गेड़िया में दो वर्षो में ठूंठ बनी जलमीनार
विधानसभा चुनाव को लेकर विभिन्न राजनीतिक दल के प्रत्याशी गांव-गांव का दौरा कर अपने अपने पक्ष में मतदान कराने में रोज पसीना बहा रहे हैं। गांवों के सर्वांगीण विकास के वादे कर रहे हैं।
बिदापाथर (जामताड़ा) : विधानसभा चुनाव को लेकर विभिन्न राजनीतिक दल के प्रत्याशी गांव-गांव का दौरा कर अपने अपने पक्ष में मतदान कराने में रोज पसीना बहा रहे हैं। गांवों के सर्वांगीण विकास के वादे कर रहे हैं। नाला प्रखंड के गेड़िया गांव स्थित जलमीनार शोभा की वस्तु बनी हुई है। पेयजल व स्वच्छता विभाग की ओर से गांव में करीब 60 लाख रुपये की लागत से 24 हजार लीटर क्षमता वाली जलमीनार का निर्माण किया गया है, जबकि जलमीनार से लोगों को दो वर्ष से एक बूंद पानी नसीब नहीं हुई है। जलमीनार निर्माण के कुछ दिन तक गेड़िया वासी को लाभ भी मिला लेकिन पिछले दो साल से पेयजल आपूर्ति पूर्ण रूप से ठप है।
जलमीनार के लिए लगाए बिजली ट्रांसफॉर्मर में खराबी होने के कारण पूरी योजना ठप पड़ी है। जलमीनार से जलापूर्ति के बारे में किसी भी राजनीतिक पार्टी के नेता ने तत्परता नहीं दिखाई न ही किसी ने सकारात्मक पहल की, जबकि स्थानीय लोग हर नेता से अधिकारी तक जलमीनार को चालू करवाकर गांव की प्यास बुझाने की मांग कई बार कर चुके हैं।
पिछली गर्मी में भी लोगों को जलसंकट झेलना पड़ा जबकि ठूंठ बनी जलमीनार बड़ी आबादी को मुंह चिढ़ाती रही। गेड़िया गांव की कुल आबादी लगभग चार हजार से अधिक है। गांव में पेयजल आपूर्ति के लिए सिर्फ एक ही पानी टंकी है जो विभाग और जिम्मेदार लोगों की उपेक्षा से ठप पड़ी है। ग्रामीणों का कहना है की यह जलापूर्ति योजना को चालू करने के लिए विभाग व स्थानीय जनप्रतिनिधि को समय-समय पर ध्यानाकृष्ट कराने का प्रयास किया गया है। इसके बावजूद स्थिति जस के तस बनी हुई है।
क्या कहते ग्रामीण: ग्रामीण ने कहा है कि शुद्ध पेयजल के लिए सरकार गांव-गांव में योजना दे रही है, लेकिन पुरानी योजना के प्रति ध्यान नहीं दिया जा रहा है। दो वर्षो से जलमीनार शोभा की वस्तु बनी हुई है। बिजली के अभाव में जलापूर्ति ठप है।
सुभोजीत घोष, ग्रामीण
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गेड़िया गांव की हजारों की आबादी जलसंकट झेल रही है पर जलापूर्ति योजना को चालू करवाने की परवाह किसी को नहीं है। नेता से अधिकारी तक को इस समस्या से अवगत कराया गया पर बिजली की कमी दूर करने की पहल नहीं की गई। आनेवाली गर्मी में भी पता नहीं जलमीनार से प्यास बुझेगी या नहीं। जनप्रतिनिधियों को ध्यान देना चाहिए।
विकास बाउरी, ग्रामीण