15 दिवसीय ऐतिहासिक करमदाहा मेला शुरू

नारायणपुर (जामताड़ा) गुरुवार को खिचड़ी मेले के साथ ही विधिवत रूप से ऐतिहासिक करमदाहा मेले का शुभारंभ हो गया है। प्रखंड क्षेत्र के कई गांव के लोगों ने खिचड़ी मेले का लुत्फ उठाया। इस वर्ष मेला में मौत का कुआं रिकॉर्डिग डांस ड्रैगन मिक्की माउस झूला समेत अन्य मनोरंजन के साधन उपलब्ध हैं। इसका आनंद मेला आए लोग ले रहे हैं। मेला में सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था की गई है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 16 Jan 2020 05:06 PM (IST) Updated:Thu, 16 Jan 2020 05:06 PM (IST)
15 दिवसीय ऐतिहासिक करमदाहा मेला शुरू
15 दिवसीय ऐतिहासिक करमदाहा मेला शुरू

नारायणपुर (जामताड़ा) : गुरुवार को खिचड़ी मेले के साथ ही विधिवत रूप से ऐतिहासिक करमदाहा मेले का शुभारंभ हो गया है। प्रखंड क्षेत्र के कई गांव के लोगों ने खिचड़ी मेले का लुत्फ उठाया। इस वर्ष मेला में मौत का कुआं, रिकॉर्डिग डांस, ड्रैगन, मिक्की माउस, झूला समेत अन्य मनोरंजन के साधन उपलब्ध हैं। इसका आनंद मेला आए लोग ले रहे हैं। मेला में सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था की गई है।

बीडीओ महेश्वरी प्रसाद यादव, थाना प्रभारी अजीत कुमार स्वयं सुरक्षा व्यवस्थाओं का जायजा ले रहे हैं। ठंड कम होने से लोगों को राहत मिली है वर्ना ठंड अधिक रहने से मेला में दुकानदारों को परेशानी होती। यहां बताते चलें कि कर्ण नामक राजा ने बराकर नदी के दह से दुखिया महादेव शिवलिग की खोज की थी। इसलिए इस स्थान का कर्णदाहा नाम पड़ा था। बाद में नाम परिवर्तित करके करमदाहा कर दिया गया है। करमदाहा के दुखिया महादेव के प्रति क्षेत्र के लोगों की अटूट आस्था है। धान की फसल का पहला बीड़ा लोग भोलेनाथ को चढ़ाते हैं।

हुआ टुसू का विसर्जन : खिचड़ी मेला के दिन बराकर नदी में टुसू का विसर्जन भी किया गया। यहां बताते चलें कि देवलवाड़ी, नयाडीह, शिमला, मंझलाडीह समेत अन्य गांव में पौष मास में आकर्षक टुसू बनाकर पूजा-अर्चना की जाती है। टुसू गीत गाए जाते हैं। एक महीने के बाद फिर खिचड़ी मेला के दिन युवतियां टुसू का विसर्जन करती है। बताते चलें कि भाई-बहन के अटूट रिश्ते को मजबूती देने का पर्व है टुसू। भाई की लंबी उम्र की कामना के लिए बहने टुसू पर्व मनाती हैं। रक्षाबंधन की ही भांति भाई-बहन के प्रेम को दर्शाने वाला यह पर्व है।

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