया गया है कि राशन लेने के लिए संबंधित व्यक्ति को अंगूठा लगाना ही होगा, जो अनिवार्य है।

सड़क पर एंटीना लेकर टहलते हैं ग्रामीण

तिलमा के ग्रामीण रोज की तरह राशन की आस में रविवार को डीलर के पास पहुंचे। वहां कहा गया कि नेटवर्क नहीं है। ऐसे में ग्रामीण नेटवर्क के लिए अंगूठा लगाने वाली मशीन, तार और एंटीना लेकर सड़क पर टहलते नजर आए। इस उम्मीद में कि कहीं आसपास नेटवर्क पकड़ ले लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी। लिंक के इंतजार में ग्रामीण घंटों दुकान के इर्द गिर्द मंडराते रहे। हां-हां लगता है नेटवर्क आ रहा है कि आवाज सुनते ही सभी मशीन के आसपास जुट जाते लेकिन फिर तितर-बितर।

नेटवर्क के अभाव में एक भी ग्रामीण को रविवार को भी राशन नहीं मिल पाया। आक्रोशित ग्रामीणों ने कहा, बच्चे घर में बिलख रहे हैं लेकिन व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हो रहा। इससे अच्छा तो मैनुअल काम ही ठीक था। यहां आई महिलाओं ने कहा, बारिश हो रही है। खेती-बाड़ी का काम छोड़कर रोज राशन दुकान के चक्कर काटना पड़ता है, न जाने ऐसा कितने दिन चलेगा। गुहार लगाई कि अखबार में खबर छाप दीजिए प्रशासन शायद सुध ले ले। 

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