हृदय एवं मस्तिष्क को स्वस्थ रखना है तो करें ये खास योग, योग एक्सपर्ट रूमा शर्मा से जानिए तरीके

Yoga for Healthy Heart and Mind अगर आप अपने हृदय एवं मस्तिष्क को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो यह योग आसन जरूर करें। हृदय मुद्रा का अभ्यास बहुत ही सरल और आसान है। हृदय मुद्रा को कहीं भी और कभी भी किया जा सकता है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sun, 23 Jan 2022 10:07 AM (IST) Updated:Sun, 23 Jan 2022 10:07 AM (IST)
हृदय एवं मस्तिष्क को स्वस्थ रखना है तो करें ये खास योग, योग एक्सपर्ट रूमा शर्मा से जानिए तरीके
जमशेदपुर की योग एक्सपर्ट रूमा शर्मा। जागरण

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : योग मुद्राओं में हृदय मुद्रा एक बहुत ही शक्तिशाली योग मुद्रा है। इस योग मुद्रा का नियमित अभ्यास करने से हृदय के साथ ही मस्तिष्क को स्वस्थ रखता है। इस संबंध में जानकारी दे रही हैं जमशेदपुर की योग एक्सपर्ट रूमा शर्मा।  रूमा शर्मा बताती हैं कि इस योग मुद्रा के नाम से ही पता चलता है कि यह हृदय को स्वस्थ रखने के लिए ही इसका अभ्यास किया जाता है। हृदय रोग से बचने के लिए यह एक अच्छा योग है।

ऐसे करें हृदय मुद्रा

हृदय मुद्रा का अभ्यास बहुत ही सरल और आसान है। हृदय मुद्रा को कहीं भी और कभी भी किया जा सकता है। लेकिन जब वातावरण में प्राण वायु अधिक हो तब इसे करने से ज्यादा लाभ मिलता है। हृदय मुद्रा अभ्यास रोग की गंभीर स्थिति में भी कर सकते हैं। आज जमशेदपुर की योग एक्सपर्ट रूमा शर्मा बता रही हैं हृदय मुद्रा करने की विधि।

 सबसे पहले ध्यान के किसी आसन जैसे -सुखासन, पद्मासन या वज्रासन में आराम से बैठ जाएं अपने सिर और मेरूदंड को सीधा रखें दोनों हाथों को घुटनों पर रखें आंख को बंद कर गहरी सांस लें और पूरे शरीर को शिथिल कर दें। अब ज्ञान मुद्रा या चिन मुद्रा के समान तर्जनी अंगुलियों के पैरों के अंगूठों के मूल से स्पर्श कराएं मध्यमा अंगुली और अनामिका अंगुली के पोरों को अंगूठों के पोरों से इस प्रकार मिलाएं की तीनों एक साथ रहें। अपनी कनिष्ठा अंगुली को सीधा रखें। इस तरह से हृदय मुद्रा का निर्माण होता है। हृदय मुद्रा को कहीं भी और कभी भी किया जा सकता है। शुरूआत में इसका अभ्यास 5-10 मिनट तक करें। जैसे-जैसे अभ्यास में निपुण होने लगेंगे इसे 30 मिनट तक हृइय मुद्रा का अभ्यास कर सकते हैं।

सावधानियां बरतने की भी जरूरत

हृदय मुद्रा को करते समय आपकी सजगता पर ध्यान देना है। सांस पर ध्यान देना है। अध्यात्कित रूप से अनाहत च्रक पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए

हृदय मुद्रा से लाभ

हृदय मुद्रा करने से हृदय की प्राण शक्ति में सुधार होता है। हृदय मुद्रा प्राण के प्रवाह को हाथों से हृदय की ओर प्रवाहित करती है हृदय से जुड़ी नाड़ियों का संबंध मध्यमा अंगुली और अनामिका से होता है। अंगूठे प्राण परिपथ को पूरा कर, प्राण प्रवाह को हाथों से इन नाड़ियों में भेज कर शक्ति वर्धक का कार्य करते हैं। हृदय रोग में हृदय मुद्रा काफी लाभदायक होता है। हृदय मुद्रा अवरूद्ध भावनाओं को मुकत कर हृदय के बोझ को हल्का करती है। हृदय मुद्रा द्वंद को दूर करता है।

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