दूसरे राज्य से भटका हाथियों का झुंड तोरपा-कर्रा में मचा रहा आतंक

दूसरे राज्यों से भटका 22 हाथियों का झुंड इन दिनों तोरपा एवं कर्रा प्रखंड में जमकर उत्पात मचा रहा है। वन विभाग के कर्मचारी-अधिकारी उन्हें वापस अपने क्षेत्र में भेजने के लिए तोरपा की ओर से खदेड़ते हैं पर दूसरे गांव के ग्रामीण हाथियों को पुन इसी क्षेत्र में डराकर भेज देते हैं। यह बात खूंटी वन प्रमंडल के सहायक वन संरक्षक (एसीएफ) अर्जुन बड़ाईक ने कही। एसीएफ ने कहा कि तोरपा क्षेत्र में स्थानीय हाथियों की संख्या मात्र आठ है। एक झुंड में छह हाथी हैं जबकि दूसरे झुंड में सिर्फ दो गजराज हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 08 Nov 2020 07:16 PM (IST) Updated:Sun, 08 Nov 2020 07:16 PM (IST)
दूसरे राज्य से भटका हाथियों का झुंड तोरपा-कर्रा में मचा रहा आतंक
दूसरे राज्य से भटका हाथियों का झुंड तोरपा-कर्रा में मचा रहा आतंक

खूंटी : दूसरे राज्यों से भटका 22 हाथियों का झुंड इन दिनों तोरपा एवं कर्रा प्रखंड में जमकर उत्पात मचा रहा है। वन विभाग के कर्मचारी-अधिकारी उन्हें वापस अपने क्षेत्र में भेजने के लिए तोरपा की ओर से खदेड़ते हैं, पर दूसरे गांव के ग्रामीण हाथियों को पुन: इसी क्षेत्र में डराकर भेज देते हैं। यह बात खूंटी वन प्रमंडल के सहायक वन संरक्षक (एसीएफ) अर्जुन बड़ाईक ने कही।

एसीएफ ने कहा कि तोरपा क्षेत्र में स्थानीय हाथियों की संख्या मात्र आठ है। एक झुंड में छह हाथी हैं, जबकि दूसरे झुंड में सिर्फ दो गजराज हैं। ये आठ हाथी पिछले 20 वर्षों से इस क्षेत्र में रह रहे हैं। छह गजराजों का झुंड इस क्षेत्र के चप्पे-चप्पे से वाकिफ है कि कहां नदी है और कहां कुआं है। इस झुंड में दो हाथियों की मौत हो गई थी। एक की मौत तोरपा के कुल्डा में और दूसरे की एरमेरे में हुई थी। दो शिशु हाथियों का जन्म भी हुआ। इस तरह उनकी संख्या छह की छह ही रही। एसीएफ ने बताया कि हाथियों का यह झुंड रनिया, खुदीवीर, टाल्डा, जयपुर, लोहाजीमी, चुरदाग, फटका, जराकेल, निचुतपुर, कुल्डा, गिड़ुम आदि गांवों के सीमावर्ती इलाकों में विचरण करता है। ये फसलों और जानमाल को बहुत कम नुकसान पहुंचाते हैं। दो हाथियों का दूसरा झुंड कर्रा रेंज में विचरण करता है। गोविदपुर, बेड़ो व गुमला आदि क्षेत्र में ये मंडराते रहते हैं। सहायक वन संरक्षक पदाधिकारी ने कहा कि पिछले कई दिनों से वे स्वयं गांव-गांव जाकर लोगों से अपील कर रहे हैं कि हाथियों को वापस जाने का रास्ता दें। गांव वाले दिन को तो हाथियों को जाने देने की बात करते हैं, पर रात को जैसे ही हाथियों के झुंड को तोरपा की ओर वापस भेजा जाता है तो दूसरे गांव के लोग हाथियों को फिर इधर भगा देते हैं। एसपीएफ ने कहा कि 22 हाथियों का झुंड बसिया, कमडारा की ओर से तोरपा में घुसा है। उन्हें वापस उसी रास्ते से भेजना पड़ेगा, पर ग्रामीणों के असहयोग के कारण कई किमी तक खदेड़े जाने के बाद भी हाथी वापस आ जाते हैं। उन्होंने ग्रामीणों से अपील की कि वे हाथियों को अपने क्षेत्र में जाने का रास्ता दें, उनके साथ किसी तरह की छेड़छाड़ न करें।

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