समृद्धि के लिए संताली भाषा का विस्तार जरूरी

जामताड़ा : साहित्य अकादमी नई दिल्ली एवं संताल एजुकेशन ट्रस्ट जामताड़ा की ओर से शनिवार को

By JagranEdited By: Publish:Sun, 16 Dec 2018 11:02 AM (IST) Updated:Sun, 16 Dec 2018 11:02 AM (IST)
समृद्धि के लिए संताली भाषा का विस्तार जरूरी
समृद्धि के लिए संताली भाषा का विस्तार जरूरी

जामताड़ा : साहित्य अकादमी नई दिल्ली एवं संताल एजुकेशन ट्रस्ट जामताड़ा की ओर से शनिवार को रेडक्रॉस भवन में संताली यात्रा वृतांत विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें संताली भाषा के विद्वान एवं बुद्धिजीवियों ने भाग लिया। पहले सत्र के आयोजन की अध्यक्षता शोभनाथ बेसरा ने की। मुख्य अतिथि चैतन्य प्रसाद मांझी थे। मौके पर साहित्य अकादमी नई दिल्ली के डिप्टी ओएसडी अजय शर्मा ने संताली यात्रा वृतांत पर चर्चा की। वहीं मौजूद सदस्यों को साहित्य अकादमी के कार्य व दायित्व के बारे में बोध कराया। इसी प्रकार साहित्य अकादमी के संयोजक मदन मोहन सोरेन ने अकादमी के उद्देश्य व वर्तमान समय में चल रहे कार्य के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि साहित्य अकादमी का हर साल पूरे देश में संताली भाषा साहित्य की समृद्धि के लिए 25 कार्यक्रम प्रस्तावित रहता है जिसका सफल क्रियान्वयन होते रहा है। कार्यक्रम का उद्देश्य अन्य भाषाओं की तरह संताली भाषा का भी सभी क्षेत्रों में विस्तार हो सके। डॉ. संतोष कुमार बेसरा ने कहा कि संताली भाषा समृद्ध तभी होगी जब नियमित रूप से लोग एक दूसरे से जुड़ेंगे और भाषा का आदान-प्रदान हर गतिविधियों के माध्यम से करते रहेंगे। चेतन्य प्रसाद मांझी ने कहा कि जो यात्रा के दौरान एक दूसरे का रहन सहन उनके भाषा तथा संताली भाषा को जोड़ने का मौका मिलता है तथा उसे लिखना भाषा वृतांत कहते हैं। संताल एजुकेशन ट्रस्ट के ट्रस्टी सुनील कुमार हांसदा ने पहले सत्र की समाप्ति धन्यवाद भाषण से की। वहीं राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक सुनील कुमार बास्की ने दूसरे में संताली भाषा के विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि हमें अपनी भाषा संताली पर गर्व होनी चाहिए। इसको हमें आगे बढ़ाना चाहिए। कार्यक्रम में साहित्य अकादमी से पुरस्कृत श्याम बेसरा, लेखक आनंद मोहन सोरेन, राष्ट्रपति सम्मानित शिक्षक सुशील मरांडी, मालिंद हांसदा, मंगल सोरेन, सुधीर किस्कू, श्याम किशोर सोरेन, सुखेंद्र टुडू, श्यामलाल मरांडी, रामलाल मरांडी, एबीमाइल टुडू, सुबोधन मुर्मू, सुधीर सोरेन, नेपाल हांसदा, सर्जन हांसदा, पुष्पा सोरेन आदि ने संताली भाषा के महत्व एवं विस्तार पर बल देने को कहा। कार्यक्रम में बंगाल, ओडिशा, झारखंड राज्य से संताली भाषा के लेखक शामिल हुए।

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