कर्नाटक व अफजल जैसी तेजी राम मंदिर मामले में क्यों नहीं: साध्वी सरस्वती

जमशेदपुर आई साध्वी सरस्वती ने कहा कि कर्नाटक व अफजल मामले में राजनीतिक दल तेजी दिखाते हैं, लेकिन राम मंदिर मामले में इतनी तेजी क्यों नहीं दिखती।

By Edited By: Publish:Mon, 21 May 2018 11:23 AM (IST) Updated:Mon, 21 May 2018 12:12 PM (IST)
कर्नाटक व अफजल जैसी तेजी राम मंदिर मामले में क्यों नहीं: साध्वी सरस्वती
कर्नाटक व अफजल जैसी तेजी राम मंदिर मामले में क्यों नहीं: साध्वी सरस्वती

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। बर्मामाइंस डनलप मैदान में आयोजित विराट हिंदू सम्मेलन में शिरकत करने आई साध्वी सरस्वती ने कहा कि देश के राजनीतिक दल राम मंदिर मुद्दे पर कर्नाटक में सरकार बनाने और अफजल गुरु की फांसी रुकवाने जैसी तेजी क्यों नहीं दिखा रहे हैं। अयोध्या में राम मंदिर बनाने पर हो रही राजनीति से पूरे देश के हिंदू समाज की भवनाओं को ठेस पहुंच रही है। अफजल की फांसी रुकवाने के लिए आधी रात को कोर्ट खुल जाता है। राम मंदिर पर देश के नेता कहते हैं कि 2019 के बाद बात करेंगे। चुनाव के समय ही नेताओं को मंदिर याद आता है और ये राजनीतिक मुद्दा बन जाता है। नेताओं का ये रवैया नही रहता तो अब तक राम मंदिर बन जाता। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ संत हैं। पूरा विश्वास है कि वे राम मंदिर बनवाने के लिए निर्णायक पहल करेंगे। साध्वी सरस्वती जुगसलाई में पत्रकारों को संबोधित कर रही थीं।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जन्म से हर व्यक्ति शूद्र ही होता है। मैं जाति प्रथा की विरोधी हूं और कर्म पर विश्वास करती हूं। अंतरजातीय विवाह के सवाल पर कहा कि मुझे अंतरजातीय विवाह में कोई बुराई नहीं दिखती, लेकिन अंतरधार्मिक विवाह के सख्त खिलाफ हूं। सनातन धर्मियों का विवाह सनातनधर्मियों में ही होना चाहिए। एक-एक कर जेल जा रहे साधु-संतों के सवाल पर उन्होंने कहा कि साधु-संतों को साजिशन जेल भेजा जा रहा है। टारगेट किया जा रहा है। अन्य धर्मों के धर्म गुरुओं पर चाहे 10-10 मुकदमे क्यों न चल रहे हों, कोई भी एक शब्द टिप्पणी नहीं करता। संतों पर लगे आरोपों को सरकार को वापस लेना चाहिए और हिंदू समाज को संतों को अपमान से बचाने के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि संत का मतलब परोपकार के लिए जीना। सूट पहनने वाला, कुर्ता पहनने वाला या भगवा पहनने वाला संत हो सकता है, बशर्तें वह समाज की मर्यादाओं की रक्षा के लिए आगे बढ़ता हो।

एक सवाल पर उन्होंने कहा कि झारखंड के लोगों में हिंदुत्व के लिए भाव तो है, लेकिन लोग लीडर खोजते हैं। लीडर के हट जाने पर बेसुध हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि मैंने झारखंड के गांवों में बहुत कथाएं की हैं। गोहत्या के सवाल पर उन्होंने कहा कि बहुत से राज्यों में कानून तो बन गया है, पर कड़ाई से अमल नहीं हो रहा है। राजस्थान हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश ने अपने रिटायरमेंट से पहले एक आदेश निकाला कि गोहत्या करने वाले को आजीवन कारावास होगा। ऐसा ही कानून पूरे देश में बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि जल्द ही अपने ट्रस्ट के माध्यम से जमशेदपुर में भी गौ एंबुलेंस सेवा की शुरुआत करूंगी। कर्नाटक में एक बयान पर दर्ज हुए केस पर उन्होंने कहा कि मेरा बयान यही था कि गोहत्या नहीं होनी चाहिए, वहां के लोगों ने गाय खाने की आजादी के लिए केस कर दिया।

पिता बनाना चाहते थे डॉक्टर
साध्वी सरस्वती के पिता उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे। क्योंकि वे खुद भी एक डॉक्टर रहे। पिता अक्सर बाहर रहते थे। इसलिए साध्वी सरस्वती का लालन-पालन दादा ने ही किया। चूंकि दादा जी कथा करते थे, इसलिए साध्वी सरस्वती को भी उसमें गहरी रुचि हो गई। तीन साल की उम्र से ही दादा से कथा सुनकर सरस्वती दादा जी को उनकी ही कथा सुनाती थीं। दादा जी ने कहा कि डॉक्टर बनकर केवल कुछ लोगों के ही रोग दूर कर पाओगी, जबकि कथा से देश के करोड़ों लोगों के कष्ट दूर होंगे। इसलिए कथावाचक बन गई।

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