विद्यासागर की जन्मस्थली की डोर कर्मस्थली से बंधी

महान दार्शनिक समाज सुधारक पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर की 200 वीं जयंती पर उनकी कर्मस्थली यहां नंदनकानन से जुड़ी यादों की डोर उनके पैतृक भूमि पश्चिम बंगाल के बीरग्राम से बंध गई।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 26 Sep 2019 10:58 PM (IST) Updated:Fri, 27 Sep 2019 06:36 AM (IST)
विद्यासागर की जन्मस्थली की डोर कर्मस्थली से बंधी
विद्यासागर की जन्मस्थली की डोर कर्मस्थली से बंधी

जागरण संवाददाता, जामताड़ा/विद्यासागर : महान दार्शनिक, समाज सुधारक पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर की 200 वीं जयंती पर उनकी कर्मस्थली यहां नंदनकानन से जुड़ी यादों की डोर उनके पैतृक भूमि पश्चिम बंगाल के बीरग्राम से बंध गई। बीरग्राम में विद्यासागर ने बचपन में पीपल के पेड़ लगाए थे। वहां से बादाम चारा (अंकुरित पौधा) यहां नंदन कानन लाया गया। ये पौधे उनकी स्मृति में यहां लगाए जाएंगे। उनके घर से मिट्टी भी यहां लाई गई।

जन्म शताब्दी को ऐतिहासिक रूप देने के लिए आसनसोल प्रेस क्लब ने विद्यासागर की जन्मभूमि की माटी को कलश में सुंदर ढंग से सजाकर यहां लाया और और नंदनकानन समिति के लोगों को सौंपा गया। उसे विद्यासागर के पुराने पलंग पर रखा गया।

आसनसोल प्रेस क्लब के कोषाध्यक्ष अरुण सरकार ने बताया कि पूर्व से ही पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर की 200 वीं वर्षगांठ को ऐतिहासिक बनाने का निर्णय लिया गया था। यहां आने वाले सैलानियों को इसकी मिट्टी समेत अन्य संग्रह देखने को मिलेंगे। क्लब के गो शर्मा, ज्योति भट्टाचार्य, टिया घोष, सुमित्रा गांगुली, रूबी चटर्जी समेत दर्जनों लोग मिट्टी लेकर पहुंचे थे। समिति ने उन्हें विद्यासागर की तस्वीर व मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया।

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दूर दराज से आए लोग बने गवाह

पंडित ईश्वरचंद्र विद्यासागर की 200 वीं जनशताब्दी के इस ऐतिहासिक पल के गवाह प. बंगाल व बिहार के लोग भी बने। कोलकाता, आसनसोल, रानीगंज, दुर्गापुर, जयनगर, जलपाईगुड़ी, बर्नपुर, धनबाद, पटना, मधुपुर, दुमका, जमशेदपुर, जामताड़ा, चितरंजन समेत विभिन्न जगहों से लोग विद्यासागर को याद करने यहां पहुंचे हुए हैं। दो दिवसीय समारोह के पहले दिन जलपाईगुड़ी के कई वार्षिकी पत्रिका के संपादक भी पहुंचे हुए थे। अपनी नई पुस्तक कोरातगयो नंदिनी नाम की पुस्तक का विमोचन किया। किताब में व्यक्ति के कर्तव्य के बारे में जानकारी दी गई है। पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर के कार्यों का भी उल्लेख किया गया है। इस पुस्तक को पूर्ण करने में कोयला गांगुली, ब्यूटी आश्मीन, आंबो मित्र समेत कई लोगों का सहयोगा मिला। कहा कि अभी विद्यासागर की एक नई पुस्तक आने वाली है। पुस्तक का विमोचन जल्द होगा।

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गायत्री मंत्र गूंजे

नंदनकानन में जन्म शताब्दी के मौके पर दिनभर उत्सवी माहौल रहा। शुभारंभ में जामताड़ा शारदा संघ की महिलाओं ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ किया। गायत्री मंत्र व शांति पाठ किया गया। शारदा संघ की चंपा गोना, प्रतिमा मिश्रा, मीना सर्खेल, चितरा चक्रवर्ती, सोती सरकार, साधना मांझी, सपना मंडल, गीता सरकार, पापिया आदि थे। --------------------------------------

आदिवासी महिलाओं को मिला वस्त्र

नंदनकानन परिसर में जन्म शताब्दी को लेकर आदिवासी महिलाओं के बीच विद्यासागर स्मृति रक्षा समिति ने वस्त्र बांटे। क्षेत्र की आदिवासी गरीब 200 महिलाओं का वस्त्र वितरण का लाभ मिला। लोगों ने बताया कि पंडित ईश्वर चंद्र अपने अंतिम 18 वर्ष आदिवासी व समाज कल्याण उत्थान के लिए जात-पात से ऊपर उठकर सेवा करने में बिताए थे। समिति के विद्रोह मित्रा, सच्चिदानंद सिन्हा, देवाशीष मिश्रा, चंदन मुखर्जी, अरुण कुमार बोस, डीडी भंडारी आदि थे

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